आजादी के 70 साल और अगस्त क्रांति की 75वीं सालगिरह के अवसर पर मनाये जो रहे ‘जरा याद करो कुर्बानीÓ अभियान के दौरान स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का लालकिले की प्राचीर से प्रस्तुत किये गीत की याद आना स्वभाविक है, जब पं. जवाहरलाल नेहरू सहित अनेक लोगों की आंखें भर आईं थीं। वास्तव में हम जिस आजादी का उपभोग कर रहे हैं वह अगणित स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लोगों और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों के साहस, त्याग, लम्बे संघर्ष और बलिदान की ही देन है। उनके प्रति आभार तथा सम्मान प्रकट करने के लिए चलाये जा रहे इस अभियान के दौरान अनेक कार्यक्रम किये जा रहे हैं, जो 9 अगस्त से शुरू हो गये हैं।
यह प्रदेश के लिए गौरव का विषय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान का शुभारंभ 09 अगस्त को अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की जन्मभूमि भाबरा (जिला झाबुआ) में एक विशाल आमसभा से किया।
इस अभियान के कार्यक्रमों की शृंखला में प्रदेश के स्कूल, कॉलेजों में 23 अगस्त की सुबह 11 बजे छात्र-छात्राएं राष्ट्रगान, जन-गण-मन का गायन करेंगे। निबंध, चित्रकला, नाट्य और सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। ग्राम पंचायतों में ग्राम सभाएं होंगी। इसके पहले बच्चों-बुर्जुगों की संयुत दौड़ होगी। दौड़ संपन्न होने पर पौधरोपण होगा। प्रदेश में खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन खेल एवं युवा कल्याण विभाग के तत्वावधान में होगा। मां तुझे प्रणाम योजना में 72 सदस्यीय दल बाड़मेर के सीमावर्ती सैनिकों से मिलेगा। वहां रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाएगा। खादी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शिल्प मेले भी लगेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने भबरा में अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों को याद किया और देश के हालात पर विचार करते हुए अपने विचार कश्मीर घाटी पर केन्द्रित किये। कश्मीर मेें अशांति के 32 दिन बाद रुख स्पष्ट करते हुए कहा- ‘जिन हाथों में लैपटॉप होना चाहिए, खेलने के लिए बैट या फुटबॉल होना चाहिए, उन्हें पत्थर थमाए जा रहे हैं। लेकिन हम इंसानियत और कश्मीरियत को दाग नहीं लगने देंगे। देश कश्मीर का विकास चाहता है, लेकिन मु_ीभर लोग कश्मीर की अस्मिता को ठेस पहुंचा रहे हैं।’ मोदी देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने आजाद की जन्मस्थली का दौरा किया है।
– बालमुकुंद भारती