हड्डियों और नसों की तकलीफ दूर करते भगवान सिंह

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हड्डिïयों का अपनी जगह से सरक जाना बहुत ही दुखदायी एवं तकलीफ देह बात होती है। जब किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भी हिस्से की हड्डïी अपनी जगह छोड़ देती है तो उसके कारण हमें मानसिक एवं शारीरिक यातनाएं झेलना पड़ती है। अर्थात्ï असहनीय दर्द से दो-चार होना पड़ता है। और जब हम इस दर्द को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर जांच करवा कर एक्सरे आदि के $जरिये पता लगाते हैं कि हमें यह तकलीफ क्यों हो रही है और इस तकलीफ को दूर करने के लिए डॉक्टर हमें दिन, महीने एवं साल तक के बेडरेस्ट की सलाह एवं ढेर सारी दवाओं का पर्चा बना देते हैं। तब व्यक्ति मजबूर हो जाता है डॉ. की सलाह मानने के लिए इस दौरान उसे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जैसे- बेड रेस्ट के कारण वह काम पर नहीं जा पाता तो आर्थिक तंगी, लेटे-लेटे मानसिक तनाव आदि से ग्रसित होता चला जाता है, और कभी-कभी तो वह व्यक्ति मानसिक तनाव के कारण किसी न किसी बीमारी का शिकार भी हो जाता है।
किन्तु आज भी हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं जो हमारे शरीर के किसी भी हिस्से की हड्डïी को अपने-अपने तरीकों से कोई मालिश के द्वारा, कोई हड्डïी को चटका कर बिठा देता है और जब हड्डïी जगह पर बैठ जाती है तो व्यक्ति का दर्द भी जादू की तरह खत्म हो जाता है। जबकि डॉक्टरी हिसाब से इलाज करने पर महीनों लग जाते हैं।
इसी प्रकार का हड्डïी और नसों की बीमारी से ग्रस्त लोगों का इलाज कर रहे हैं दोराहे के भगवानसिंह कुशवाहा। उनसे बातचीत के दौरान हमारे पूछने पर उन्होंने बताया कि वे हड्डïी को बिठाने का काम लगभग 20-25 सालों से कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कला उन्हें ईश्वरीय देन है। इसकी उन्होंने किसी गुरू से शिक्षा भी नहीं ली। जब वे लगभग 11 साल की उम्र के थे तभी खेल-खेल में जब किसी बच्चे को मोच आ जाती या और कोई तकलीफ हो जाती तो भगवानसिंह उसे बिठा देते थे और धीरे-धीरे उन्हें यह भी पता चला की वे हड्डïी बिठाने के साथ ही साथ मनुष्य के शरीर में पल रहे असाध्य रोगों को भी जान सकते हैं।
उनका कहना है कि हाथ रखते ही मरीज के शरीर के असाध्य रोगों का भी उनको पता चलने लगा, और वे अपनी अनुभ्ूाति के माध्यम से ही उन असाध्य रोगों का इलाज भी करने लगे। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को तो तत्काल ही आराम लग जाता है किन्तु कुछ लोगों को कई दिन के बाद धीरे-धीरे आराम लगता है।
हमारे पूछने पर कि यह कला आपको तो ईश्वर ने स्वत: ही दी है पर इस कला को आगे चलाने के लिए आप इसकी शिक्षा दे रहे या आगे भविष्य में किसी को इसकी शिक्षा देना चाहेंगे तो उन्होंने कहा क्यों नहीं हम $जरूर सिखाना चाहेंगे। उन्होंने कहाकिमैं गुरू तो बन नहीं सकता अत: मैं सिखा तो सकता हूँ सिखा भी दूंगा लेकिन उस सीखने वाले के मन में वह फीलिंग (सेंस) नहीं डाल सकता जो ईश्वर ने हमारे मन में स्वत: ही डाला हुआ है।
भगवानसिंह बताया कि मेरे द्वारा जिन लोगों को फायदा होता है वह ईश्वर की मेहरबानी से ही होता है मैं तो सिर्फ सेवा कर रहा हूँ और आराम देने वाला एवं रोगों को दूर करने वाला तो ईश्वर है।
उन्होंने बताया कि हमारे यहां बड़े- बड़े डॉक्टर भी इलाज करवाने आते हैं। उनका कहना है कि वे पूर्व म.प्र. राज्यपाल माननीय श्री बलराम जाखड़ जी का, मप्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की पत्नी का, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर की धर्मपत्नी, क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर आदि अनेक बड़े-बड़े दिग्गजों का इलाज भी अपनी इस पद्घति के माध्यम से कर चुके हैं और ईश्वर की कृपा से उन लोगों को फायदा भी हुआ है।
भोपाल या मध्यप्रदेश ही नहीं जरूरत पडऩे पर वे शहर एवं प्रदेश से बाहर भी जाकर लोगों का इलाज करते हैं। जब हमने उनके काम को देखा कि वे लगातार एक के बाद एक मरीज का बिना रूके निरन्तर कई कई घण्टों तक इलाज करते हैं। तब हमने उनसे पूछा कि आप लगातार इस तरह से सैकड़ों लोगों का एक ही बैठक में इलाज करते हैं तो आपको थकान नहीं महसूस होती तो उन्होंने बताया कि नहीं हमारे ऊपर ईश्वर की कृपा है मैं नहीं थकता और मैं इसी तरह लगातार दिन भर भी लोगों अपनी सेवा दे सकता हूँ।
हमारे यह पूछने पर कि आपके और क्या-क्या शौक हैं तो उन्होंने कहा की मेरे कोई शौक नहीं। मैं किसान हूँ खेती करता हूँ और रोगी लोगों की सेवा करना ही मेरा सबसे बड़ा शौक है। वे चाहते हैं कि जीवन पर्यन्त इसी तरह लोगों की सेवा करते रहें।
हमारे पूछने पर की आप दोराहे के इस मन्दिर में बैठ कर लोगों की सेवा करते हैं यदि आपको कहीं अच्छी जगह सेवा करने के लिए कहा जाए तो क्या आप वहां से लोगों को अपनी सेवा देने के लिए तैयार हैं या इस जगह की कोई अपनी मान्यता है, क्योंकि जब लोग आपके पास आते हैं तो यहां आने में लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है रोड बहुत खराब है आदि। इस पर उन्होंने कहाकि इस जगह की कोई ऐसी मान्यता नहीं है। मैं चाहूं तो कहीं भी बैठकर लोगों की सेवा कर सकता हूँ और आपसे पहले भी कई लोगों ने मुझसे कहा। लेकिन खुद जाकर करने से लोगों को इसकी अहमियत नहीं पता चलती, परन्तु जब लोग परेशानी उठाकर मुझ तक तक आते हैं तो इसका मूल्य पता चलता है।
बातचीत के दौरान ही हमें पता चला की पित्ते की पथरी की इलाज भी वे लगभग 15-20 दिन में करते हैं। नसों के दबाव से ही पित्ते की पथरी भी घुल जाती है। इसी तरह कई असाध्य रोगों का इलाज करने का भी वे दावा करते हैं।
भगवानसिंह भारत के अनेक शहरों में जाकर हड्डïी व नस रोग से ग्रसित मरीजों का इलाज कर चुके हैं। हाल ही में वे अहमदाबाद, दिल्ली व अण्डमान-निकोबार जाकर मरीजों का इलाज कर लौटे हैं।
भगवानसिंह कुशवाहा नियमित रूप से भोपाल से 35 किमी. दूर नरसिंहगढ़ मार्ग पर स्थित दोराहे के मंदिर में सवेरे 9 बजे से 11 बजे के बीच बैठ कर मरीजों का उपचार करते हैं। उनके पास मरीजों की भीड़ लगी रहती है। यदि कोई हड्डïी या नस की बीमारी से ग्रसित है तो वह भगवानसिंह से बात कर, उनसे मिल कर अपनी समस्या बता सकता है और उसका इलाज भी करा सकता है। भगवानसिंह के मोबाइल नंबर 9425011213 पर उनसे सम्पर्क किया जा सकता है। – रईसा मलिक     (सितम्बर 2010 में प्रकाशित)