(56 वीं किश्त)
खिलाफते अब्बासिया
अबुल अब्बास अब्दुल्लह सफाह
अबुल अब्बास अब्दुल्लाह सफाह बिन मुहम्मद बिन अली बिन अब्दुल्लाह बिन अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिक बिन हाशिम सन 104 हिजरी में हमीमा में पैदा हुआ, वहीं परवरिश पाई। अपने भाई इब्राहिम का जानशीन हुआ।
अब्दुल्लाह सफाह ने माल व दौलत से अपनी खिलाफत की मजबूती के लिए उसी तरह काम लिया जिस तरह खिलाफते बनु उमैया की बुनियाद रखने वाले हजरत अमीर मुआविया रजि. ने काम लिया था। अब्दुल्लाह सफाह ने भी अलवियों को हजरत मुआविया रिज. की तरह बेइंतहा माल व दौलत देकर खामोश कर दिया। अब्दुल्लाह सफाह के कामों में सबसे बडा कारनामा यही समझना चाहिए कि उसने तमाम अलवियों को माल व दौलत देकर खामोश रखा ओर किसी को मुकाबले पर खडा नहीं होने दिया।
अब्दुल्लाह सफाह की वफात के बाद ही अलवी बगावत पर तैयार हो सके, लेकिन अब अब्बासी हुकूमत मजबूत हो चुकी थी और उसकी जडें गहराई तक पहुंच गई थीं।
अबु जाफर मंसूर
अबु जाफर अब्दुल्लाह मंसूर बिन मुहम्मद बिन अली बिन अब्दुल्लाह बिन अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब सन 105 हिजरी में पैदा हुआ। सफाह ने अंबार को अपनी राजधानी बनाया था। सन 140 हिजरी या 141 हिजरी में मंसूर ने अपनी एक अलग राजधानी बनानी चाही और बगदाद शहर की बुनियाद रखी गई। बगदाद का काम लगभग 9-10 साल तक चलता रहा और सन 149 हिजरी में वह मुकम्मल हो गया। उसी दिन से बनु अब्बास की राजधानी बगदाद में रही।
अब्दुल्लाह सफाह ने मरते वक्त मंसूर को अपना वली अहद मुकर्रर किया था ओर मंसूर के बाद ईसा बिन मूसा को वली अहद बनाया था। अब इस वसीयत के बाद ईसा बिन मूसा खलीफा होने वाला था। लेकिन ईसा को धोखा देकर मंसूर ने लोगों से मेहदी की वली अहदी पर बैअत ले ली।
सन 158 हिजरी में मंसूर मक्का की तरफ रवाना हुआ, लेकिन मक्का पहुंचने से पहले ही इंतिकाल कर गया।
मेंहदी बिन मंसूर
मुहम्मद मेंहदी बिन मंसूर की उर्फियत अबु अब्दुल्लाह थी। इंदिज में सन 126 हिजरी में पैदा हुआ था। मेंहदी बडा सखी, दााता, सब का प्यारा, सच्चा और जनता में मकबूल खलीफा था। मंसूर ने अपने बेटे मेंहदी के बाद ईसा बिन मूसा को वली अहद बनाया था। लेकिन लोगों ने मेंहदी का उकसाया कि वह ईसा की जगह अपने बेटे हादी को वली अहद बनायें। आखिरकार उसने लोगों से अपने बेटे हादी की वली अहदी के लिए बैअत ले ली।
हादी सन 168 हिजरी में जरजान में ठहरा हुआ था कि मेंहदी उससे मिलने निकला। रास्ते में बास व जान नामी जगह पर पहुंचा था कि इंतकाल किया। हारून रशीद इस सफर में बाप के साथ था, उसने जनाजे की नमाज पढाई।
हादी बिन मेंहदी
हादी बिन मेंहदी बिन मंसूर सन 147 हिजरी में रेनाम नाम की जगह पर पैदा हुआ था। हादी अपने भाई हारून से मिलने मूसल के इलाके की तरफ गया था कि वापसी में बीमार पड गया और तीन दिन बीमार रहकर 14 रबीउल अव्वल सन 170 हिजरी में सवा साल हुकूमत करके वफात पाई।
हादी सखी, खुशदिल होने के साथ कुछ जुल्म परस्त भी था।
अबु जाफर हारून रशीद बिन मेंहदी
अबु