मानव जीवन में हंसी ठहाके का बड़ा महत्व है। खिलखिलाकर हंसने तथा जोर का ठहाका लगाने से अनेक रोग दूर भाग जाते हैं। शायद इसलिए चिकित्सा की विभिन्न पद्घतियों में अब इसकीभी गिनती होने लगी है। बेहतर स्वास्थ्यसेवाओं के मद्देनजर विकसित देशों में इसे लॉफिग थेरेपी के रूप में मान्यता मिल चुकी है।
चिकित्सा की इस पद्घति का विकास बहुत तेजी से हो रहा है। लॉफिंग थैरेपी अब एलोपैथी प्राकृतिक चिकित्सा पद्घति, आयुर्वेद, यूनानी पद्घति आदि का विकल्प बन रही है। इस चिकित्सा पद्घति के विकास के लिये बहुत हद तक अनुसंधान हो चुका हैे किंतु इस चिकित्सा पद्घति को अस्पतालों, नर्सिग होमो, क्लीनिकों में तक नहीं अपनाया जा सकता है जब तक की विश्व स्वास्थ्य संगठन इस पर अपनी स्वीकृति की मुहर नहीं लगा देता। फिलहाल बिना चीर-फाड़ किए, बगैर दवा हसंते- हंसते उपचार करना चिकित्सकों के लिये एक नया अनुभव होगा। भविष्य में ये चिकित्सा पद्घति यदि अस्पतालों में अपनाई जाएगी तो संभव है हास्य कवियों, हास्य अभिनेताओं की चांदी कटे।
महानगरों की तेज रफ्तार भागती दौड़ती जिंदगी उपभोकतवादी संस्कृति, कोलाहल- प्रदूषण आदि ने कितने असाध्य रोगों को जन्म दिया है, जिसके लिये औषधियों का विकल्प लॉफिंग थेरेपी के अनुसंधानों से प्राप्त परिणामों को स्वीकार कर लिया जाए, तो बेशक हास्य,ठहाके लगाने को दिनाचर्या में शामिल कर लेना चाहिए लॉफिंग थेरेपी को लोकप्रिय बनाने के लिए कई संगठन, क्लब तथा स्वयं सेवी संस्थाएं काम कर रही हैं। हंसने-हंसाने वाले संगठनों-क्लबों की सदस्यता इतनी तेजी से बढ़ रही है कि संगठन चलाने वाले अतिरिक्त आत्मविश्वास उत्साह से भरे दिख रहे हैं। यदि लॉफिंग थेरेपी पूर्ण विकसित हो जाएगी तो भविष्य में मनोचिक्तिसा, पागलपन तथा अन्य कई रोगों का कारगर उपचार हो सकेगा। उपचार की यह पद्घति सस्ती एवं सुविधाजनक होगी, आईए, देखे बेहतर स्वास्थ्य के लिए हंसी ठहाके से कितने लाभ हैं- विशेषज्ञों के अनुसार इंडोर्फिन शरीर का दर्द निवारक तत्व होता है। ठहाके लगाने वाले व्यक्तियों में इंडोर्फिन की मात्रा अधिक पाई जाती है। यह तत्व मांसपेशियों की जकडऩ कम कर देता है, जिससे सिरदर्द, बदन दर्द स्वत: दूर हो जाता है। इसलिए स्वस्थ व्यक्तियों को दिन भर में कम से कम 20-25 ठहाके अवश्य लगाने चाहिए। इससे पेट के अंदरूनी भागों का अच्छा व्यायाम हो जाता है।
ठहाके लगाने वाले व्यक्तियों को उदर रोग कम होता है क्योंकि हंसते समय पेट पर बल पड़ता है जिससे मांसपेशियों का अभ्यास होता है एवं शरीर के सभी अंग ठीक से काम करने लगते हैं। इसलिए सभी आयु वर्ग के लोगों को ठहाके लगाना दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक उत्तेजना से रक्तचाप बढ़ता है। इसी प्रकार अवसाद से हीनभावना एवं निराशावादिता जन्म लेती है। मानसिक उत्तेजना तथा अवसाद आदि से बचने के लिए उन्मुक्त हंसी आवश्यक है। दमे के रोगियों को अवश्य ठहाके लगाना चाहिए, क्योंकि इससे श्वास -प्रश्वास की गति संतुलित होती है। यदि बपचन से ही खिलखिलाने एवं ठहाके लगाने की आदत डाल दी जाए तो आगे चलकर उपरोक्त रोग हो ही नही सकते। यहां तक कैन्सर जैसे असाध्य रोग से भी बचा जा सकता है। विशेषज्ञों का मत है कि कैसर का कारण शरीर में श्वेत रक्त की कोशिकाओं का निर्धारित मात्रा से अधिक बनना है। तात्पर्य यह है कि जिन व्यक्तियों में सर्फद रक्त कोशिकाएं अधिक बनती हैं उन्हें कैन्सर होने में देर नहीं लगती।कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के कैन्सर विभागाध्यक्ष डॉ. एल.एस. वर्क के अनुसार मानव शरीर पांच अवस्थाओं में आबद्घ है सरकुलेटरी सिस्टम, रेस्पेरेटरी सिस्टम मसक्युलर सिस्टम, स्केलेटरी सिस्टम, सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम। दिन में सोने वाले व्यक्तियों को अनेक बीमारियों हो सकती है। अत: जिन व्यक्तियों को दिन में अधिक नींद आती है उन्हें एकांत में खूब ठहाके लगाने चाहिए। ठहाके से नींद दूर भागती है।
– रईसा मलिक