दौड़ का चैïम्पियन : पाटस बन्दर

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न केवल तीव्र गति, बल्कि ठीक चीते की तरह भागने की शैली के कारण ही केन्या के पाटस बंदर को प्राइमेट चीता कहा जाता है। 3 सेकेंïड मेंï 53 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाला इसका ‘पिकअपÓ किसी अच्छी मोटरसाइकिल से टक्कर लेता है और यह 55 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से भाग सकता है!
मूल रूप से केन्या का निवासी यह बंदर पश्चिमी इथोपिया, तंजानिया और सेनेगल मेंï भी पाया जाता है। सरकोपिथैसिनाई परिवार का यह सदस्य वर्वेट और बबून का नजदीकी रिश्तेदार है। घास के विशाल वृक्षरहित मैदानोïं मेïं रहने वाले पाटस के लंबे हाथ-पाँव और पतला शरीर दौडऩे के लिए पूरी तरह अनुकूलित होता है और इस क्रिया मेïं यह पंजोंï की जगह उंगलियोïं का इस्तेमाल करता है।
…लेकिन इसे भागने की जरूरत ही क्या है? इस सवाल का जवाब पाटस के निवास की परिस्थितियोïं मेंï छुपा है, घास के विशाल वृक्षरहित मैदानोïं मेंï चढऩे के लिए पेड़ मिलना दुर्लभ होता है इसलिए प्रकृति ने शिकारियोïं से जान बचाने के लिए इसे यह हुनर दे दिया है।
नर पाटस का वजन 7 से 13 किलोग्राम तथा शरीर की लंबाई 60 से 87 सेïंटीमीटर के बीच होती है ! मादा पाटस नर से वजन और लंबाई मेंï लगभग आधी होती है। पाटस की आयु 15 से 20 साल के बीच होती है और 167 दिन की गर्भावस्था के बाद मादा पाटस एक शिशु को जन्म देती है। पाटस समूह मेंï रहना पसंद करते हैंï लेकिन औसत 20-22 बंदरोïं वाले समूह मेंï नर केवल एक ही होता है।
ललछौïह रंग के रोंयोï और सफेद मूंछोंï वाला नर पाटस पुराने जमाने के ब्रिटिश कर्नल से कम नहींï लगता है और यही वजह है कि इसका एक नाम मिलिट्री मंकी भी है। इसे रेड डांसिंग मंकी भी कहा जाता है। मादा पाटस सलेटी रंग की होती है और इसका चेहरा कालापन लिए होता है। इथोपिया मेïं पाये जाने वाले पाटस की नाक काली जबकि बाकी स्थानोंï पर पाए जाने वाले पाटस की नाक सफेद होती है!
पाटस के आहार मेï घास, घास के बीज और इन मैदानोïं मेंï उगने वाले बबूल के झाड़ोंï की छाल, पत्तियां, फूल आदि शामिल होते हैं। भूखा होने पर यह कीड़े-मकोड़े, छिपकलियां, चिडिय़ोïं के अंडे और छोटी चिडिय़ोंï तक को खा जाता है। पाटस के हाथ ठीक से खुदाई नहींï कर सकते इसलिए यह केवल पोली जमीन पर उगी घास ही खा पाता है, यही वजह है कि हर तरफ हरी-भरी घास होने के बावजूद इसे भोजन के लिए 15 किलोमीटर तक का चक्कर लगाना पड़ सकता है! – रफीउल्ला खान