अगर आप अपने बच्चे का सही विकास चाहती हैï तो उसे जल्द से जल्द अपने से अलग सुलायेंï। शुरू शुरू मेंï तो आप उसे अपने पलंग के पास, पालने मेंï सुला सकती हंैï। थोड़ा बड़ा होने पर अपने पास ही उसका छोटा पलंग बिछा सकती हंैï। ऐसा करने पर आप रात्रि मेïं उसकी जरूरतेंï भी पूरी कर सकती हैï और बच्चे को अलग सोने की आदत भी पड़ जाएगी, जो बच्चे के संतुलित विकास के लिए बहुत जरूरी है।
सोते बच्चे का भी रखेïं ध्यान
जब बच्चा स्कूल जाने लगे, तब उसे अलग कमरे मेïं सुलाने का अभ्यास करायेंï, इससे उसमेंï आत्मविश्वास बढ़ेगा। ध्यान रहे, बच्चोंï का कमरा आपके कमरे से जुड़ा होना चाहिए जिससे रात्रि मेंï एक दो बार उठकर आप उन्हेंï देख सकेïं कि उन्होïंने चादर, कंबल आदि ओढ़ रखा है या नहीïं। ऐसे मेंï जरूरत पडऩे पर बच्चे भी आपके पास आ सकते हैïं।
बच्चोï को देंï अलग कमरा
बच्चोï को अलग सुलाने के लिए पहले मानसिक रूप से तैयार करेïं। उन्हेंï एहसास दिलायेंï कि अब वे बड़े हो गए हैïं और उनका अलग कमरा होना चाहिए। उनके कमरे को उनके मनपसंद खिलौनोïं और चित्रोंï से सजायेंï। उसे साफ-सुथरा रखने मेंï उनकी सहायता लेंï।
आप कुछ समय उनके कमरे मेंï भी बितायेï और उनके रखरखाव की प्रशंसा करेंï। ऐसा करने से बच्चोंï को प्रोत्साहन मिलेगा और वे कमरे को साफ-सुथरा रखने का प्रयास करेïंगे।
अलग सुलाने की कसम न खायेïं
अलग सुलाने से तात्पर्य यह नहीïं है कि बच्चे को कभी अपने पास ही न सुलायेंï। कभी-कभी बच्चोंï को अपने साथ सुलाना भी जरूरी है। इससे उन्हेंï भावनात्मक सुरक्षा मिलती है। यदि किसी कारण से बच्चा डर रहा है या अस्वस्थ है तो उसे अपने पास ही सुलायेंï।
हर हाल मेंï धैर्य अपनायेïं
यदि बच्चा अलग सोने मेंï आनाकानी करता है तो उसे धमकायेï नहीïं बल्कि धैर्य से काम लेïं। कई बच्चोïं को अलग सोने की आदत डालने मेïं कुछ समय लगता है। एक उम्र के बाद बच्चोïं को अलग कमरे मेंï सुलाने से वे आत्मनिर्भर बनते हैंï, छोटे-छोटे काम के लिए माता-पिता का मुँह नहींï ताकते। उनकी अनुपस्थिति मेंï भी घबराते नहीïं और अपने काम स्वयं कर लेते हैïं। – रईसा मलिक