दुनिया की लालच का इबरतनाक वाकिया

0
233

एक मर्तबा एक शख्स हजरत ईसा अलै. की खिदमत में हाजिर हुआ और कहने लगा मैं हमेशा आपकी सोहबत में रहूंगा। वह शख्स इन्तिहाई लालची और स्वार्थी व दुनियादार था। लेकिन फिर भी हजरत ईसा अलै. ने उसे अपने साथ रख लिया। एक दिन हजरत ईसा अलै. और वह शख्स इक्ट्ठे एक सफर के लिये रवाना हुए। जब एक दरिया के किनारे पहंुचे तो खाने के लिए बैठ गए। इनके पास तीन रोटियां थीं, जब दो रोटियां खा चुके और एक रोटी बाकी रह गई तो हजरत ईसा अलै. दरिया पर पानी पीने के लिए चले गये। जब पानी पीकर वापस आए तो देखा कि तीसरी रोटी मौजूद नही थी। आपने पूछा की तीसरी रोटी किसने ली है? उस शख्स ने जवाब दिया कि मैं नहीं जानता।
रिवायत में आता है कि हजरत ईसा अलै. उस शख्स का यह जवाब सुन कर खामोश हो गए। और इसे साथ लेकर आगे की तरफ चल पडे। रास्ते मंे आपने एक हिरनी को देखा कि अपने दो बच्चों के साथ जा रही थी, आपने हिरनी के एक बच्चे को अपने पास बुलाया। वह बच्चा आपकी खिदमत में हाजिर हो गया। आपने उसको अल्लाह का नाम लेकर जिबाह किया और गोश्त भून कर खुद भी खाया और उस शख्स को भी खिलाया। इसके बाद हिरनी के बच्चे की हड्डियों केा जमा करके फरमाया, अल्लाह के हुक्म से खडा हो जा। यह सुनते ही हिरनी का बच्चा दोबारा जिंदा हो गया और उठ कर जंगल की तरफ चल पडा।
यह ’’मोजज‘‘ दिखा कर हजरत ईसा अलै. ने उस शख्स से कहा कि मैं तुझसे उस खुदा के नाम पर सवाल करता हूं, जिसने तुझे यह मोजजा दिखाया, यह बता कि रोटी किस ने ली थी। उस शख्स ने फिर वही जवाब दिया कि मैं नहीं जानता।
हजरत ईसा अलै. उस शख्स के जवाब पर खामोश हो गये और आगे रवाना हो गए। चलते-चलते एक झील पर पहुंचे और उस शख्स का हाथ पकड कर दोनांे पानी के ऊपर चलते हुए झील के उस किनारे पर पहुंच गए। जब झील पार कर ली तो आपने उस शख्स से पूछा कि तुझे उस जाते-पाक की कसम जिसने तुझे यह मोजजा दिखाया। यह बताओ कि वह तीसरी रोटी किस ने ली थी। उस शख्स ने फिर वही जवाब दिया कि मैं नहीं जानता।
उसके बाद दोनों आगे रवाना हो गए और एक जंगल में जा पहंुचे। जब दोनों एक जगह पर बैठ गए तो हजरत ईसा अलै. ने वहां से मिट्टी और रेत इकट्ठी करके एक ढेरी बनाई और इर्शाद फरमाया, अल्लाह के हुक्म से सोना हो जा, चुनांचे वह ढेरी उसी वक्त सोना बन गई। हजरत ईसा अलै. ने इस जैसी तीन ढेरियां बनाईं और फरमाया एक मेरी, एक तेरी और एक उस शख्स की है जिसने वह रोटी ली थी। यह सुन कर उस शख्स ने जल्दी से कहा कि वह रोटी मैंने ली थी।
हजरत ईसा अलै. ने फरमाया कि यह सारा सोना तुम्हारा है। यह फरमा कर आप उस शख्स को वहीं सोने के पास छोड कर आगे रवाना हो गए। हजरत ईसा अलै. के जाने के बाद उस शख्स के पास दो आदमी आये, उन्होंने जब जंगल में एक शख्स को बिल्कुल अकेला इतने सारे सोने के साथ देखा जो उनकी नियत खराब हो गई। उन्हांेने सोचा कि इस शख्स को कत्ल करके सारा सोना लूट लें। उस शख्स ने दोनों की नियत को भांप लिया तो खुद ही उनसे कहने लगा कि यह सोना हम तीनों आपस में बराबर-बराबर बांट लेते हैं। इस बात को तीनों ने मान लिया। फिर उन्होंने अपने में से एक शख्स को शहर की तरफ भेजा ताकि वह खाना खरीद लाए। जिस शख्स को उन्होंने खाना लाने के लिए भेजा था, उसने सोचा कि अगर मैं खाने में जहर मिला दूं तो वह दोनों मर जाएंगे और सारा सोना मुझे मिल जाएगा। लिहाजा उसने बाजार से खाना खरीद कर उसमें जहर मिला कर वापस जंगल में लौट आया।
रिवायत में आता है कि जब वह शख्स खाना लाने के लिए जंगल से निकला तो उन दोनों आदमियों ने जो जंगल में उसका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने आपस में विचार किया कि हम उस एक तिहाई हिस्सा भी क्यों दे? जैसे ही वह खाना लेकर आये हम उस पर एकदम हमला कर दें और उसे मार डालें। इस तरह सारा सोना हमारे कब्जे में होगा और हम दोनों आपस में आधा-आधा बांट लेंगे। लिहाजा जब वह तीसरा शख्स खाना लेेकर जंगल में पहुंचा तो उन दोनों आदमियों ने उस पर हमला करके उसको कत्ल कर दिया। उसके बाद वह इत्मिनान से बैठे और खाना खाने लगे। खाना खाते ही वह दोनों भी मर गये और सारा सोना वहीं पडा रह गया और उन तीनांे की लाशें उस सोने के पास पडी थीं। वापसी पर जब हजरत ईसा अलै. का उधर से गुजर हुआ और आपने जब उन तीनों की यह हालत देखी तो अपने साथियों से कहा- देखो यह दुनिया है। इससे अचते रहना।