लेखक श्री दुलारे जख्मी द्वारा लिखित लेख सूरमा भोपाली की तीसरी किश्त।
अब यहां से इस लेख को संक्षिप्त करता हूँ
दोस्त मो. खां के इन्तेकाल के बाद उनके बेटे यार मो. खां नवाब हुए। इनके बाद फ़े$ज मो. खां नवाब हुए। 12 दिसम्बर 1777 को नवाब फ़े$ज मो. खां का इंतेकाल हो गया। उनका म$जार कमला पार्क में बनाया गया था जो आज भी है इसे फेज बहादुर साहब का म$कबरा कहते हैं। $फेज मो. खां के इंतकाल के बाद हयात मो. खां नवाब हुए। इनके बाद ग़ौस मो. खां नवाब हुए। इतिहास कहता है कि वे सिर्फ नाम के नवाब थे। क्योंकि उनकी पूरी रियासत के मालिकाना हुकूक व$जीर मो. खां (1809-1816) ने हासिल कर लिये थे।
1816 में वज़ीर मो. खां के इन्तेकाल के बाद उनके बेटे न$जर मो. खां नवाब बनाये गये। उनकी शादी गौस मो. खां की बेटी गौहर जहां बेगम से हुई जो कुदसिया बेगम के नाम से जानी पहचानी जाती थी।
वर्तमान में गौहर महल और शकीला बानो की बिल्डिंग के पास में जो कुदसिया पार्क है। वह उनके ही नाम से है। न$जर मो. खां ने बड़ी होशियारी से रियासत का प्रबंध किया और 28 वर्ष की कम उम्र में ही उनका इंतकाल हो गया। वह इस्लाम नगर में एक हादसे में हलाक हो गये थे। उन्होंने कुल 3 साल शासन किया था। जिस समय नजऱ मो. खां का इंतकाल हुआ उस समय उनकी सिर्फ एक बेटी थी। जिसकी उम्र 3 माह थी। और उसका नाम सिकन्दर जहां बेगम रखा गया था।
गौहरजहां बेगम उर्फ कुदसिया बेगम
अब क्योंकि बेटी 3 माह की थी, इस कारण उनकी माँ गौहरजहां बेगम उर्फ कुदसिया बेगम को नवाब बनाया गया। इन्होंने भी राज-काज अच्छा चलाया, और शहर की जामा-मस्जिद आदि अन्य इमारतें बनवाईं। कुदसिया बेगम की बेटी सिकंदर जहां बेगम के जवान होने पर उनकी शादी जहांगीर मो. खान से हुई थी। शादी के लगभग ढाई साल बाद जहांगीर मो. खान भोपाल के नवाब हुए।
उन्होंने अपने नाम से जहांगीराबाद बसाया। उस समय यह स्थान शहर के बाहर था, इसलिए जहांगीराबाद में मकान बनाकर रहने वालों को सरकारी $खजाने से धन भी दिया जाता था। सन्ï 1837 से 1844 का यह वह समय था जब गेंहूँ 1 रू. का अस्सी किलो और शकर 1रू. की पचास किलो मिलती थी। सन्ï 1844 में ही जहांगीर मो. खां की मृत्यु हो गई।
जहांगीर मो. खां की मौत के बाद सिकन्दर जहां बेगम ने राजकाज सम्भाला। वह बहुत अच्छी शासक साबित हुईं वह खुद राज्य में घूम-घूम कर यात्रायें करती थीं। और लोगों के हाल-चाल पूछती थीं। उनके राज्य में शिक्षा पर ज़ोर दिया गया। कई स्कूल कायम किए गए जहां हिन्दी, उर्दू, अंग्रे्रजी, अरबी और फारसी की शिक्षा दी जाती थी। औद्योगिक स्कूल भी कायम किये गये। उनके राज्य में भोपाल में अस्पताल कायम होना शुरू हुये। उन्होंने कई खूबसूरत इमारतें बनवाईं जिनमें राहत अफ्$जा और मोती मस्जिद खास है। भोपाल की खूबसूरत मोती मस्जिद सिकंदर जहां बेगम ने ही बनवाई थी। 1868 में उनकी मृत्यु हो गई, तो उसके बाद उनकी बेटी शाहजहां बेगम ने हुकूमत संभाल ली।