मुस्लिम नौजवानों की जिम्मेदारियां

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दूसरी किश्तः-
न्यायः न्याय करो यह तकवा (संयम) के बहुत ही नजदीक है। आप स.अ.व. ने गुलाम एवं मलिक से बराबर का व्यवहार किया। बनी मखजूम की फातिमा रजि. मोहम्मद स.अ.व. की बेटी भी यह काम करती तो यह सजा पाती। (बुखारी) नौजवानों की बडी जिम्मेदारी है मगर उन्हें न्याय के तख्त पर बैठना पडे तो आप स.अ.व. की शिक्षाओं को रास्ते का दिया बना कर सिर्फ और सिर्फ हक की पासदारी करें और कानून की नजर में सब को बराबर जाने, डर, लालच, और दबाव को खातिर में न लायें।
आव भगत एवं सामानताः- लोगो तुम्हारे पास तुम ही मेें से एक पैगम्बर आये हैं, तुम्हारी तकलीफ उन्हें भारी महसूस होती है, तुम्हारी भलाई के इच्छुक हैं और मोमिनों से अत्यधिक दया एवं नर्मी से मिलते हैं। -ःतोबा 128ः-
आप स.अ.व. का यह स्वभाव था कि बैठक में किसी की बात न काटते। (तिर्मिजी) प्रत्येक व्यक्ति से दया एवं आदर के साथ मिलते। आवभगत के भरे-पूरे थे। आप स.अ.व. की दशा यह थी कि द्वार पर कोई चैकीदार नही होता था। प्रत्येक से निःसंकोच मिलना आप स.अ.व. का स्वभाव था। (कनजुल अमाल) आज हम ने इन्सानों को आर्थिक आधार पर विभिन्न स्तरों में बांट रखा है। यह नौजवानों की जिम्मेदारी है कि इन्सानी इज्जत के वास्तविक आदर्श को स्थापित करें और इन्सानी दोस्ती और खुदा परस्ती के मनोभाव को उजागर करें।
शर्मों-हयाः- तुम्हारा यह व्यवहार नबी के लिए कष्टदायक है और वह तुम से शर्माता है‘‘ (कुरआन) शर्मो-हया मानवीय स्वभाव का ऐसा रत्न है जो उसे पवित्रता प्रदान करता है हुजूर स.अ.व. बचपन ही से लज्जावान ओर शर्मीले थे। (तबरा) आप स.अ.व. का कथन है कि हया (लज्जा) आधा ईमान है। -ःअश्शफाः-
हया दीने इस्लाम का विशिष्ट गुण है। (मिशकात) आज के नौजवानों में जब शर्मो-हया की अधिकता होगी तो समाज से कुमांर्गी दृष्टि का अंत हो जाएगा। एक शरीफ नौजवान की दृष्टि जब हया (लज्जा) से झुकती है तो जमाने भर की पवित्रता अपने अन्दर बटोर लेती है।
सतीत्व एवं संयमः- और वह अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करते हैं।‘‘ -ःमोमेनूनः5ः-
आप स.अ.व. ने औरतों से पाक दामनी पर बेअत ली कि वह इस चीज की प्रतिज्ञा करें कि वह जिना (व्याभिचार) नहीं करेंगी। (कुरआन) ऐसे ही फरमाया कि जो संयम एवं पवित्रता पर पराधीन रहे उस के लिए जन्नत की प्रतिभूति (जमानत) है। (बुखारी) आप स.अ.व. ने फरमाया कि जिस नौजवान को काम वेग उभरने की संभावना हो तो उसे चाहिये कि रोजा रखे। -ःमिश्कातः-
आप स0.अ.व. का कथन है कि ’’ ए कुरैश के नौजवान, निकाह से अपने सतीतत्व की रक्षा करो। (मुस्लिम) युवावस्था आवेशों के बढाने का समय होता है। इस्लाम धर्म ने इस अवसर पर भी नौजवानों को रास्ता दिखाया है। उन के लिए निकाह का अनोखा सिद्धांत निर्णय किया है। आप स.अ.व. की शिक्षाओं से नौजवान अपनी जवानी को उचित अवसरों पर प्रयोग कर सकते हैं।
नजर झुका लेनाः- ’’मोमिनों से कह दें कि वह अपनी नजर झुका लिया करें।‘‘ सरः नूर-30
शर्माे-हया से भरी हुई दृष्टि एक शरीफ मुस्लिम नौजवान की पंूजी है। दुश्चरत्रिता की दृष्टि जब बढती है जो नौजवान बुराईयों के दल-दल में फंस जाता है। इसलिए आप स.अ.व. की शिक्षाओं में नौजवानों के लिए एक प्रकार से रास्ता दिखाने की व्यवस्था की गई है कि पहले ही मंजिल पर उनके सामने रोक लगा दी जाये। कुरआन में है ः और जिना के करीब भी न जाओ।‘‘ (बनी इस्राईल 32)
दृष्टि का बहकना नौजवान को जिना तक ले जाता है। रसूलुल्लाह स.अ.व. का कथन है ः ’’नजर‘‘ इबलीस के तीरों में से एक जहरीला तीर है। (मसनद दारमी) जब पवित्र दृष्टि हो तो मनोभावों में पवित्रता आती है और नौजवान को अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का एहसास होता है।
बुजुर्गों का सम्मानः- बुजुर्गों का सम्मान और उनकी सहायता नौजवानों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। आप स.अ.व. का कथन है कि नौजवान किसी बूढे बुजुर्ग का सम्मान करता है, अल्लाह तआला उस नौजवान को बुढापे में इज्जत करवाता हैै। (तिमिर्जी) अर्थात जवानी में सेवा बुढापे में आसानी। वह काटेगा बुढापे में जो बोता है जवानी में।
छोटों पर दया ः छोटों पर दया न करने वाले आप स.अ.व. ने अपनी उम्मत में शुमार नहीं किया है। (बुखारी) आप स.अ.व. बच्चों से अधिक मोहब्बत करते थे, उन्हें कंधों पर बिठाते थे और मनोरंजकीय सामान उन्हें ला देते। -अश्शफा-
पवित्रता और स्वास्थ्यः ’’आप अपने लिबास को पाक रखें।‘‘ -मुदस्सिर-4-
पवित्रता और स्वास्थ्य को अपना करके नौजवान अपनी जिम्मेदारियों को सिद्धांतःनिभा सकते हैं। रसुलुल्लाह स.अ.व. के कथानानुसार भूख लगे तो खाओ पेट भर कर मत खाओ। (तिर्मिजी) यह स्वास्थ्य का मूल सिद्धांत है। आप स.अ.व. की शिक्षाओं से प्रकट होता है कि आप स्वास्थ्य के बचाव पर किस प्रकार महत्व देते थे। संसार के धर्मों में इस पहलू पर आमतौर से विमुखता की गई है। आप स.अ.व. ने फरमाया कि तेरे शरीर का तुझ पर हक है। (मिश्कात) पवित्रता को आधा दीन (धर्म) माना गया है। (मुस्लिम) एक व्यक्ति को परागन्दा (अस्त-व्यस्त) हाल देख कर नापसंद फरमाया। (तिर्मिजी) यात्रा में कंघी, आईना और तेल साथ रखते। (इब्ले माजा) उम्मे मोबद की बकरी का जिस प्रकार दूध दूधिया, वह पवित्रता की उत्तम उदाहरण है। आप स.अ.व. जिस रास्ते से गुजरते वह खुश्बू से महक उठती। (तिर्मिजी) अच्छे लिबास में नौजवान, सही दीन को दृष्टिगत रखें कि अच्छा लिबास तो लिबासे तकवा (परहेजगारी) है। पवित्र शरीर और बुद्धि रखने वालों की बातें दिल में उतरती चली जाती हैं। (क्रमशः) 0 हाफिज+ मोहम्मद सईद