माँसाहार बनाम शाकाहार को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। दोनों के समर्थक अपने-अपने तर्क दे रहे हैंï। जिस तरह से आजकल लोग माँसाहार छोड़कर शाकाहारी बन रहे हैïं, उसे देखकर इतना तो तय माना जा सकता है कि शाकाहार ज्यादा फायदेमंद है। यदि अमेरिका जैसे माँसाहारी देश मेïं शाकाहार का प्रचार किया जाने लगे तो निश्चित तौर पर इसे शाकाहारियोïं की जीत माना जाएगा लेकिन यह केवल जीत-हार का नहींï है बल्कि लोगोंï के स्वास्थ्य से जुड़ा नाजुक पहलू भी है। वर्तमान तेजरफ्तार जिंदगी मेंï खानपान के मामले मेंï अतिरिक्त सोचने समझने की जरूरत है।
भाँति-भाँति के शाकाहारी
जिस तरह माँसाहार व शाकाहार को लेकर बहस होती है, उसी तरह शाकाहार की परिभाषा को लेकर भी गतिरोध कायम है। आम तौर पर शाकाहारी उसे माना जाता है जो अंडा, माँस, मछली का सेवन न करता हो। यह शाकाहार की आदर्श स्थिति मानी जाती है लेकिन लोगोंï ने अपनी सुविधा एवं मान्यता के मुताबिक शाकाहार को कई श्रेणियोï मेïं बाँट लिया है। स्प्राउटेरियंस श्रेणी मेंï वे लोग आते हैï, जो अधिकतर अंकुरित अनाज खाते हैïं और पेस्को वेजीटेरियन मछली का सेवन तो जमकर करते हैंï लेकिन मुर्गा-माँस नहींï खाते। इसके पीछे इनका तर्क है कि मछली मेंï जटिल तंत्रिका-तंत्र नहीï होता इसलिए इसे वेज माना जा सकता है। पॉलीवेजीटेरियन श्रेणी मेंï उन लोगोïं को रखा जाता है जो दलहन के अलावा मुर्गे का सेवन भी करते हैïं। वे पशुओïं के माँस से परहेज करते हैं। इन सबसे हटकर एक ऐसा वर्ग भी है, जो किसी भी पशु-उत्पाद का उपयोग खाने मेंï नहीïं करते। यहाँ तक कि दूध एवं शहद को भी ये लोग नॉनवेज मानते हैंï। इस वर्ग को वैगन नाम दिया गया है।
सच्चा शाकाहारी
इन सभी वर्गों मेïं स्प्राउटेरियंस को ही सही मायने में शाकाहारी माना जा सकता है। इसमेंï दो राय नहीïं कि फल सब्जियाँ, अनाज, दालेंï एवं तिलहन स्वास्थ्यवद्र्धक हैं। यह बात अध्ययनोïं से भी पूरी तरह साफ हो चुकी है। इतना ही नहींï, अध्ययनोïं के मुताबिक शाकाहारी भोजन हृदयरोग, मोटापा, मधुमेह, अनिद्रा और कई प्रकार के कैïंसर से आदमी को बचाता है। यदि इन आम रोगोïं से व्यक्ति बचा रहे तो निश्चित तौर पर शतायु हो सकता है। अधिक फल, सब्जियाँ खाने से न सिर्फ मस्तिष्क के क्रियाकलापोंï की गति नियंत्रित की जा सकती है बल्कि दिमाग की क्षमता बढ़ाने मेंï भी यह सहायक है। शाकाहार के जरिये तंत्रिका तंत्र बेहतर बनाया जा सकता है। जाहिर है, यदि तंत्रिका तंत्र सुचारु रूप से काम करे तो बीमारियाँ शरीर के पास न फटकेïंगी।
जीवन हो शुद्ध सरल
शाकाहार को लेकर हुए अध्ययनोïं से कई ऐसे तथ्य भी सामने आए हैïं जिनके बारे मेंï किसी ने कल्पना न की होगी। अध्ययनोïं के मुताबिक शाकाहारी लोग माँसाहारी के मुकाबले अधिक नैतिक व्यवहार वाले होते हैं। वे हर चीज को मानवीय दृष्टिïकोण से देखते हैïं। दरअसल, शाकाहारी लोगोï के मन मेïं कहीïं न कहींï यह बात बैठी रहती है कि वे कुछ अच्छा काम कर रहे हैïं। यही धारणा उनके नैतिक स्तर को ऊँचा उठाये रखने मेïं मदद करती है। अध्ययन से यह भी स्पष्टï हुआ है कि शाकाहारी की मृत्युदर कम होती है व दीर्घजीवी होने के साथ ही वह जीवनपर्यंत सक्रिय रहता है। इसके विपरीत माँसाहारी बुढ़ापे मेंï कई गंभीर रोगोंï के शिकार हो जाते हंैï। शाकाहारियोïं को डॉक्टर व दवाओïं का सहारा कम से कम लेना पड़ता है।
परदेसियोïं पर प्रभाव
पिछले कुछ समय से दुनियाभर मेंï शाकाहार के दीवानोïं की संख्या मेंï अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल अमेरिका मेंï एक करोड़ से ज्यादा शाकाहारी हैïं व दो करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग हैïं, जिन्होïंने जीवन मेïं कम से कम एक बार शाकाहार अपनाने का प्रयास किया। अध्ययन मेंï एक बात और सामने आयी है कि अमेरिका मेïं खास तौर पर युवा एवं बच्चे तेजी से शाकाहार की ओर अग्रसर हो रहे हैïं। इतना ही नहीïं, माँसाहार के लिए चर्चित देशोंï मेंï भी ऐसे होटल खोले जा रहे हैïं, जहाँ केवल शाकाहारी भोजन मिलता है अथवा उनके मेन्यू मेंï शाकाहारी व्यंजनोंï की संख्या बढ़ी है। कैलीफोर्निया मेïं तो कई ऐसे होटल खुले हैïं, जहाँ ग्राहकोïं को कोई भी पोल्ट्री या डेयरी उत्पाद नहीïं परोसा जाता।
कुछ छोटी-मोटी परेशानी
शाकाहारी लोग कई बार विटामिन -डी एवं बी-12 की कमी की शिकायत करते हैïं। माँसाहार को महिमामंडित करने वाले इन शिकायतोïं को शाकाहार के खिलाफ हथियार के रूप मेïं इस्तेमाल करते हैं लेकिन अध्ययनोंï से यह तथ्य सामने आ चुका है कि शाकाहार को सनक की हद तक अपनाने वालोंï के सामने ही ऐसी दिक्कतेंï आती हैï। दरअसल ऐसे लोग अंडे व डेयरी उत्पादोïं का कड़ाई से परहेज करते हैï। नतीजतन उनके शरीर मेंï लौह तत्व, कैल्शियम एवं विटामिन की कमी हो जाती है। शाकाहार की सनक के कुछ ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैï, जिनमेंï चमड़े, ऊन आदि पशु उत्पादोïं को छूने से भी परहेज किया जाता है। इन लोगोंï को छोटी-मोटी परेशानियाँ होनी स्वाभाविक हैं।
निस्संदेह है यह स्मार्ट फूड
शाकाहार के पक्ष मेï इतने अध्ययन अब तक हो चुके हंैï कि अब इसे माँसाहार से बेहतर मानने मेïं कोई हिचक नहींï होनी चाहिए। कई विश्वप्रसिद्ध हस्तियाँ माँसाहार को छोड़कर शाकाहार अपना रही हैïं। यही नहींï, इन हस्तियोंï ने शाकाहार के प्रचार-प्रसार को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है। इसमेंï दो राय नहींï कि शाकाहार जीव-रक्षा की नैतिक धारणा व स्वास्थ्यवृद्धि की प्रामाणिकता पर खरा है। अत: शाकाहार को स्मार्ट फूड कहने मेंï कोई संकोच नहीïं किया जाना चाहिए। न ही इसे अपनाने मेंï पीछे रहना बुद्धिमानी है। सुपरमॉडल याना गुप्ता ने पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेïंट ऑफ ऐनीमल्स के नये विज्ञापन द्वारा लोगोïं से अनुरोध किया है कि मछलियोïं को उनके संसार, समुद्र मेंï रहने दिया जाए तथा शाकाहारी जीवन पद्धति अपनायी जाए। – नरेन्द्र कुमार