सफलता के लिए समय की पाबंदी आवश्यक

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कहतेे हंैï कि समय और तूफान किसी का इंतजार नहींï करता। जो शख्स वक्त के पाबंद नहींï होते, वे जिंदगी की दौड़ मेंï पिछड़ जाते हैïं। ऐसा ही कुछ दिल्ली निवासी रंजीता कौर के साथ हुआ, जो एक बहुराष्टï्रीय कंपनी मेंï कार्यरत थी। रंजीता की सहेली विनीता का कहना है, ”जब कभी भी मैïं टाइम लेकर रंजीता से मिलने पहुंचती, तो वह अपनी सीट पर नहीïं होती। एक दिन मुझे पता चला कि रंजीता अक्सर आफिस और इससे संबद्ध बैठकोंï मेंï भी समय पर नहीïं पहुंचती। मैïंने उसे कई बार समझाया कि यह आदत तुम्हारे व्यक्तित्व और कैरियर के लिए नुकसानदेह साबित होगी। मेरी इस सलाह के जवाब मेंï वह यह जवाब देती कि क्या करूं, मैïं अपनी आदत के वशीभूत हूं। अंतत: रंजीता को इसका खामियाजा नौकरी से बर्खास्तगी के रूप मेंï भुगतना पड़ा।ÓÓ
बात सिर्फ एक रंजीता की नहीïं बल्कि देश मेंï ऐसी हजारोïं हजार ‘रंजीताएंÓ हैïं, जो समय की पाबंद न होने के कारण जीवन मेंï अनेक अवसरोंï से हाथ धो बैठती हैïं। एक अध्ययन के अनुसार किसी भी कार्य के संदर्भ मेंï दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी वक्त की पाबंद नहींï है। विकसित देशोïं के मुकाबले हमारे देश मेंï बहुत कम कार्यक्रम निर्धारित समय शुरू होते हैंï। आमतौर पर हम यदि किसी से आठ बजे मिलने का कार्यक्रम तय करते हंैï, तो साढ़े आठ बजे पहुंचते हैïं और सोचते हंैï, यह सब तो चलता है।
मनोवैज्ञानिकोïं की राय मेंï वक्त की पाबंदी की प्रवृत्ति आपके व्यक्तित्व के लक्षणोïं को ही उजागर नहीïं करती बल्कि यह आपके चरित्र के पहलू को भी दर्शाती है। इससे पता चलता है कि आप अपने प्रति और दूसरोंï के प्रति कितने प्रतिबद्ध हैï। अनेक शोधोï से पता चला है कि जो लोग निर्धारित समय पर कार्य नहीïं करते वे प्राय: चिंतित और तनावग्रस्त ही नजर आते हंैï। ऐसे लोग दूसरोंï के समय और उनकी जरूरतोïं के प्रति असंवेदनशील होते हैïं। वक्त की गैरपाबंदी के संदर्भ मेंï कुछ प्रबुद्ध लोग कटाक्ष करते हुए कहते हैïं कि हम भारतीयोïं ने आई.एस.टी. को इंडियन स्ट्रैचेबल टाइम (यहां आशय वक्त की लेट लतीफी से है) बना रखा है।
याद रखेंï, शिष्टïाचार के तहत देर से पहुंचना एक तरह से अशिष्टïता का ही सूचक है। ऐसे आचरण से यह पता चलता है कि आप किसी घटना या उससे जुड़े लोगोंï को कम महत्व देते हैïं। भले ही कोई इस लेट-लतीफी की आपके समक्ष निंदा न करें, पर वह अपने मन मेंï आपके प्रति एक धारणा जरूर बना लेता है। क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि जिस दिन आप सुबह देर से सोकर उठती हैंï, उस दिन आपके दैनिक कामकाज कितने पिछड़ जाते हैंï? याद रखें, दिन की शुरुआत ठीक वैसी ही है, जैसे किसी तालाब मेंï आपने कोई कंकड़ फेंïका हो। यह तो आपको मालूम ही है कि तालाब मेंï एक कंकड़ फेïंकने पर बार-बार गोलाकार तरंगेïं बनना शुरू हो जाती हैï। हम वक्त से गिरे लम्हे का किस तरह उपयोग करते हंैï, उसका सबसे पहला प्रभाव आने वाले पल पर ही पड़ता है। वक्त के पाबंद होने के जज्बे को अपनी दिनचर्या व जीवन-शैली का अंग बना लेंï। इससे आप किसी भी कार्य को निर्धारित समय से पूर्व ही खत्म कर लेïंगे, जिसके परिणामस्वरूप आप अंतिम क्षणोïं मेंï होने वाली हड़बड़ी और तनाव से मुक्त रह सकते हैïं।
वक्त की पाबंदी कामयाबी हासिल करने की सबसे बड़ी कुंजी है। यह प्रवृत्ति आपके सौम्य व्यवहार व आचरण की भी सूचक है। वक्त के पाबंद होने का मतलब है अनुशासन का पहला बुनियादी पाठ पढऩा। इस प्रवृत्ति से आप तयशुदा समय मेंï अपने लक्ष्योंï को हासिल कर सकते हंैï।
वक्त की पाबंदी को आप आदत के रूप मेंï भी विकसित कर सके हैंï। हालांकि शुरुआती दौर मेंï इस आदत को विकसित करने मेंï थोड़ी परेशानी भी पैदा हो सकती है, बावजूद इसके यदि आप वक्त की पाबंद होने की कोशिश जारी रखेंï, तो यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे कुछ समय बाद आपकी आदत मेंï ढल जायेगी। सच तो यह है कि किसी क्रिया को बार-बार दोहराने से ही आदतोïं का निर्माण होता है। वक्त की पाबंदी की आदत को विकसित करने के लिए हर काम को समयबद्ध रूप से अंजाम देï। छोटे-छोटे कार्यों जैसे समय पर ट्रेन या बस पकडऩे, टेलीफोन बिल अदा करने, सखियोïं और दोस्तोंï से मुलाकात आदि से आप इस प्रवृत्ति को अपनी आदत मेंï ढाल सकते हैïं।
वक्त के पाबंद न होने की इस खराब आदत से आप निजात पा सकते हैï-
* अभी इसी क्षण से अपने दिमाग मेंï यह संकल्प करेंï कि मुझे वक्त का पाबंद होना है। ज्यादातर मामलोंï मेंï तयशुदा वक्त पर किसी स्थान पर विलंब से पहुंचने या फिर किसी कार्य मेंï आलस्य दिखाने का कारण आपकी प्रतिबद्धता मेंï कमी का सूचक है। इस कमी को दूर करने का प्रयास करेंï।
* उन कारणोंï को चिन्हित करने का प्रयास करेïं, जिनके चलते आप हर काम विलंब से करते हंैï और किसी बैठक या किसी कार्यक्रम मेंï समय पर नहीïं पहुंचते। इस संदर्भ मेंï खुद से सवाल करेंï कि मैंï ऐसी कौन-सी इच्छा शक्ति विकसित करूं, ताकि सही वक्त पर पहुंचकर लोगोंï को अहसास दिला सकूं कि मैïं उन्हेïं महत्व देता हूं।
* एक तयशुदा कार्य योजना की सूची बनाएं कि दिन मेंï क्या करना है और किससे मिलना है। इस तरह की सूची से आपको वक्त का पाबंद होने मेंï मदद मिलेगी और आप समय का अधिकतम उपयोग भी कर सकेïंगे।
* घर से ही शुरुआत करेंï। फर्ज करेï कि अलस्सुबह आपके कई तयशुदा कार्यक्रम हैं, पर इस वक्त आपको सोकर उठने मेंï दिक्कत महसूस होती है, तो इस समस्या का भी समाधान है। आपके सोने का जो समय है, उससे कुछ समय पहले का अलार्म लगा देïं।
* प्लानर मेंï विभिन्न कार्यक्रमोंï को दर्ज करेंï कि किससे कब मिलना है और कहां जाना है। यह बात भी दर्ज करेïं कि आपको कब और किस वक्त घर या आफिस से निकलना है, ताकि आप सही वक्त पर हर जगह पहुंच सकेïं।
* कहीïं जाते वक्त अतिरिक्त समय का भी आकलन करेïं। कभी-कभी सामान्य हालात मेंï भी किसी कारण से विलंब हो सकता है। मान लें कि आप ट्रैफिक जाम मेंï फँस गए या फिर आपके वाहन मेंं कोई गड़बड़ी आ गई। इसलिए जिस दूरी की परिधि मेंï आपको पहुंचना है, उस स्थल पर तयशुदा वक्त से 15-20 मिनट पहले ही पहुंच जायेंï। इसके लिए आपको दूरी का ध्यान रखते हुए अतिरिक्त समय की गणना करके चलना होगा।
* यदि आपको यह महसूस हो रहा है कि निर्धारित वक्त के अंदर आप अमुक व्यक्ति के पास नहीïं पहुंच सकते, तो फोन कर क्षमा मांगते हुए यह सूचित कर देंï कि किसी कारणवश आप विलंब से पहुंचेगे।
सही समय और सही जगह पर मौजूद होने का अपना एक अलग ही सुखद अहसास है। इस स्थिति मेंï आप सुकून की सांस लेकर सहजता से होठोï पर मुस्कान ला सकते हैïं।
आपकी तरह दूसरोïं का वक्त भी कीमती है, इस बात का ख्याल रखेंï। इस संदर्भ मेंï चाल्र्स राबर्ट डार्विन का कथन गौरतलब है, ”जो शख्स एक घंटे का वक्त बर्बाद करने की जुर्रत करता है, वह जीवन के वास्तविक मूल्य को कभी नहींï खोज सकता।  – रईसा मलिक