सफल वैवाहिक जीवन कौन नहीं चाहेगा। जब विवाह सफल होता है तो इससे मिलने वाली खुषी पति-पत्नी दोनों में ऊर्जा का संचार करती है। मगर जब सारे अरमान विवाह के कुछ समय के बाद रेत के टीले की तरह ढह जाते हैं तो दोनों साथी स्वयं को अकेला व अपमानित महसूस करने लगते हैं।
आप अपने वैवाहिक जीवन को कितना सुखमय बना सकते हैं यह तो स्वयं आप पर ही निर्भर करता है। आपके वैवाहिक जीवन का असर आपके बच्चों पर भी पड़ता है। आइए आपको कुछ सुझाव बताते हैं जिन पर गौर करके आप निष्चय ही अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बना सकते हैं-
– अगर आप यह मान लें कि आपके पति या पत्नी बहुत अच्छी हैं और उनके हर कार्य को खुषी से लें तो मुमकिन है कि आपको भी दूसरी तरफ से वैसी ही प्रतिक्रिया मिले।
– अक्सर देखने में आता है कि हनीमून मना कर लौटने के बाद युगल दुबारा अपनी युवावस्था की दहलीज पर पहुंच जाते हैं और वे एक दूसरे से ‘पहले आप, पहले आप’ की अपेक्षा रखने लगते हैं। साथ ही ‘मैं सही हूं’ की गलत सोच भी वैवाहिक जीवन के लिए बुरी साबित हो सकती है।
– विवाह को सफल बनाने के लिए पति-पत्नी के बीच नियमित संवाद होना बहुत जरूरी है। यदि दोनों में निरंतर विचारों का आदान-प्रदान होता रहे तो विवाह की नाजुक डोर और भी मजबूत हो सकती है। कभी-कभी होता यह है कि गलतफहमी के कारण दोनों बोलचाल बंद कर देते हैं और बात स्पष्ट होने पर दोनों को अपनी गलती का एहसास होता है लेकिन तब तक रिष्तों में कड़वाहट तो आ ही चुकी होती है। याद रखें, गलतफहमियां दूर कर संबंध फिर से स्थापित किए जा सकते हैं। बेहतर यही होगा कि आप अपने जीवनसाथी की बात पूरी तरह सुनने के बाद ही कोई जवाब दें। अगर कोई गलतफहमी है तो उसे उसी समय स्पष्ट कर लें। कभी भी यह न दिखाएं कि आप सब समझती हैं।
– एक दूसरे के सहभागी बनें। शादी के शुरू के दिनों में खासतौर पर यह एहसास दिलाना बहुत जरूरी होता है कि आप एक दूसरे की इज्जत करते हैं। यही विष्वास की डोर को मजबूत बनाती है और एक अटूट बंधन में बांध देती है। प्रयास करें कि एक दूसरे को नीचा न देखना पड़े मगर अपना आत्मविष्वास दांव पर लगाए बिना।
– इस बात को गांठ बांध लें कि आपके कहने पर कोई अपना व्यवहार नहीं बदलेगा। बेहतर यही होगा कि जब भी आप उन्हें कुछ अच्छा कार्य करता देखें तो उनकी तारीफ करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। उनके सकारात्मक पहलुओं पर अधिक ध्यान दें। ऐसा करने से उनके नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान जाएगा ही नहीं बल्कि हो सकता है कि प्रोत्साहन मिलने पर वह स्वयं को बदल ही लें।
– इस नाजुक रिष्ते को अपने अच्छे बरताव और संयमित व्यवहार से और मजबूत बनाएं। हंसी-मजाक और थोड़ी-बहुत चुहलबाजी का माहौल घर में बनाए रखें। कुछ नहीं तो विवाह पूर्व दिनों के बारे में सोच कर अपने वैवाहिक जीवन को खुषहाल बनाने का प्रयास करें।
– वैसे वैवाहिक जीवन को खुषहाल बनाने की अधिकांष जिम्मेदारी पति पर ही होती है उन्हें भी चाहिए कि वह अपनी पत्नी की भावनाओं और उमंगों का ध्यान रखें। रोजाना नहीं तो कम से कम छुट्टी के दिन तो पत्नी को कहीं घुमाने या फिर फिल्म दिखाने ले ही जाएं। पति-पत्नी यदि एक दूसरे की भावनाओं की कद्र कर उन्हें समझें तो दोनों में एक दूसरे के प्रति प्यार तो बढ़ेगा ही साथ ही वैवाहिक जीवन भी सुखमय होगा।
रईसा मलिक