एक कहावत है ”हो सकता है जिसे आप प्यार करती होंï उससे आपकी शादी न हो सके किंतु जिससे आपका विवाह हुआ हो उससे प्यार कीजिए।ÓÓ यह केवल कहावत नहींï सुखी दाम्पत्य जीवन की पहली शर्त है। यदि जीवन मेंï यह सूत्र अपना लिया जाये तो दांपत्य सुखी-मंगलमय रहेगा। पति ही नहींï उसके पूरे परिवार को नववधू से मधुर और सौम्य व्यवहार करके उसके मन से संशय और अजनबीपन जल्द से जल्द समाप्त कर देना चाहिए।
पति-पत्नी को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनके व्यवहार मेंï रूखापन, बनावटीवन न हो बल्कि सहजता, सरलता व स्पष्टï होना चाहिए। आज हर तरफ देखने और सुनने को मिलता है कि फलां के दांपत्य जीवन मेïं दरार आ गई। फलां पति-पत्नी दिनभर आपस मेïं लड़ते-झगड़ते हैïं आदि-आदि। आप कुछ चिंतन और विचार करेïं कि क्या कारण है कि पति-पत्नी के मध्य अनबन हुई। यदि शुरू से ही सामंजस्य बिठाया जाये तो कोई कारण नहीïं कि दांपत्य जीवन सफल न हो सके। कुछ साधारण सी बातेंï अपनाकर हम सभी अपना दांपत्य जीवन मधुर व आनंदमय बना सकते हैïं।
* पति-पत्नी दोनोï को पूर्व की बातोïं और घटनाओïं को भूल जाना चाहिए। एक-दूसरे से बीती घटनाएं न पूछनी चाहिए न ही भावुकतावश कभी प्रकट करनी चाहिएं।
* विवाह पूर्व का कोई पत्र, फोटो एवं कोई अन्य सामग्री हो तो उसे नष्टï कर देना चाहिए। इनके संग्रह के लालच मेंï न पड़ेïं।
* पति-पत्नी दोनोïं को एक-दूसरे पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। आपस मेïं तनिक भी संदेह न करेïं, यदि किसी प्रकार का संदेह हो तो बैठकर बात करेïं।
* पति-पत्नी को उदासीन नहींï होना चाहिए। चाहे आपका दांपत्य जीवन बिल्कुल नया हो या पुराना। हमेशा आकर्षण बनाये रखें। शारीरिक शिथिलता का अनुभव न होने देïं अर्थात हर समय ढीले-ढाले न रहेंï। पति को चाहिए कि वह साफ-सुथरा रहे। यही बात पत्नी पर भी लागू होती है।
* बेडरूम मेïं जब भी प्रवेश करेï तो व्यर्थ व विवाद की बातोंï से दूर रहेïं। किसी भी विषय पर मतभेद हो सकता है किंतु मतभेद मनभेद मेंï परिवर्तित नहींï होना चाहिए। यदि कभी विवाद हो भी जाये तो कुछ समय बाद उसको भूल जायेï, ऐसा न हो कि कोई पक्ष मुँह फुलाकर ही रह जाये।
* पति-पत्नी को चाहिए कि हमेशा एक दूसरे की पसंद का कार्य करेंï। साथ ही पारिवारिक दायित्वोंï का निर्वाह भली प्रकार करेïं अर्थात बड़ोïं के प्रति आदर व छोटोïं के प्रति प्यार रखेïं।
* पति सहित ससुराल के सभी लोगोïं को ध्यान रखना चाहिए कि बहू के मायके की आलोचना-बुराई न करें। इसी प्रकार बहू हमेशा अपने पीहर का गुणगान न करे।
* दोनोïं के मध्य कोई बात है तो उसे मित्रोंï, सहेलियोïं व संबंधियोंï को न बतायेंï, अपनी समस्या का समाधान स्वयं खोजें।
* पति जब भी घर आये तो उसका स्वागत मुस्कान से करें। यह न हो कि आते ही कोई समस्या लेकर बैठ जायें। यदि कोई समस्या है तो कुछ देर बाद और सौम्य तरीके से बतायेंï।
* जो भी घरेलू सामान मंगवाना है उसकी सूची दे देंï, यदि कभी वह लाना भूल जायेïं तो यह न कहेïं कि सामने वाले शर्मा जी को कहने की देर होती है कि सामान आ जाता है जबकि आपको तो..।
* साप्ताहिक अवकाश के दिन कहीï घूमने जायेंï। अगर पसंद हो तो कभी-कभार फिल्म देखने जायेïं। संभव हो तो प्रात: साथ-साथ टहलने जायेïं।
* हर वर्ष या दो-तीन वर्ष के अंतराल मेंï 8-10 दिन के लिए कहीï बाहर का कार्यक्रम बनायेï। इससे एक ही प्रकार की जिंदगी मेंï परिवर्तन आयेगा, साथ ही कुछ सीखने को भी मिलेगा।
* बड़ा परिवार भी दांपत्य जीवन की मधुरता मेंï बाधक बनता है। अत: परिवार सीमित रखेïं।
* यदि दोनोïं नौकरी पेशा हैं तो परिवार रूपी गाड़ी को बहुत व्यवस्थित तरीके से चलाना होगा। एक-दूसरे की परेशानी और सुख-दु:ख मेïं हिस्सा लें। हर पत्नी अपेक्षा रखती है कि बीमारी की हालत मेï उसकी अच्छी देखभाल हो, सांत्वना के कुछ शब्द ही उसे काफी राहत पहुँचाते हैïं।
* अपनी इच्छा के लिए एक दूसरे को बाध्य न करेंï। अपनी इच्छा दूसरे पर लादने से घर की सुख-शांति नष्टï हो जाती है।
* जीवन मेंï कठिनाइयां व उलझनेï आती रहती हैंï, लेकिन किसी को अपने हृदय मेïं यह विचार नहींï लाना चाहिए कि विवाह करके उसने भूल की है। संघर्ष से लडऩे के लिए एक-दूसरे को प्रोत्साहित कीजिये।
* पति अपने को परमेश्वर न मानकर हमसफर मानें। इसी प्रकार पत्नी अपने को घर की रानी न मानकर दिल की रानी मानें। पति कभी कोई गलत बात कह दे तो उसकी बात नहीïं काटनी चाहिए। पति को भी ऐसा व्यवहार नहींï करना चाहिए कि पत्नी के स्वाभिमान को ठेस पहुँचे। – आभा जैन