मुस्लिम नौजवानों की जिम्मेदारियां

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नबी-ए-करीम स.अ.व. को पूरी दुनिया के लिए नबी बना कर भेजा गया है जैसा कि अल्लाह ने फरमाया हैः-’आप स.अ.व. पूरी दुनिया के लिए रहमत है।‘
आप स.अ.व. की जात इस ऐतिबार से मुकम्मल नमूना है क्योंकि इस में वृतांत भी है और पूर्णता भी, और यह संपूर्ण मानवता को व्याप्त है।
एक मुस्लिम नौजवान की जो समस्याएं हैं, उन समस्याओ को हल करने के लिए उसे वही रास्ता अपनाना चाहिए जिसका उपेदश उसे प्यारे नबी स.अ.व. ने दिया है। उसी के माध्यम से नौजवान अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकते है। आप के सदव्यवहार को जब नौजवान अपनायेंगे तो उन में हर तरह के दीनी और दुनियावी समस्याओं को हल करने का अभ्यास और हिम्मत उत्पन्न होगीं।
अर्थ एवं भावः-नौजवानों को अरबी भाषा में ’’शाब‘‘ कहते है। जिस का अर्थ है उच्च संकल्प वाला आगे बढने और होशियार के हैं। इसी प्रकार ’’शबाब‘‘ मे गर्मजोशी, नूरे बसीरत और सूझ-बूझ शामिल हैः- लिसानुल अरब अल मूरदः- उम्मत के मुसलेहीन (सुधारकों) के नजदीक किसी राष्ट्र का कल्याण एवं उपकार की निर्भता उस की नौजवान नस्लों पर होता हैः- मुकदमा इब्ने खुअदूनः- और प्यारे नबी स.अ.व. की शिक्षा से प्राप्त किये हुए पवित्र स्वभाव एवं सद्व्यवहार को अपनाकर ही नौजवान अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकते हैं।
प्यारे नबी स.अ.व. की जवानीः-उस समाज में गुजरी जहां लोग नंगे हो कर बैतुल्लाह का तवाफ करते थे। ः-तिर्मिजीः- और लोगो में बेहयाई नंगापन और दूसरी नैतिक बुराईयां रिवाज पा चुकी थीं। किन्तु उस माहौल में आप स.अ.व. की जवानी सुबह की रोशनी की तरह बेदाग थी जिस के कारण आप की सोसाइटी के लोगों ने आप को ’’सच्चे‘‘ और ’’अमानतदार‘‘ की पदवी दे रखा था। ः-तफसीरे तबरीः-
अगर वर्तमान समय का नौजवान आज के गुमराह माहौल में प्यारे नबी स.अ.व. की शिक्षाओं को अपनाएं तो वह भी लोगों के सामने सच्चाई और अमानतदारी का बेहतर नमूना बन सकता है। प्यारे नबी स.अ.व. की दावत को सर्वप्रथम नौजवानों ने ही कबूल किया। (कनजूल अमाल) ’’दारे-अकरम‘‘ की पहली खेप में बहुत से नौजवान सहाबा थे। आप स.अ.व. ने उन नौजवानों की इस प्रकार तर्बियत फरमाई कि वह हर बडी जिम्मेदारी को कबूल करने के योग्य बन गये। आप स.अ.व. की उस प्रशिक्षण के कारण इतिहास में यह चमत्कार हुआ कि उन नौजवानों की सरकार थोडे ही काल में एक चैथाई दुनिया में फैल गई।
प्यारे नबी स.अ.व. की शिक्षाओं के अध्ययन से पता चलता है कि प्यारे नबी स.अ.व. ने नौजवानों की जिम्मेदारियों के संबंध में तीन निशानियां निश्चित कर रखे थे। 1. शिक्षण एवं प्रशिक्षण, 2. निमंत्रण एवं प्रचार, 3. जिहाद (धार्मिक युद्ध)। इस लेख में हम नौजवानों की जिम्मेदारियों का दो प्रकार से परीक्षण लेंगे। 1. प्यारे नबी स.अ.व. ने नौजवानों को किस प्रकार प्रशिक्षण की। 2. प्यारे नबी स.अ.व. की शिक्षाओं के प्रकाश में नौजवानों की जिम्मेदारियां।
1. शिक्षण एवं प्रशिक्षणः-दीन का आरंभ ’’इकरा‘‘ से हुआ (यानी पढ) आप स.अ.व. की दुआ, मेरे रब मेने ज्ञान में अधिकता कर। आप स.अ.व. का फर्ज आप उन्हीं कुरआनो सुन्नत की शिक्षा देते। आप स.अ.व. की पहचान ’’सदव्यवहार‘‘ की पूर्ति के शिक्षक हैं।
आप स.अ.व. ने ज्ञान को जिहाद कहाः- अबू दाउदः- ज्ञानी को उपासक पर प्रधानता दी। -ःइब्ने माजाः- ज्ञान को प्रत्येक मुसलमान पर फर्ज किया गया। -ःबुखारीः-।
शिक्षण एवं प्रशिक्षण का नियमः- आप स.अ.व. का शिक्षण एवं प्रशिक्षण का नियम बडा सादा और स्वाभाविक होता था। आप स.अ.व. प्रत्येक नौजवान से उस की योग्यता के अनुसार काम लेते थे। (ईसारे कामिल) शिक्षण एवं प्रशिक्षण के दो श्रेणी थे। एक आम सहाबा और दूसरे असहाबे सुफफा थे। उन में चारों सहाबा जिन के नाम अब्दुुल्ला थे (रसूलुल्लाह स.अ.व. के चार सहाबा जिन के नाम अब्दुल्लाह थे), अबू जर, बेलाल, साद बिन हारसा, अबू हुरैरा, मुआज, बिन जबल, ओबई बिन काब (रजिअल्लाह अनहुम) आदि ऐसे असहाब सम्मिलित थे। (तबकाते इब्ने साद)
उन हर दो वर्गों की आप स.अ.व. ने प्रथम सद्व्यवहारिक प्रशिक्षण की फिर ज्ञान की शिक्षा दी। आप स.अ.व. की संगीत के उन तरशे हुए हीरों ने बाद में हर जगह अपनी प्रशिक्षण को कमाल दर्जे पर निभाया।
दीन की शिक्षाः-इस कुरआन के द्वारा लोगों का सिर ऊचा भी होता है और (छोड देने पर) नीचा भी (मोअत्ता) आप सब से अधिक कुरआन जानने वाले नौजवान को अधिमान देते थे। (इब्ने इसहाक) आज का नौजवान जितना कुरआन के ज्ञान से नजदीक होगा उतने ही जिम्मेदार बनेगा। इसी प्रकार आप स.अ.व. ने जैद बिन साबित रजि. को दूसरी जुबान सीखने का आदेश दिया।
वर्तमान समय में दीन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने समय के हरेक जुबान को सीखना नौजवानों की जिम्मेदारी है। अरब कबीलों का एक-एक गिरोह आप स.अ.व. से शिक्षा प्राप्त करता। (तबकाते इब्ने साद) आप स.अ.व. नौजवानों में शिक्षा की समझ उत्पन्न करते। अल्लाह तआला फरमाता है जिस से अल्लाह भलाई का इरादा करता है उसे दीन की समझ अता करता है। (इब्ने माजा) जैसा कि नौजवान मुआज बिन जबल रजि. का जवाब कि मैं अपनी समझ बूझ से दीन में काम लूंगा, की आप स.अ.व. ने प्रशंसा की। -ःअबूदाऊदः-
भय एवं संयमः- आप स.अ.व. की शिक्षण एवं प्रशिक्षण की विशेषता थी भय एवं संयम। आप स.अ.व. ने फरमाया है कि अर्श के साये तले नौजवान इबादत करने वाला होगा जो बुराई की दावत को अस्वीकृत कर दे। (तिर्मिजी) और आप स.अ.व. के समय के नौजवानों ने यह सब कुछ कर के दिखा दिया।
चेतना एवं जिम्मेदारी ः- नौजवानों में इस प्रकार जिम्मेदारी की चेतना उत्पन्न किया और फरमाया कि कयामत के दिन जब तक जवानी के कामों का हिसाब न दे लेंगे कदम नहीं उठा सकते। -ःबुखारीः-
प्रयत्न एवं कार्यः-और समझ इस प्रकार दिया कि जवानी को बुढापे से पहले ही कद्र के योग्य समझो। (तिर्मिजी) कुरआन में है निःसन्देह कोशिशें विभिन्न है’
प्रयत्न नौजवानों के स्वभाव की पहचान है। आप स.अ.व. ने फरमाया साहस ईमान का हिस्सा है। (बेहकी) मानो अल्लाह-व-रसूल को सितारों पर कमन्द फेंकने वाले नौजवानों से मुहब्बत थी। आप स.अ.व. ने प्रत्यन एवं कार्य की प्रधानता बयान की दानवीर का हाथ भिखारी के हाथ से अच्छा है। (बुखारी) अतः नौजवान ऊंचे साहस का आदी बन कर ही अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकता है। क्रमशः
0 हाफिज मोहम्मद सईद