सोयाबीन से अनेक फायदे हैं। ये न सिर्फ स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि कई बीमारियों से शरीर की रक्षा भी करता है। खासतौर पर महिलाओं के लिए ये बहुत फायदेमंद है। सोयाबीन में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है, साथ ही इसमें 20 प्रतिशत वसा है।
देखा जाए, तो यह मात्रा अधिक है। लेकिन सोयाबीन की वसा में जो ‘वसा अम्लÓ (फैटी एसिड) है, वह कई बीमारियों से बचाव में मदद करता है। सोयाबीन का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। नौ किलो आटे में एक किलो सोयाबीन का आटा मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।
सोयाबीन की बड़ी, चूरा आदि तो आसानी से मिलते हैं और आप इनका सब्जी, पुलाव, कटलेट बना सकते हैं। साथ ही साथ सोयाबीन को भूनकर नाश्ते में मसाला डालकर भी इसे लिया जा सकता है। सोयाबीन का दूध एवं पनीर भी बाजार में सहजता से उपलब्ध है। लेकिन इसका अधिक प्रचलन नहीं है।
सवाल यह उठता है कि आखिर इसका उपयोग करना क्यों आवश्यक है या इसके उपयोग का क्या फायदा है? बहुत-सी बीमारियों से बचाने का काम सोयाबीन बाखूबी करता है, यह अध्ययनों से सिद्ध हो चुका है।
बचाव में उपयोग – मुख्य बीमारियां, जिनमें इसके उपयोग से फायदे की पुष्टिï हो चुकी है, वे हैं- हृदय की बीमारियां कुछ प्रकार के कैंसर, रोग प्रतिरोधक क्षमता का बढऩा और ऑस्टियोपोरोसिस।
हृदय रोग- ज्यादातर हृदय रोग में खून में कुछ प्रकार की वसा बढ़ जाती है, जैसे- ट्रायग्लिसरॉइड्स, कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल। जबकि फायदेमंद वसा अर्थात एचडीएल कम हो जाता है। सोयाबीन की वसा के अम्ल की बनावट ऐसी है कि उसमें 15 प्रतिशत संतृप्त वसा, 25 प्रतिशत मोनो संतृप्त वसा और 60 प्रतिशत पॉली असंतृप्त वसा है। खासकर दो वसा अम्ल, जो सोयाबीन में पाए जाते हैं, वे हृदय के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। सोयाबीन का प्रोटीन कॉलेस्ट्रॉल एवं एलडीएल कम रखने में सहायक है। साथ ही साथ फायदेमंद कॉलेस्ट्रॉल एचडीएल भी बढ़ाता है।
कैंसर – सोयाबीन में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर से बचाव का कार्य करते हैं। एक तो इसमें फायटोकेमिकल्स पाए जाते हैं, खासकर फायटोइस्ट्रोजन और 950 प्रकार के हार्मोंस। यह सब बहुत फायदेमंद हैं। इन तत्वों के कारण स्तन कैंसर एवं एंडोमिट्रियोसिस जैसी बीमारियों से बचाव होता है। यह देखा गया है कि इन तत्वों के कारण कैंसर के ट्यूमर बढ़ते नहीं हैं और उनका आकार भी घट जाता है। सोयाबीन के उपयोग से कैंसर में 30 से 45 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
ऑस्टियोपोरोसिस – सोयाबीन में हड्डियों के लिए कैल्शियम तो पाया ही जाता है, साथ ही यह हड्डियों में कैल्शियम की पकड़ मजबूत करता है, जिससे कैल्शियम का संरक्षण बढ़ जाता है और हड्डिïयां मजबूत होती हैं। हड्डिïयों से कैल्शियम का निकलना भी सोयाबीन रोकता है। यह काम इसमें पाए जाने वाले आइसो हार्मोन्स करते हैं।
महिलाओं को तो सोयाबीन न केवल अच्छे प्रकार का प्रोटीन देता है अपितु माहवारी के पहले जो तकलीफें होती हैं, जैसे शरीर में सूजन, भारीपन, दर्द, कमर का दर्द, थकान आदि में काफी राहत मिलती है। जब महिलाओं में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) होती है, उस समय स्त्रियों को बहुत सी तकलीफें होती है, जैसे अत्यधिक पसीना आना, गर्मी लगना, घबराहट, बेचैनी आदि।
यह इसलिए होता है, क्योंकि माहवारी बंद होने से इस्ट्रोजन की कमी हो जाती है। चूंकि सोयाबीन में फायटोइस्ट्रोजन होता है, जो उसी द्रव की तरह काम करता है, इसलिए तीन-चार माह तक सोयाबीन का उपयोग करने से स्त्रियों की लगभग सभी मुश्किलें खत्म हो जाती हैं।
ये सभी फायदे उठाना चाहें, तो प्रतिदिन 40 से 60 ग्राम सोयाबीन का उपयोग करें। यदि आप इतना उपयोग न करना चाहें, तो आटे में सोयाबीन का आटा मिला लें और सप्ताह में 2 या 3 बार सोयाबीन की बड़ी, चूरा, बिस्किट आदि का उपयोग करें।