महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती रेलम चौहान अत्यंत मृदुभाषी हैं। श्रीमती चौहान झाबुआ जिले में भाजपा में सन् 1989 से सक्रिय सदस्य के रूप में जनता की भलाई के कार्य करती आ रही हें और भविष्य में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहते हुए झाबुआ जिले का विकास योजनाबद्ध तरीके से करने की इच्छा रखती हैं। आप नगर पालिका अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी में भी रही हैं। आप एक भरे-पूरे परिवार से संबंध रखती हैं। आपके पिता स्व. श्री दर्शन सिंह भी राजनीति में सक्रिय थे। प्रस्तुत है रईसा मलिक से उनकी बातचीत के कुछ अंश :-
प्र. राजनीति में आप कब से सक्रिय हैं।
उ. राजनीति में मैं सन् 1989 से सक्रिय हूं।
प्र. महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर कार्यभार आपने कब संभाला?
उ. महिला आयोग के अध्यक्ष पद का कार्यभार मैंने 29 जुलाई 2004 को संंभाला।
प्र. राजनीत में आने की प्रेरणा आपको किससे और कैसे मिली?
उ. मैं एक ऐसे परिवार की पुत्री हूँ जिसके मुखिया अर्थात् मेरे पिता स्वयं राजनीति में सक्रिय रहते हुए जनता की सेवा करते थे। मैं अपने पिता स्व. श्री दर्शन सिंह से प्रेरणा लेकर इस क्षेत्र में जनता की सेवा करने के लिए आई हूँ।
प्र. कोई ऐसा घटना जिसे आप जीवन में भुला न पाई हों?
उ. जब मैंने लोकसभा का टिकिट मांगा और मेरा टिकिट कट गया था तब मेरा मन बहुत दुखी हुआ था इस घटना को मैं नहीं भुला सकी हूं। ये तो मेरे मन की बात है लेकिन पार्टी ने जो सही समझा था किया। पार्टी से मुझे कोई शिकायत नहीं है।
प्र. कोई ऐसा काम जो आपने सोचा है,्र लेकिन आप अभी तक कर नहीं पाई हैं?
उ. मैंने राजनीति में सक्रिय रहते हुए योजनाबद्ध तरीके से अपने क्षेत्र झाबुआ का विकास करने का काम सोचा है, जिसूे मैं अभी कर नहीं पाई हूँ। झाबुआ क्षेत्र का विकास ही मेरा सपना है और मैं इसके लिये मैं हमेशा प्रयासरत रहती हूं।
प्र. भविष्य में आपका क्या करने का इरादा है?
उ. भविष्य में भी मैं राजनीति में सक्रिय रहते हुए जनता की भलाई के कार्य करती रहूंगी और भाजपा मेरी पार्टी होगी।
प्र. कोई ऐसा क्षण जब आपने अपने जीवन में कठिनाई महसूस की हो?
उ. जीवन में कठिनाई तो आती ही है मगर अपनी कार्य क्षमता और कार्यकुशलता से और जनता के सहयोग से कठिन परिस्थिति भी सरल हो जाती है। और उनका समाधान निकल आता है।
प्र. राजनीति में सक्रिय होने और समयाभाव के कारण परिवार के साथ तालमेल कैसे बिठाती हैं?
उ. राजनीति में मुझे मेरे पति का पूरा-पूरा सहयोग मिलता है जिससे परिवार के साथ तालमेल बिठाने में मुझे कोई परेशानी नहीं होती।
प्र. आपके विभाग में कार्यरत महिलाओं की स्थिति कैसी है?
उ. मेरे विभाग महिला आयोग में काम करने वाली महिलाओं की स्थिति अच्छी है। मेरे विभाग की महिलाएं सशक्त नारी बनने की क्षमता रखती है। और अपना काम सफलता से करती हैं।
प्र. महिला आयोग और पुलिस में दर्ज आंकड़ों में फर्क क्यों आता है?
उ. महिला आयोग में जब केस रजिस्टर्ड हो जाता हे तो हम उस केस का पीछा तब तक करते हैं जब तक केस दर्ज्र करवाने वाली अबला महिला को न्याय नहीं मिल जाता। लेकिन पुलिस में दर्ज केसों को एक सीमा तक ही दर्ज रखा जाता है किसी कारणवश केस संबंधित महिला के उपस्थित न होने आदि कारण से पुलिस केस को वहीं बंद कर देती हैं। जिससे उनके आंकड़े कम और महिला आयोग के आंकड़े अधिक हो जाये हैं।
प्र. महिलाओं के हित संरक्षण के लिए क्या प्रयास कर रही हैं?
उ. महिलाओं के लिए महिला बाल विकास से जो योजनाएं चल रही हैं। मेरा प्रयास है कि इन योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा महिलायें उठा सकें।
प्र. आपके कार्यभार-संभालने के बाद आपने महिला आयोग में क्या परिवर्तन किये?
उ. पूरे मध्य प्रदेश में संभाग और जिला स्तर पर बेंच लगाकर केस दर्ज करने और निपटारा करने के आदेश दिये गये हैं आयोग की सदस्यों को उनके विभाग बांट दिये गये हैं और सभी सदस्य महिला उनके क्षेत्रों में ही बेंच द्वारा केस को दर्ज और उनका निपटारा करती हैं जिससे गरीब और परेशान महिलाओं को अपने केस दर्ज करवाने के लिए भटकना नहीं पड़ता।
प्र. अदालत से भी जब किसी महिला को न्याय नहीं मिल पाता और न्यायालय के फैसले के बाद वह नियत अवधि के अन्दर केस की अपील किसी कारणवश नहीं कर पाती और वह न्याय की आशा करती हैं, तब आपके क्या प्रयास होते हैं?
उ. जब किसी महिला को अदालत से न्याय नहीं मिलता और वह दोबारा केस दर्ज करवाना चाहती है तब महिला आयोग पुलिस के द्वारा दोबारा केस दर्ज कर न्याय दिलवाने का पूरा प्रयास करता है।
प्र. सभी महिलाओं के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगी।
उ. घर से बाहर निकलें और पुरूष के कंधे से कंधा मिलकर काम करें और हर कठिन परिस्थिति का डटकर मुकाबला करें।
-रईसा मलिक
सातवां फलक के जुलाई 2005 में प्रकाशित