दुनिया भर में 1950 के द’ाक में हुए परमाणु बम परीक्षणों से हथियारों की अंधी द©ड़ को रफ्तार जरूर मिली, लेकिन इन्होंने वैज्ञानिकों को किसी व्यक्ति की सही उम्र जानने का नायाब नुस्खा भी थमा दिया। बात शायद पचने लायक नहीं है, लेकिन यह दिलचस्प हकीकत है कि भूमि के ऊपर या अंतरिक्ष में हुए ये परीक्षण उस समय म©जूद लोगों के दांतों के आवरण या टूथ इनेमल पर कुछ उसी तरह दर्ज हो गये, जैसे कोई आंकड़ा फाइलों में दर्ज हो जाता है। अब इसी का इस्तेमाल कर वैज्ञानिक मृतकों की सही उम्र का पता लगा रहे हैं। स्टाकहोम के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में सबसे पहले यह तकनीक विकसित करने वाले जोनास फ्रिसेन ने बताया कि पिछले वर्ष हिंद महासागर में सूनामी के कारण आई आपदा में मारे गए लोगों की ’िानाख्त में इस विधि का इस्तेमाल हो चुका है। अमेरिकी शोधकर्ता भी पिछले महीने आए समुद्री तूफान कैटरीना में मारे गए लोगों की सही उम्र का पता लगाने में इसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
फ्रिसेन ने एक साक्षात्कार में कहा- दांतों में म©जूद पदार्थ का स्तर मापकर किसी व्यक्ति की उम्र का पता लगाने के लिए यह बेहद आसान तरीका है। फोरेंसिक वि’ोषज्ञ किसी भी व्यक्ति की सही उम्र का पता लगाने के लिए अब तक कंकाल अ©र दांतों में हुए क्षय का अध्ययन करते थे। लेकिन इससे सटीक उम्र का पता नहीं चलता था, अक्सर उसमें पांच से दस वर्ष का फासला हो जाता था। फ्रिसेन के अनुसार किसी व्यक्ति के टूथ इनेमल में रेडियोएक्टिव कार्बन 14 की मात्रा देखकर उसकी उम्र का लगभग सही पता किया जा सकता है। इसमें महज डेढ़ साल का फासला होने की गुंजाइ’ा रहती है यानी सही उम्र डेढ़ साल कम या ज्यादा हो सकती है। टूथ इनेमल बचपन में धीरे-धीरे तैयार होता है अ©र उसमें केवल 0.4 प्रति’ात कार्बन होता है। इसलिए दांतों में कार्बन की मात्रा उस समय के वातावरण की जानकारी दे देती है, जब दांतों का आवरण या टूथ इनेमल बनकर तैयार हुआ था। परमाणु परीक्षण 1955 में आरंभ हुए थे अ©र उस समय वायुमंडल में कार्बन 14 की मात्रा बढ़ गई थी। जल्दी ही पूरी दुनिया में कार्बन 14 पहुंच गया। इसलिए इस तकनीक से दुनिया के किसी भी हिस्से में जन्मे व्यक्ति की उम्र का सही पता लगाया जा सकता है।
फ्रिसेन ने बताया कि इस तकनीक की कुछ सीमायें भी हैं। इससे आप उस व्यक्ति की उम्र नहीं जान सकते, जिसका जन्म 1943 से पहले हुआ है। दरअसल परमाणु परीक्षण शुरू होने से पहले ही उनके दांत पूरी तरह बनकर तैयार हो गए थे। कार्बन 14 प©धों के जरिए खाद्य श्रृंखला में घुस जाता है अ©र वहां से यह तत्व दांतों में पहुंच जाता है। भूमि के ऊपर परमाणु परीक्षण 1963 के बाद बंद हो गए थे अ©र उसके बाद वायुमंडल में कार्बन 14 का स्तर भी गिरने लगा था। वैज्ञानिक दांतों के इनेमल में म©जूद कार्बन 14 की मात्रा पता लगाकर आंकडे+ खंगालते हैं अ©र विभिन्न वर्षों में वायुमंडल में कार्बन 14 की मात्रा से उसका मिलान करते हैं। इससे उन्हें पता लग जाता है कि व्यक्ति का दांत किस वर्ष में बना था। इसके साथ ही किसी की भी उम्र पर से पर्दा उठ जाता है। पे’ो से को’िाका विज्ञानी फ्रिसेन अपने साथियों के साथ शरीर में को’िाका की उम्र का अध्ययन कर रहे थे। उसी द©रान उन्हें पता लगा कि दांतों के इनेमल की कार्बन डेटिंग से व्यक्ति की उम्र का सटीक पता चल सकता है।
– रईसा मलिक