हजऱत अब्दुल क़ादर जिलानी रह.

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शुरू अल्लाह के नाम से जो रहमान निहायत रहम करने वाला है। दरूद और सलाम हो अल्लाह के हबीब हजऱत मोहम्मद मुस्तुफ़ा सल. पर जो सारे आलमों के लिये अल्लाह की रहमत हैं। फख़ऱे अम्बिया, ताज दारे मदीना हजऱत मोहम्मद मुस्तुफ़ा सल. के सहाबी और हक़ीक़ी चचाज़ाद भाई फ़तेह ख़ेबर हजऱत अली मुर्तुजा रजी. तमाम क़ादरी, चिश्ती औलिया अल्लाह, बुजुर्ग़ाने दीन के जद्दे आला और जद्दे अमजद हैं। मेहबूबे सुबहानी कुतुबे रब्बानी हजऱत शेख़ मोहीउद्दीन अब्दुल क़ादर जिलानी रह. और वली-ए-हिन्दोस्तान, अता-ए-रसूल हजऱत ख़्वाजा मोइन उद्दीन हसन चिश्ती रह. दोनों ही हसनी, हुसैनी हैं। अपने वालिद माजिद और वालदा मोहतरमा के नसबी वास्ते से हजऱत इमाम आली मुक़ाम हजऱत इमाम हसन रजी. और शहीदाने करबला हजऱत इमाम हुसैन रज़ी. की औलाद में से हैं। इसलिए आप दोनों ही बुज़ुर्ग सादात हैं। आले रसूल सल. हैं।
पीराने पीर दस्तगीर हजऱत शेख अब्दुल क़ादर जिलानी रह. जिलान के रहने वाले थे। आप पैदाइशी वली थे। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने आपको ग़ोस के दर्जे से नवाज़ा था आप तमाम औलिया अल्लाह, बुज़ुर्गानेदीन के पेशवा और इमाम हैं। आपकी बुज़ुर्गी को तमाम औलिया अल्लाह ने तस्लीम किया है। अल्लाह ने आपको इल्म-ओ-मारफ़त की वो दौलत अता की जो किसी दूसरे बुजुर्ग़ को अता नहीं की गई । आपको मेहबूबे सुबहानी के रूतबे से नवाज़ा, कय़ामत तक आने वाला हर वली, औलिया अल्लाह, कुतुब, अबदाल सब आपकी इमामत को तस्लीम करता रहेगा और आपकी रूह मुबारक से फैजय़ाब होता रहेगा। आप मारफ़त के आफ़ताब, रूहानियत के समन्दर, थे। इसलिए आपसे बुजुर्गी का जो सिलसिला निकला जिसे क़ादरी सिलसिला कहते हैं। उसे तमाम सिलसिलों पर फ़ोकिय़त हासिल है। हजऱत शेख़ मोहउद्दीन अब्दुल क़ादर जिलानी रह. के वाक़्यात, कशव -ओ-करामात से हज़ारों किताबें भरी पड़ी हैं। उनका आहाता करना दुश्वार ही नहीं नामुमकिन है।
हजऱत शेख़ अ. क़ादर जिलानी रह. जब अपने पीरो मुर्शिद हजऱत ख़्वाजा अबु सईद रह. की मजलिस में हाजिऱ खिदमत थे। आप किसी काम से उठे उस दरमियान हजऱत ख़्वाजा अबु सईद रह. ने फऱमाया अ. क़ादर मेरा शागिर्द मुरीद है मगर मरतबे में मुझसे बहुत आगे है। तमाम औलिया अल्लाह की गर्दन पर इसका क़दम होगा। उसी वक़्त ताइफ़े ग़ेब से आवाज़ आई। अ. क़ादर पैर ऊंचा करो तमाम औलिया अल्लाह की गर्दन पर तुम्हारा पैर है। उस वक़्त के तमाम औलिया अल्लाह ने अपनी-अपनी गर्दन ख़म कर दी। हजऱत शेख़ अ. क़ादर जिलानी रह. की मजलिस में हजऱत खिज्ऱ उल. सलाम भी वाज़-ओ-नसीहत सुनने आया करते थे। एक चोर आपकी ख़ानकाह में चोरी की नियत से आया उसकी आंखों की रोशनी चली गई। इतने में हजऱत खि़ज्ऱ अल. सलाम तशरीफ़ लाए और फऱमाया हजऱत फलां जगह के अबदाल का इंतेक़ाल हो गया है। आप जिसे चाहें उसके ओहदे पर फ़ाइज़ कर दें। आपने फऱमाया हमारे हुजरे में एक शख्स बहुत ही मायूसी के आलम में बैठा है। हजऱत खि़ज्ऱ अल. उस चोर का हाथ पकड़ लाए और आपके सामने खड़ा कर दिया। हजऱत शेख़ ने अपना दस्ते हक़ उसकी आंखों पर फेऱा उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। उसे एक खुऱका बांधकर फऱमाया जाओ तुम फलां जगह के अबदाल हो हमारे यहां तो मता-ए-इरफ़ान के अलावा और कुछ भी नहीं है।
रिवायत में है कि इक सोलह साला खूबसूरत लड़की नहाकर अपने बाल सुखाने की गजऱ् से छत पर गई वहां से वो ग़ायब हो गई। लड़की के बाप ने आकर हजऱत शैख़ अ. क़ादर जिलानी रह. की मजलिस में अपनी रूदाद सुनाई। हजऱत शैख़ ने एक दुआ कागज़ पर तहरीर करके फऱमाया रात को इशा की नमाज़ के बाद बस्ती से बाहर जाकर जंगल में यह दुआ पढ़कर हिसार करके बैठ जाना। अजीब तरह के लोग गुजऱेंगे किसी से ख़ौफ़ न खाना कोई तुम्हारी तरफ़ नहीं देखेगा। सुबह सादिक़ के वक्त शहंशाहे जिन्नात का लश्कर गुजऱेगा वो तुमसे खुद पूछेगा। उसे मेरा बता देना मैंने भेजा है अपना मुददा बयान कर देना। वो शख्स इशा की नमाज़ पढ़कर बगदाद की बस्ती से बाहर निकलकर जंगल में वो दुआ पढ़कर हिसार करके बीच में बैठ गया। अजीबों गरीब कि़स्म के लोग सामने से गुजऱते रहे मगर किसी ने भी इसकी तरफ़ नहीं देखा। सुबह सादिक़ के वक्त फैज फाटे तेज़ रोशनी के साथ एक लश्कर पास आता दिखाई दिया वो समझ गया यह जिन्नात के बादशाह का लश्कर है। जब शहंशाह की सवारी इस शख्स के सामने आई। बादशाह ने रोब के साथ पूछा तू कौन है? यहां कैसे बैठा है? बादशाह की रोबीली आवाज़ सुनकर वह शख्स कांपने लगा उसने घबराकर कहा मुझे हजऱत शैख़ अ. क़ादर जिलानी रह. ने आपके पास भेजा है। हजऱत शैख़ का इस्म शरीफ़ सुनकर बादशाह सवारी से उतर गया और इस शख्स के पास आकर हिसार के बाहर दो जानू बैठकर कांपने लगा। फऱमाया हजऱत शैख़ अ. क़ादर जिलानी रह. का मेरे लिये क्या हुक्म है। इस शख्स ने जब बादशाह को हजऱत का नाम मुबारक सुनते ही हेबतज़दा देखा तो राहत की सांस ली फिर अपनी बेटी के छत से ग़ायब होने की रूदाद बादशाह को सुना दी। बादशाह ने फौरन वज़ीर को हुक्म दिया उस बच्ची और जो लोग उसे उठाकर ले गए हैं फौरन हाजिऱ करो। कुछ ही मिनटों में वो बच्ची और जिन्नात सामने हाजिऱ थे। बादशाह ने पूछा तुम कहां के जिन्नात हो उन्होंने बताया हम चीन में रहते हैं। बादशाह गज़बनाक होकर फऱमाया तुमने हजऱत शैख़ अ. क़ादर जिलानी रह. के शहर से इस लड़की को क्यूं उठाया। उन्होंने कहा बादशाह सलामत यह लड़की हमें पसंद आ गई थी। हम शादी की गर्ज से इसे उठाकर ले गए थे। बादशाह ने अपने वज़ीर से फऱमाया दोनों के सर क़लम कर दो। फौरन एक जल्लाद ने उन दोनों जिन्नातों के सर क़लम कर दिये फिर बादशाह ने इस शख्स से कहा यह आपकी बच्ची है इसे ले जाइये। हमारी तरफ़ से हजऱत शैख़ अ. क़ादर जिलानी रह. से माफ़ी मांग लेना के हजऱत हम जिन्नातों के इस फेल के लिये शर्मिंदा हैं और आपसे माजऱत चाहते हैं। हमने क़सूरवारों को सजा दे दी है। जब इस शख्स ने बादषाह के मुंह से हजऱत शेख़ से माजऱत के अलफ़ाज़ सुने तो उसने पूछा क्या बात है बादशाह सलामत आप हजऱत से बहुत हेबतज़दा हैं। बादशाह ने जवाब दिया जब अल्लाह किसी को ग़ैसियत अता फऱमाता है तो सारी मख़लूक के दिल में उसकी हेबत बिठा देता है। इस वक़्त हजऱत शेख़ अ. क़ादर जिलानी रह. अपनी ख़ानकाह में तशरीफ़ फऱमा हैं वो वहीं से बैठे-बैठे नजऱ घुमाकर देखते हैं तो पूरी दुनिया के जिन्नातों का शीराज़ा ख़ौफ़ और ैेबत से बिखरने लगता है।
एक ख़ातून अपने पन्द्रह साला बच्चे को लेकर आपकी खि़दमत में हाजिऱ हुई उसने कहा हजऱत मैं आपकी खि़दमत-ए-बाबरकत में अपने इस बच्चे को नजऱ कर रही हूं ये बच्चा आपकी सोहबत में किसी लायक़ हो जाएगा। वो बच्चे को छोड़कर चली गई। कुछ अर्से बाद जब वो वापस आई उसने देखा। उसका बच्चा बहुत कमज़ोर हो गया है, शब बेदारी की वजह से आंखें अन्दर धंस गर्इं हैं। वो बैठा हुआ रोटी के सूखे टुकड़े पानी में भिगोकर खा रहा है। उस ख़ातून का दिल भर आया अपने बच्चे की कमज़ोर हालत देखकर वो फौरन आपकी खि़दमत में हाजिऱ हुई। उस वक्त हजऱत खाना तनावुल फऱमा रहे थे। उस ख़ातून ने देखा आप मुर्गा और रोटियां खा रहे हैं। ये मंजऱ देखकर उस ख़ातून ने कहा वाह क्या इंसाफ़ है वली अल्लाह यहां ख़ुद मुर्गा खा रहे हैं मेरे बेटे को सूखी रोटी के टुकड़े पानी में भिगोकर खिला रहे हैं। क्या यही बुजुर्ग़ी है? उस खातून की बात सुनकर आपको जलाल आ गया। हजऱत ने जो चूसी हुई मुगऱ् की हडिडयां दस्तरख़ान पर रखी थीं। उनकी तरफ़ देखकर फऱमाया उठ उस अल्लाह के नाम पर जो बोसीदा हडिडयों में जान डालता है। आपकी जु़बान से यह जुमला निकलते ही वो हडिडया आपस में जुड़ी एक मुगऱ् बन गर्इं। उसने अज़ान भी दी। हाजऱीन महफि़ल पर खा़ैफ़ तारी हो गया। फिर आपने उस ख़ातून से मुख़ातिब होकर फऱमाया जब तेरा बेटा इस मुक़ाम पर पहुंच जाएगा फिर वो जो चाहेगा वही खाएगा। जब तक वो इस मुक़ाम तक नहीं पहुंचता जो खा रहा है वही उसके लिये बेहतर है।
एक मरतबा हजऱत खि़ज़्र अल. आपकी मजलिस में तशरीफ़ लाए। हजऱत शेख़ अ. क़ादर जिलानी रह. ने आपने फऱमाया क्या हजऱत इल्में लदूनी पे कुछ फऱमाने तश्रीफ़ लाए हैं। हजऱत खि़ज्ऱ अल. ने फऱमाया भला मैं क्या आपसे इल्में लदूनी पे कुछ कह सकता हूं। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने आप पर पहले ही से इल्में लदूनी के सत्तर दरवाज़े खोल रखें हैं। एक दफ़ा आपकी खि़दमत में बड़ी तादाद में यहूदी और नसरानी पादरी और राइब हाजिर हुए। उन्होंने कहा हजऱत हम तक एक हदीस पाक पहुंची है। उसकी तसदीक़ के लिए हम लोग इकटठा होकर आए हैं। हजऱत शेख़ ने फऱमाया आप तक कौन सी हदीस पाक पहुंची है। जिसकी तसदीक़ के लिये आप लोग आए है। एक बूढ़े पादरी ने कहा अल्लाह के हबीब पाक सल. का इरशाद-ए- आली है मेरी उम्मत के उलेमा बनी इसराइल के नबियों जैसे होंगे। क्या यह हदीस पाक सही है? हजऱत शेख़ ने फऱमाया, बेशक यह हदीस पाक सही है। सरवरे कोनेन हजऱत मोहम्मद मुस्तुफ़ा सल. ने यही हदीस पाक इरशाद फऱमाई है। आपकी बात सुनकर उस बूढ़े पादरी ने कहा बनी इसराइल में एक नबी हजऱत ईसा अल. हुए हैं। वो मुर्दे को जिन्दा कर देते थे। अगर यह हदीस पाक सही है तो आप भी इस उम्मत के उलमा हैं। ये सिफ्त आप में भी मौजूद होंगी। हजऱत शेख़ को पादरी की बात सुनकर जलाल आ गया। आप उठकर खड़े हो गए और उन पादरियों से फऱमाया आपको किसे जिन्दा करवाना है। वो पादरी आपको एक क़दीमी कब्रस्तान में ले गए वहां एक टूटी फूटी बड़ी पुरानी कब्र मिटटी के टीले की शक्ल में मौजूद थी। उन्होंने कहा इस कब्र वाले को। हजऱत शेख़ अ. क़ादर जिलानी रह. ने ज़ुबान मुबारक से फऱमाया। क़ुम्बे इज़निल्ला (अल्लाह के हुक्म से उठ) उस मिटटी के ढेर में हरकत हुई। वो कब्र शक़ हुई उसमें से एक लम्बा चौड़ा नोजवान बाहर निकला उसने पूछा क्या कय़ामत आ गई। हजऱत शेख़ ने फऱमाया कय़ामत नहीं आई। इन लोगों ने अल्लाह के हबीब सल. की एक हदीस पाक की तसदीक़ मांगी थी। इसलिये मुझे आपको उठाना पड़ा। फिर आपने उस शख्स से पूछा तुम किसकी उम्मत में से थे? उस शख्स ने जवाब दिया मैं हजऱत दानीयाल अल. की उम्मत में से था जो हजऱत ईसा अल. से हज़ारों साल पहले नबी गुजऱे हैं। फिर हजऱत ने उस नौजवान से फऱमाया आप वापस अपनी क़ब्र में चले जाएं। अल्लाह ने कय़ामत तक आपके रहने के लिये यही जगह मुकर्रर की है। वो शख्स वापस चला गया। आपने कब्र पे पैर मारा कब्र पहले जैसी हालत में हो गई। आपकी यह करामात देखकर सभी पादरी ईमान ले आए। हजऱत शेख़ अ. क़ादर जिलानी के बारह साहबज़ादे थे जो सभी मुत्तक़ी, परहेजग़ार, पाबंदे शरीअत, इबादत गुज़ार थे। वो सभी अपने वालिद बुजुर्ग़वार के नक्शे क़दम पर चलते हुए रूहानियत के आला मक़ाम पर पहुंचे। हजऱत ने सभी को अपनी खि़लाफ़त से नवाज़ा। हजऱत शेख़ अ. क़ादर जिलानी रह. से रूहानियत का जो सिलसिला मन्सूब है वो सारी दुनिया में फैला हुआ है। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ादरिया सिलसिले के तमाम औलिया अल्लाह, बुज़ुर्गानेदीन पर अपनी रहमतें, बरकतें नाजि़ल फऱमाए।