भोपाल में अभिनव कला परिषद द्वारा अपने गठन के 46वें वर्ष में 39वां संगीत समारोह आयोजित किया गया। इस आयोजन के तीसरे दिन सदाबहार फिल्मी गीतों की प्रस्तुति हुई। इस कार्यक्रम में मुम्बई से भाग लेने के लिए आये थे सागर केन्दूरकर, जो कि आनंद जी के ग्रुप से जुड़े हैं और बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार हैं। उन्होंने वर्ष 1997 में सारेगामा में भी विजयश्री प्राप्त की थी। प्रस्तुत है इस अवसर पर रईसा मलिक से सागर की बातचीत के कुछ अंश-
प्र. गायक बनने की प्रेरणा आपको किससे मिली?
उ. हमारे परिवार में सभी को गाने का शौक है। मेरे पिताजी आकाशवाणी के कलाकार रह चुके हैं और मेरी माता जी ने संगीत में एमए किया है। मेरे चाचा, भाई आदि सभी बहुत अच्छा गाना गाते हैं। बचपन से ही घर के माहौल को देखकर मुझे गाने का शौक पैदा हुआ और मैं भी गुनगुनाने लगा। स्कूल जीवन से ही मैंने गाना शुरू कर दिया था। आठ (8) साल की आयु से ही गाने की शिक्षा लेना मैंने शुरू कर दी थी।
प्र. स्टेज पर आपने अपनी पहली प्रस्तुति कब और कहां दी थी?
उ. ग्यारह (11) साल की उम्र में मैंने सबसे पहला स्टेज शो इन्दौर के एक संगीत विद्यालय जहां मैं गायन का प्रशिक्षण ले रहा था उन्होंने की मुझे सर्वप्रथम मंच प्रदान किया। मैंने सबसे पहला गीत जो मंच पर गाया वह था ‘सोचेंगे तुम्हें प्यार करें की नहींÓ। यह कार्यक्रम इन्दौर के नेहरू पार्क में आयोजित किया गया था।
प्र. भोपाल में आपने पहली प्रस्तुति कब दी?
उ. 1995 में अभिनव कला परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मैंने पहली बार भोपाल में प्रस्तुति दी। अभिनव कला परिषद के अध्यक्ष श्री सुरेश तांतेड़ जी ने मुझे यह अवसर प्रदान किया। और अब मैँ पुन: 14 साल बाल भोपाल में अभिनव कला परिषद के कार्यक्रम में भाग लेने आया हूं।
प्र. आपने संगीत की शिक्षा किन से प्राप्त की?
उ. मेरी सर्वप्रथम गुरू मैडम दीक्षित थीं उसके बाद श्रीधर जी व्यास, सुगम संगीत के मेरे गुरू धीरज मसीह हैं। उन्हीं के कारण मैं सारेगामा में भाग ले सका। मुम्बई में पं. मनोहर रॉय जी से मैं आज भी सीख रहा हूँ और इसके अलावा आनन्द जी भाई ने मुझे गीत-संगीत की बारीकियां सिखाई हैं। आज भी मुझे वो संगीत की बारीकियां बताते रहते हैं। वैसे मेरे माता-पिता ही मेरे पहले गुरू हैं।
प्र. क्या आपने किसी संगीत प्रतियोगिता में भाग लिया है?
उ. ज़ीटीवी के कार्यक्रम सारेगामा के 75वें प्लेटीनम जुबली एपीसोड में 1997 में मैंने भाग लिया था और लड़कों में मैं विजेता रहा और लड़कियों आज की प्रख्यात सिने गायिका श्रेया घोषाल विजयी रही थीं। इसके अलावा सारेगामा के एपीसोड्ïस में भी मैंने गाया है। कल्याण जी आनन्द जी भाई सारेगामा एपीसोड के जज थे उन्हें मेरी गायकी बहुत पसन्द आई और तब से ही मैं मुम्बई में रहने लगा। हमको कल्याण जी भाई ने अपने घर बुलाया मैं उनके साथ दो महीने रहा उसके बाद मैं आनन्द जी से मिला फिर उनके साथ मैंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया। आनन्द जी भाई ने मुझे गायन का प्रशिक्षण भी दिया। वहां से मेरे गायन में और निखार आया।
प्र. आपने अभी तक कहां-कहां प्रस्तुति दी है?
उ. मैंने आनन्द जी भाई के साथ कई विदेशी दौरे किये हैं। उनमें अमेरिका, मस्कत, दुबई, यूके, अफ्रीका, सिंगापुर, बेल्जीयम, यूएई, मलेशिया, बैंककॉक, एण्टवर्प, पेरिस सहित यूरोप के कई शहरों में।
भारत में मैंने अधिकतर शहरों में अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किये हैं, केवल यूपी और बिहार में मैंने अभी तक कोई कार्यक्रम नहीं किया है।
प्र. आपको किस-किस का सहयोग मिला?
उ. मेरे माता-पिता ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। उनके साथ-साथ मेरे अन्य परिजनों ने भी मेरा उत्साह वर्धन किया। इसके अलावा मैंने जहां-जहां कार्य्रक्रम प्रस्तु किये श्रोताओं ने मुझे बहुत सराहा इससे मेरा बहुत उत्साह वर्धन हुआ।
प्र. आप लगभग सभी पुराने गायकों की हूबहू नकल कैसे कर लेते हैं?
उ. के एल सहगल साहब का गाना प्रस्तुत करना इसलिए मुझे आता है कि यह हमारे प्रशिक्षण का एक भाग था। आनन्द जी भाई द्वारा स्वर साधना का जो प्रशिक्षण देते हैं उसमें हमें प्ले-बैक गायन की बारीकियां समझाई जाती हैं। प्ले-बैक के लिए यह ची$ज जरूरी थी कि आप अपनी आवा$ज को इस प्रकार रखें जो किसी हीरो की आवा$ज से मैच करती हो। जब हमें प्रशिक्षण दिया जाता था तब हमसे मुंह से तानपुरा बजवाया जाता था। गायन के बारे में हमें समझाया जाता था कि के एल सहगल साहब का टोन शहनाई से मिलता जुलता है। इसी प्रकार लता जी की आवा$ज बांसुरी से बहुत मिलती जुलती है इस तरह की छोटी से छोटी ची$जें हम लोगों को सिखाई जाती थीं। यही कारण है कि मैं लगभग सभी पुराने गायकों की आवा$ज में गीत प्रस्तुत कर लेता हूं।
प्र. गायक-गायिकाओं में आपका पसन्दीदा कलाकार कौन है?
उ. गायकों में मुझे मोहम्मद रफी और गायिकाओं में लता एवं आशा जी दोनों की आवाज़ बहुत पसंद है। $ग$जल गायकों में वैसे तो मुझे कई लोग पसंद हैं परन्तु अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन को मैं विशेष रूप से पसंद करता हूँ क्योंकि वो जयपुर घराने से सम्बंध रखते हैं और मैंने भी उसी घराने से संगीत सीखा है।
प्र. भविष्य में आपका क्या सपना है?
उ. मैं फिल्मों में प्ले-बैक सिंगिंग में अपना नाम कमाना चाहता हूँ। मैंने टीवी में कई कार्यक्रम किये प्रस्तुत किये हैं। इनमें एक काउन डाउन शो, एक रिर्पोटिंग शो, एक दर्शकों से सीधे रूबरू बात करने का कार्यक्रम, जिसका नाम फिल्मी दीवाने था आदि कार्यक्रम मैंने प्रस्तुत किये।
प्र. कोई ऐसी घटना जिसे आप जीवन में कभी भुला न सकते हों?
उ. ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुझे ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा जिससे उस घटना को मैं कभी भुला ही नहीं सकता-‘कार्यक्रम में मैंने एक गाना गाया जो लोगों को पसंद आया और दोबारा गाने की फरमाईश की गई। मैंने उसे दोबारा गाया। उसी गाने पुन: गाने की फरमाईश आती रही और मैं गाता रहा इस तरह मैंने उस गाने को छै: (6) बार गाया उसके बाद मैंने कहा कि मैं अब अगला गाना सुनाता हूँ तो एक बंदूक के फायर की आवा$ज आई और मुझे उस गाने को सातवीं बार भी गाना पड़ा।Ó इसके अलावा और कोई घटना ऐसी नहीं हुई।
प्र. गायकी के क्षेत्र में आने के कारण आपको कभी कोई परेशानी तो नहीं हुई?
उ. मैं गायकी के अलावा और कुछ सोच भी नहीं सकता। इस क्षेत्र में आने के बाद मुझे कभी भी कोई परेशानी नहीं लगती। ऐसा कभी मन में भी नहीं आता की गायकी को छोड़कर कुछ और भी किया जाये।
प्र. टीवी पर आयोजित गायकी प्रतियोगिता के शो कितने वास्तविक होते हैं और उनमें प्रतिभाओं को कितना बढ़ावा दिया जाता है?
उ. वैसे तो उन कार्यक्रमों के माध्यम से जिन कलाकारों को मंच मिलता है उनकी एक पहचान कायम होती है, और आपस में प्रतियोगिता होने के कारण उनकी प्रतिभा में निखार आता है। इनमें कई कलाकार ऐसे होते हैं जिनको मुम्बई आने का अवसर मुश्किल होता है लेकिन इन कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें एक मंच मिल जाता है। हालांकि इसमें जो विजेता बनता है उसे एकदम आसमान पर चढ़ा दिया जाता है लेकिन जब बाद में उसका सामना वास्तविकता से होता है तो उसे एक प्रकार से नुकसान ही होता है। धीरे-धीरे जो सीढ़ीयां चढ़ते हैं वो कठिन परिश्रम करके अपना एक मुकाम बनाते हैं उस पर टिके भी रहते हैं।
एसएमएस सिस्टम के माध्यम से जीत-हार का फैसला विश्वसनीय नहीं होता है। आयोजक जिसे चाहते हैं उसे अन्दर रखते हैं, जिसे चाहते उसे बाहर कर देते हैं। जज के रूप में बैठे हुए संगीतकार एवं गायक भी अपने आपको ही प्रमोट करने में लगे रहते हैं। फिल्मी अंदा$ज शो में छाया रहता है।
प्र. क्या आपने किसी फिल्म या टीवी सीरियल में गीत गया?
उ. राजपाल यादव की फिल्म के लिए और एक गाना और शमी टण्डन के लिए भी गाना गाया। इसके अलावा रीमिक्स एलबम में भी गाने गाये हैं। देश में निकला होगा चांद और कुमकुम जैसे धारावाहिकों में भी गीत एवं जिंगल्स गाये हैं।
प्र. आप अपने साथियों के लिए कोई संदेश देना चाहेंगे?
उ. आने वाले कलाकारों में भी बहुत प्रतिभा है। पी भाविनी जैसी बाल कलाकार को सुनकर अच्छा लगता है। आजकल सभी अभिभावक अपने बच्चों को प्रोत्साहित एवं सहयोग करते हैं $जरूरत है बच्चों को सही प्रशिक्षण दिलाने की।
प्र. रिकॉर्ड बनाने के लिए बच्चों से निरन्तर कई घण्टों तक गायकी करवाने को आप क्या उचित मानते हैं?
उ. एक गायक होने के नाते मैं यह कहूँगा कि मैं यह ची$ज ठीक नहीं है और यदि मुझसे कोई ऐसा करने को कहेगा तो मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा। क्योंकि इससे गायक को आगे चलकर बहुत नुकसान पहुंचता है।