दूरदर्शन के प्रसिद्ध धारावाहिक बहादुर शाह जफर की मशहूर कव्वाली छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाइके के द्वारा सारे देश में अपना नाम रोशन करने वाले भोपाल निवासी मुनव्वर कय्यूम को जहां कव्वाली गाने में महारत हासिल है, वही भजनों की प्रस्तुति भी वह बखूबी करते हैं। अपने प्रारंभिक दौर में अपने जोड़ीदार के साथ मुनव्वर मासूम के नाम से प्रसिद्ध गजल एवं कव्वाली गायक अब मुनव्वर कयूम के नाम से गा रहे हैं। भोपाल में जन्म लेने वाले मुनव्वर कय्यूम के पिता मोहम्मद उस्मान क्लासिकल गायक थे, इनका ताल्लुक मेवात कराने से है। यह जूनागढ़ रियासत के राजकीय गायक थे। मोहम्मद कय्यूम के उस्ताद अब्दुल गफूर खान थे। आप ने 7 साल की साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था और 9 साल की उम्र में तो आपके 14 एचएमवी रिकार्ड निकल गए थे। 8 साल की उम्र मेें आप मुंबई चले गए थे।
आपने सूफियाना कलाम बी आर चोपड़ा के सीरियल ‘बहादुर शाह जफरÓ के ‘छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके Óतथा धारावाहिक ‘अपना यह चमनÓ के गीत
‘मिल गए जब हमारे कदम से कदम
रास्तों में उजाले बिछा देंगे हम
प्यार है वह जुबां उस जुबां की कसम
इस धरती से नफरम मिटा देंगे हम
आपने बतौर हीरो राजबब्बर की फिल्म ‘ जीवन साथीÓ का गीत ‘लागे-लागे नैन पिया सेÓ भी गाकर शोहरत हासिल की। उन्होंने बताया कि हम सौदागर फिल्म में भी गा रहे थे, रिहर्सल भी हो गई थी। लेकिन किसी प्रोग्राम के लिए बाहर जाना पड़ा और वो गीत मैं नहीं गा पाया।
जब भोपाल दूरदर्शन केन्द्र का चैनल शुरू हुआ था, तब उसके उद्घाटन में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा जी भी आये थे। इस कार्यक्रम में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने शहनाई वादन किया था और मुनव्वर-मासूम ने कव्वाली पेश की थी।
आपने मुम्बई दूरदर्शन से लगभग 30-40 प्रोग्राम दिये हैं। आपका कहना है कि इस पेशे की वजह से आज तक मुझे किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा। आपके द्वारा गाये लगभग 8-10 कैसेट्स भी बाजार में आये हैं।
आपने शारजाह दुबई और भारत के लगभग सभी बड़े शहरों में अपने कार्यक्रम पेश किए हैं। आप मुंबई के लगभग 25 साल तक अपनी गायकी का जादू बिखेरने के बाद अपने देश और जन्म स्थान से अत्याधिक प्रेम होने के कारण भोपाल वापस आ गए और भोपाल में रहकर ही आप अपनी गायकी के फन का जादू भोपाल और हिंदुस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में भी बिखेरने लगे।
आपने गाये कलाम में आपको सर्वाधिक पसंद है उनमें
हक हुस्ने मोहब्बत का अदा कौन करेगा
जब हम ही ना होंगे तो वफा कौन करेगा
या रब मेरे दुश्मन को सादा रखना सलामत
वरना मेरे मरने की दुआ कौन करेगा
तथा
अपने किरदार को इस दर्जे छुपाया न करो
दिल ना मिले पाए तो फिर हाथ मिला या ना करो
आदि हैं। कव्वाली मुकाबलों में आप का मुकाबला लगभग सभी प्रसिद्ध महिला कव्वालों से हुआ है। दुबई में आपने पीनाज मसानी के साथ होटल स्टोरिया में भी अपने फोन का जादू बिखेरा है। आपको अभी हाल ही में शकीला बानो पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। आप चाहते हैं कि बच्चे भी आगे चलकर मेरे पेशे को अपनाएं और नए और सच्चे फनकार के रूप में अपनी पहचान बनाएं। वह कहते हैं कि जिस तरीके से हमारा नाम दुनिया में हुआ और लोगों को प्यार और सम्मान मुझे मिला है इसी तरीके से यह भी मेरा नाम रोशन करें। लेकिन बच्चे अभी पढ़ रहे हैं और उनका रुझान अभी पढ़ाई की तरफ है। आप आज के उभरते हुए कलाकारों से इतना ही कहना चाहते हैं कि जो कुछ भी करें अपना करें अपनी खुद की गायकी पर भरोसा करें, अपनी कम्पोजीशन बनायें। वही सही कामयाबी है। हमारी दुआएं सभी कलाकारों के साथ हैं।
– रईसा मलिक द्वारा लिये गये साक्षात्कार से संपादित अंश (यह साक्षात्कार सातवां $फलक पत्रिका के मार्च 2006 अंक में प्रकाशित किया गया था।)