भारतीय राष्टï्रीय पक्षी मोर प्रकृति की सबसे खूबसूरत रचनाओïं मेंï से है। इसके सतरंगी पंख इस कदर आकर्षक और लुभावने होते हंैï कि लगता है कि इस कृति की रचना करने मेंï प्रकृति ने अपने कौशल का संपूर्ण खजाना लुटा दिया है। आखिर रुपहले नर मोर के पंखोï के सतरंगी रंगोंï का निर्माण कैसे होता है और ये इतने आकर्षक क्योंï लगते हैंï? इन सवालोंï के जवाब अब तक किसी के पास नहींï थे। लेकिन चीन के एक साइंटिस्ट ने मोर और अन्य रंग-बिरंगे पशु-पक्षियोंï के रंगीले सौंïदर्य का कारण ढूंढ निकाला है। नेशनल जियोग्राफिक के रिपोर्ट के अनुसार यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंïकि औद्योगिक दुनिया से लेकर दूरसंचार और कंप्यूटर इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रोï मेंï इसके व्यापक उपयोग हैïं।
अब तक माना जाता था कि मोर के पंख के चटखीले रंग पंखोंï पर मौजूद पिगमेंïट्स के कारण होते हैंï और मोर के पंखोï के प्राकृतिक पिगमेंïट्स के समान कृत्रिम पिगमेंïट्स बनाकर इनका उपयोग दुनियाभर के पेïंट उद्योग मेंï रंगोंï को और चटखीला बनाने मेंï किया जा रहा है।
लेकिन इस नई खोज से कई नए तथ्य भी प्रकाश मेंï आए हैïं। साइंस जर्नल ‘प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज’ मेंï प्रकाशित शंघाई स्थित फ्यूडान यूनीवर्सिटी के भौतिकशास्त्री डा. जियान झी की शोध रिपोर्ट के अनुसार नर मोर के पंखोï के चटखीले रंगोंï का कारण पिगमेंïट्स नहीïं हैï।
मोर के जादुई रंग संयोजन का राज इसके पंखोंï मेंï मौजूद सूक्ष्म व आपस मेंï गुंथी हुई क्रिस्टल जैसी टू डायमेंïशनल संरचनाएं हैï। इनके बीच की दूरी हल्की सी भी बढ़ाने पर इन संरचनाओंï से प्रकाश के विभिन्न तरंग दैघ्र्यों या वेव लेïंथ्स के परावर्तन या रिफलेक्शन दिखने लगते हैïं। इसीलिए मोर के पंख को घुमाते ही उसमेंï नए-नए रंगोïं के पैटर्न नजर आने लगते हैï।
डा. झी बताते हैï कि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मोर के पंखोïं के सतरंगी रहस्य के बारे मेंï सबसे पहले 17 वींï और 18 वीïं शताब्दी मेंï इंग्लैïंड के महान गणितज्ञ व भैतिकशास्त्री सर इसाक न्यूटन ने शोध किया था। सर न्यूटन ने ही बताया था कि मोर तथा अन्य रुपहले पशु-पक्षियोंï के पंखोï मेंï मौजूद ये सूक्ष्म तथा पर्त-दर-पर्त आपस मेंï गुथीï संरचनाएं ही इनके चमत्कारिक रंग संयोजन का कारण हैï। लेकिन अब तक भौतिकशास्त्री यह पता नहींï लगा सके थे कि पंखोंï मेंï विभिन्न रंग संयोजन उत्पन्न करनी वाली सही-सही भौतिकीय प्रक्रिया क्या है। हमारी टीम ने मोर के पंख मेंï रंग उत्पन्न करने वाली सरल प्रक्रिया का पता लगाने मेंï सबसे पहले सफलता प्राप्त की है। हम पिगमेंïटेशन प्रक्रिया के कारण ही प्रकृति के अद्भुत रंगोïं को देख पाते हैïं।
पिगमेंïटेशन प्रक्रिया मेंï सूर्य की सतरंगी किरण जब किसी वस्तु पर पड़ती हैं तो किसी खास तरंग दैघ्र्य वाले रंग उस वस्तु द्वारा सोख लिए जाते हैं और अन्य रंग परावर्तित हो जाते हैï, उदाहरण के तौर पर पत्तियोंï के क्लोरोफिल द्वारा हरे रंग को छोड़कर अन्य सभी तरंग दैघ्र्य के रंगोïं को सोख लिया जाता है, जबकि हरा रंग परावर्तित कर दिया जाता है इसलिए पत्तियां हमेंï हरे रंग की दिखती हैï। हमारी त्वचा और बालोï के रंग के लिए भी पिगमेंïटेशन प्रक्रिया ही जिम्मेदार होती है।
प्रकृति के कुछ खास जीवोïं ने रंग प्रदर्शन के लिए इससे कुछ अलग रणनीति अपनाई। उन्होंïने विकास की प्रक्रिया मेंï कुछ ऐसी सूक्ष्म संरचनाएं विकसित कर लीï जो प्रकाश की किरण के कुछ चुनिंदा रंगोंï को फिल्टर करने और परावर्तित करने मेंï सक्षम थीï। तितलियां और शलभ ऐसे जीवोंï के उदाहरण हैï, इनके अलावा बीटल्स, हमिंगबर्ड और मोर भी इन्हींï जीवोंï की श्रेणी मेंï आते हैïं।
रंगोंï के इस रहस्य का समाधान करने के लिए डा. झी और उनके सहयोगियोंï ने अपने शोध मेंï बेहद शक्तिशाली इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप्स की मदद ली। इस माइक्रोस्कोप से ही उन्हेïं मोर के पंख मेंï टू-डायमेंïशनल सूक्ष्म क्रिस्टलोंï की मौजूदगी का पता चला। इन क्रिस्टलोंï को डा. झी ने फोटानिक क्रिस्टल्स का नाम दिया है। ये क्रिस्टल्स मानव बाल से भी सौ गुना अधिक सूक्ष्म होते हैंï।
इंग्लैïड स्थित यूनीवर्सिटी आफ आक्सफोर्ड मेंï विकासवाद जीवविज्ञानी और पशु-पक्षियोंï के रंगोïं के विशेषज्ञ डा. एंड्रयु पारकर बताते हैंï कि साइंटिस्ट मोर के पंख मेंï पाए जाने वाले इन फोटानिक क्रिस्टलोïं का प्रयोग औद्योगिक खासतौर पर पेïंट व रंग उद्योगोïं मेंï और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मेंï किए जाने की अपार संभावनाएं हैï। विशेषतौर पर दूरसंचार के उपकरणोïं मेंï लाइट की चैनलिंग यानि लेजर के नियंत्रण मेंï इन क्रिस्टलोंï का व्यापक उपयोग हो सकता है। इसके अलावा इन क्रिस्टलोïं की मदद से सूक्ष्म कंप्यूटर चिप्स भी बनाए जा सकते हंै। – रफी उल्ला मलिक