आज के किशोर टिनीटिस :कान में लगातार गूंजती आवाज: की समस्या से जूझ रहे हैं। यह बहरेपन का लक्षण होता है। एक नए अनुसंधान में पता चला है कि इन लक्षणों को प्रारंभिक चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए क्योंकि इनका सामना कर रहे युवाओं को बहरेपन का गंभीर खतरा है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि टिनीटिस की समस्या की वजह ईयर बड है जिनका इस्तेमाल युवा संगीत सुनने के लिए हर रोज लंबे समय तक करते हैं। इसके अलावा नाइटक्लब, डिस्को और रॉक कंसर्ट जैसे शोर शराबे वाले स्थानों पर जाना भी कान की सेहत के लिए नुकसानदायक है।
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक टिनीटिस एक ऐसी मेडिकल समस्या है जिसमें कान में लगातार ऐसी आवाज बजती रहती है जिसका कोई बाहरी स्रोत मौजूद नहीं होता। इससे पीड़ित लोग इसे कानों में घंटी बजने जैसी आवाज बताते हैं जबकि अन्य इसे सीटी, गूंज, फुफकार या चींचीं की सी आवाज बताते हैं। ब्राजील की साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के तनित गांज सानेचेज ने बताया, ‘‘किशोरों में बड़े पैमाने पर टिनीटिस की समस्या है। इसे चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए क्योंकि इन युवाओं पर बहरेपन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। अगर किशोरवय पीढ़ी लगातार इतने उच्च स्तर पर होने वाले शोर के बीच रहेगी तो संभव है कि जब तक वे 30 या 40 साल के होंगे तब तक उनकी सुनने की क्षमता खत्म हो चुकी हो।’’
शोधकर्ताओं ने 11 से 17 साल के 170 छात्रों के कानों का परीक्षण करने के लिए ओटोस्कोप का इस्तेमाल किया था।
किशोरों से एक प्रश्नावली भरने को कहा गया जिसमें पूछा गया था कि क्या बीते 12 महीने में उन्होंने टिनीटिस का अुनभव किया है, अगर हां तो उसकी आवाज कितनी तेजी थी, कितनी देर तक सुनाई दी और बारंबारता कितनी है। लगभग आधे किशोरों :54.7 फीसदी: ने कहा कि उन्होंने टिनीटिस का अनुभव किया है।