सृष्टिकर्ता के अस्तित्व का वैज्ञानिक प्रमाण

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अनदेखी चीजों पर विश्वास करने को अरबी में ’’ईमान बिल गैब‘‘ कहा जाता है, अर्थात अदृष्ट वस्तुओं पर विश्वास करना। नास्तिकों ने या ईश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार करने वालों ने अल्लाह पर ईमान लाने के संबंध में एक काल्पनिक कठिनाई यह गढ ली है कि इस वैज्ञानिक तथा उन्नत युग में, जबकि कोई भी चीज वैज्ञानिक नीति के अनुसार देख-भाल कर और क्रियात्मक रूप से छानबीन करने के बाद मानी जाती है, तो हम किस तरह ऐसे अस्तित्व पर विश्वास कर लें जिसे अब तक किसी ने नहीं देखा?
साधारण दृष्टि में यह चैंका देने वाला प्रश्न है, परंतु गहरी दृष्टि से देखा जाए तो यह सम्पूर्ण खोखला प्रश्न मालूम पडेगा, जिस में कोई वजन नहीं है।
विज्ञान का नाम लेकर इस प्रकार का प्रश्न करना, केवल यही नहीं कि यह विज्ञान का अपमान है, बल्कि साथ साथ ही इस बात का प्रलोभन देना है कि विज्ञान अनुसंधान केन्द्र बंद कर दिया जाये और विज्ञान ने ’’ईमान बिल गैब‘‘ के माध्यम से या अनदेखी चीजों पर विश्वास करके, जो आविष्कार व उन्नतियां की हैं वह सब के सब नष्ट करके पूरी दुनिया के लोगों को फिर से देहाती व पहाडी जीवन बिताने पर मजबूर कर दिया जाये।
अगर आप अपने दिल व दिमाग में किसी धर्म से ईष्र्या नहीं रखते हैं तो आप इस बात से सहमत होने में कोई परेशानी नहीं होगी कि विज्ञान में और अनदेखी चीजों पर विश्वास करने में कोई टकराव नहीं। दूसरे शब्दों में योें कहिए कि विज्ञान और ईमान बिल गैब में या अनेदेखे अल्लाह के अस्तित्व को स्वीकार कर लेने में कोई टकराव नहीं है, बल्कि सच बात तो यह है कि ’’ईमान बिल गैब‘‘ वैैज्ञानिक अनुसंधान की प्रथम सीढी है और कोई भी वैज्ञानिक ’’ईमान बिल गैब‘‘ या ’’अनदेखी चीजों पर विश्वास‘‘ की पद्धति को अपनाये बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ सकता।
किसी व्यक्ति को, चाहे वह वैज्ञानिक हो या साधारण आदमी, स्वंय उस के अपने अस्तित्व में कोई संदेह नहीं होता। जब वह अपने आपको या अपने किसी दोस्त को, जिससे हाथ मिला रहा हो, चलता-फिरता और इस संसार के वातावरण में सांस लेता दिख रहा हो, तो उसे पूर्ण विश्वास रहता है कि वह जीवित है, उसके शरीर में जान या आत्मा मौजूद है। लेकिन जब उस की सांस बंद हो जाती है और केवल उस के शरीर का ढांचा पडा रहता है तो उसे यकीन या विश्वास हो जाता है कि अब इस शरीर में जान या आत्मा मौजूद नहीं।
अगर आज के बडे से बडे वैज्ञानिक को पूछा जाये कि उसने अपनी जान या किसी दोस्त की जान या आत्मा को कभी अपनी आंखों से देखा है, जबकि उसकी आत्मा सर्वदा, बल्कि हर घडी व हर लम्हा उसके शरीर के साथ रहती है? एक दो नहीं बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों का एक ही उत्तर होगा और यही होगा कि हम ने आज तक अपनी आत्मा को नहीं देखा।
अब आप अपने हृदय से पूछिये कि आप के इतने करीब, आप के अपने शरीर में मौजूद, अपनी जान या आत्मा को देखे बिना उस के अस्तित्व पर विश्वास करना ’’ईमान बिल गैब‘‘ या ’’अनदेखी चीजों पर विश्वास‘‘ जैसी बात है या नहीं? अगर बात ऐसी ही है और यकीनन है, तो जिस तरह किसी शरीर में आत्मा का शरीरिक लक्षण, अवस्था और उसका हिलना- डुलना देख कर उसमें आत्मा के अस्तित्व का उसे बिना देेखे विश्वास करना कोई कठिन समस्या नहीं, बल्कि वह एक सरल बात है, ठीक इसी तरह जगत में खुदा या ईश्वर के अस्तित्व का उसे देखे बिना विश्वास करना भी कोई कठिन समस्या नहीं है, बल्कि यह भी एक सरल व सुबोध बात है।
किसी भी वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये, स्वयं वैज्ञानिक व्यक्ति का अस्तित्व प्रथम शर्त है, और किसी भी व्यक्ति का अस्तित्व ’’ईमान बिल गैब‘‘ वाली चीज -जान या आत्मा- के बगैर सम्भव ही नहीं, अतः वैज्ञानिक अनुसंधान की पहली शर्त में ’’ईमान बिल गैब‘‘ एक आवश्यक अंश या प्रथम सीढी है और इस कारण यह कहना बिल्कुल ठीक है कि कोई भी वैैज्ञानिक ’’ईमान बिल गैब‘‘ के बगैर एक कदम आगे नहीं बढ सकता और इसी दृष्टिकोण से यह कहना भी दुरूस्त है कि विज्ञान और ’’ईमान बिल गैब‘‘ में कोई टकराव नहीं, बल्कि सही विज्ञान और सही धर्म एक दूसरे के सहायक हैं और बुनियादी तौर पर दोनों मंे ’’ईमान बिल गैब‘‘ या अनदेखी चीजों पर विश्वास आवश्यक है।
धर्म व विज्ञान के लिये ’’ईमान बिल गैब‘‘ को आवश्यक या प्रथम सीढी कहने का मतलब यह हर्गिज न समझा जाए कि इस संबंध में प्रत्येक बात को आंखों बंद करके मान लिया जाये, बल्कि यहां केवल यह प्रमाण करना उद्देश्य है कि विज्ञान में जिस तरह कुछ चीजों पर विश्वास करने के लिए आंखों से देखना आवश्यक है और कुछ चीजों पर बिन देखे विश्वास करना भी आवश्यक है, ठीक इसी तरह धर्म में भी कुछ समस्याएं ऐसी हैं जिनका फैसला आंख देखे गवाही के बगैर नहीं किया जा सकता। अतः बात बिलकुल साफ हो जाती है कि सही धर्म और सही विज्ञान में कोई टकराव नहीं।
अगर कोई चीज मौजूद रहने पर भी दिखाई नहीं पडे तो उस के लक्षण या चिन्ह या अवस्था देख कर उसके अस्तित्व का विश्वास करना वर्तमान वैज्ञानिक युग में एक साधारण सी बात हो गई है और इसकी सैंकडों उदहारण पेश की जा सकती है, परंतु यहां समस्या की थोडी स्पष्टीकरण के लिये केवल एक उदारहण दी जाती है।
आप बिजली की जानकारी रखते होंगे। आप उसे दिन रात घरेलू या बाहरी जीवन में, व्यक्तिगत व सामाजिक, ओद्योगिक या निर्माणशाला अथवा कृषि इत्यादि कामों के लिये प्रयोग करते रहते हैं, परंतु आज तक आपने और न आपके किसी पूर्वगामी व्यक्ति ने और न स्वंय बिजली के आविष्कार करने वालों ने अपनी आंखों से उस बिजली या विद्युत को देखा है और न कोई भविष्य में उसे देख सकता है, तथापि बल्ब के जलने से या पंखा व मोटर या चक्की के घूमने पर आप विश्वास कर लेते हैं कि इन चीजों में मिले तारों में बिजली का करन्ट मौजूद है और वही करन्ट इन चीजों को प्रकाशित कर रहा है या घुमा रहा है। फिर जब आप इन चीजों में रोशनी या चाल व चक्कर नहीं देखते, यद्यपि वह चीजें अपनी स्थानों मे ंआन पोजीशन में और ठीक अवस्था ही में रहती हैंं, तो आप यह विश्वास कर लेते हैं कि अब इन तारों में करन्ट नहीं है।
अगर करेन्ट वाला तार उपरोक्त चीजों से मिला हुआ नहीं है तो आप को केवल उसी समय विश्वास होगा कि उसमें करन्ट मौजूद है जब उसे किसी टेस्टर द्वारा छूने पर उस टेस्टर में लाइट दिखाई दे या उसकी सूई हिलने लगे अथवा हाथ से छूने पर झनझनाहट सी अनुभव हो या शाट मारे। इन लक्षणों को देख कर आप यह मानने पर मजबूर हो जायेंगे कि इस तार में करन्ट मौजूद है।
तार तो दिखने में भी तार दिखाई देता है और वास्तविक में भी वह तार ही है, चाहे उसके ऊपर रबड चढा हुआ हो या वह नंगा हो, किसी भी स्थिति में न उसे उपर से देखने पर करन्ट दिखाई देगा और न उसे काट कर अन्दर देखने से उस में करन्ट दिखाई देगा, बल्कि जो कुछ दिखाई पडेगा वह केवल तार ही तार होगा और बस।
जब आप बिजली नहीं देख पाते और न कभी देख पायेंगे, फिर भी बिना देखे केवल उस की लक्षण और चिन्ह देख कर उसके अस्तित्व का विश्वास कर लेते हैं, तो क्या यह ’’ईमान बिल गैब‘‘ जैसी बात नहीं है? अगर ऐसी बात है और अवश्य है, तो अपने सृष्टिकर्ता खुदा के अस्तित्व पर विश्वास करने का समस्या भी इस से विभिन्न नहीं।
इस पृथ्वी तथा आकाश की विश्व व्यापी, ठोस व संतुलित विधि व प्रबंध तथा अनगिनत विभिन्न लक्षणों को देख कर इस महान विधायक व प्रबंधक के अस्तित्व का विश्वास करना एक सरल समस्या है। जब आप अपनी दुनिया संवारने के लिए ’’ईमान बिल गैब‘‘ या ’’अदृष्ट चीजों पर विश्वास‘‘ रखने में कोई कठिनाई अनुभव नहीं करते तो अपनी आखिरत या परलोक संवारने के लिये ’’ईमान बिल गैब‘‘ या ’’अदृष्ट चीजों पर विश्वास‘‘ रखने में क्यों कठिनाई अनुभव करने लगते हैं? क्रमशः