लता: सुरों की मलिक

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लता मंगेशकर 28 सितंबर को अपने जीवन के 90 वेंï वर्ष मेंï प्रवेश कर रही हैï। वह अपने जन्मदिन के साथ-साथ यश चोपड़ा की फिल्म वीरा-जारा मेïं गाए गए अपने गानोंï के कारण भी चर्चा मेïं हैï। आइए जानते हैï उनके जीवन के संघर्ष भरे सुनहरे सफर के बारे मेïं-
पुरस्कार व सम्मान
2001-भारत रत्न, 1998- पद्म विभूषण, 1989-दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 1969- पद्म भूषण
राष्टï्रीय फिल्म पुरस्कार
परिचय ,
कोरा कागज
लेकिन (1990)
फिल्मफेयर अवॉर्ड
1958- आजा रे परदेसी (मधुमती)
1962- कहीï दीप जले कहींï (बीस साल बाद)
1965- तुम्हींï मेरे मंदिर (खानदान)
1969- आप मुझे अच्छे लगने लगे
(जीने की राह)
मध्यप्रदेश सरकार तथा महाराष्टï्र सरकार द्वारा ‘लता मंगेशकर पुरस्कारÓ स्थापित।
लता ने देशी/विदेशी लगभग २५ भाषाओंï/ बोलियोंï मेंï हजारोंï फिल्मी और गैर-फिल्मी गीत गाए हैïं।
लता गायिका-अभिनेत्री-संगीतकार के साथ-साथ फिल्म निर्माता भी रही हैïं। बतौर निर्माता उन्होंïने मराठी की ‘बादलÓ, ‘कंचनगंगा तथा हिंदी फिल्म ‘लेकिनÓ का निर्माण किया है। संगीत निर्देशक के तौर पर उन्होïंने कुछ मराठी फिल्मोंï मेंï संगीत भी दिया है।
पांव लगूं कर जोरी (आपकी सेवा) लता जी के जीवन का पहला हिंदी फिल्म गीत था जिसे उन्होïंने 1947 मेïं गाया था, लेकिन पहचान उन्हेंï पद्मिनी फिल्म के बेदर्द तेरे दर्द को.. गीत से मिली।
लता जी पर अक्सर यह आरोप लगता था कि वह पाश्र्वगायन में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए उभरती हुई गायिकाओïं को बढ़ावा नहीïं देतीï। यह और बात है कि 1969 के बाद नई गायिकाओïं को प्रोत्साहन के उद्देश्य से उन्होïंने फिल्मफेयर अवॉर्ड स्वीकार करना बंद कर दिया था।
संगीतकार ओपी नैय्यर जी से लता जी की कुछ कहासुनी हो जाने के बाद लता जी ने उनके साथ फिर कभी काम न करने की कसम खा ली थी।
हाल ही मेंï शबाना आजमी ने राज्ससभा मेïं लता जी की लगभग नगण्य उपस्थिति पर आपत्ति जताई थी, जो कई दिनोंï तक चर्चा का विषय रही। उनके गाए कलियोïं का चमन गीत को अनाधिकारिक रूप से एक अफ्रीकी बैïंड द्वारा अपने वीडियो मेंï प्रयोग करने पर लता जी ने बैïंड पर मुकदमा ठोïंका था।
लता के 90 वर्ष
कल्पना कीजिए लता मंगेशकर के 50,000 गीतोï मेंï से पसंदीदा गीत चुनना। मुश्किल है न, हमारे लिए भी मुश्किल था इसलिए लता जी के गाए सदाबहार गीतोंï मेंï से कुछ ही अनमोल नगमोïं पर गौर फरमाएï:
आएगा आनेवाला.. महल
वंदे मातरम.. आनंद मठ
प्यार हुआ इकरार.. श्री ४२0
ऐ मालिक तेरे बंदे.. दो आँखे बारह हाथ
प्यार किया तो डरना.. मुगलेआजम
अजीब दास्तां है.. दिल अपना और प्रीत पराई
मोरा गोरा रंग लई.. बंदिनी
नैना बरसे.. वो कौन थी
ए दिले नादां.. रजिया सुल्तान
अल्लाह तेरो नाम.. हमदोनोï
ज्योति कलश छलके.. भाभी की चूडिय़ां
ठाड़े रहियो.. पाकीजा
आज फिर जीने की.. गाइड
बिंदिया चमकेगी.. दो रास्ते
तू जहां-जहां चलेगा.. मेरा साया
शीशा हो या दिल.. आशा
ये गलियां ये चौबारा.. प्रेम रोग
मेरे हाथोï मेंï नौ-नौ.. चांदनी
तुझे देखा तो ये.. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
जिया जले जां जले.. दिल से
संस्मरण
* बुड्ढा मिल गया… और ना-ना करते प्यार जैसे गीतोïं ने भले ही रिकॉर्डतोड़ सफलता दर्ज की हो, परंतु लता जी को ये गीत न गाना पसंद है और न ही उन्हेंï सुनना। उनका कहना है कि ये गाने सुनकर वह शर्म से पानी-पानी हो जाती हैï।
* 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद शहीदोïं की याद में दिल्ली स्थित नेशनल स्टेडियम मेïं आयोजित कार्यक्रम मेïं लता जी ने जब ऐ मेरे वतन के लोगोïं… गाया तो सभी की आँखेï छलछला उठींï। उनमेंï भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी थे। – रईसा मलिक