अनूठा है मां-बेटी का रिश्ता

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माँ का संतान से रिश्ता अटूट व अनूठा होता है और माँ-बेटी के रिश्ते मेंï तो हर पल कुछ नया होता रहता है। कभी माँ के करीब होने का अहसास, तो कभी बेटी के दूर जाने का गम। माँ अपनी नन्ही सी गुडिय़ा के लिये कितने सपने सँजोती है, अपनी लाड़ली के उज्ज्वल भविष्य के लिए कितनी प्रार्थनाएँ करती है।
कभीकभार माँ-बेटी मेïं तकरार भी हो जाती है लेकिन क्या उस कारण इस रिश्ते की गरिमा कम हो जाती है? ऐसा तो कभी हो ही नहीï सकता क्योïंकि न तो माँ अपनी बेटी के मुख पर उदासी देख सकती है और न ही बेटी अपनी माँ की तमाम कुर्बानियाँ कभी भूल सकती है।
आखिरकर माँ-बेटी का रिश्ता सब रिश्तोïं से ऊपर जो होता है। बेटी को जब एक सच्चे दोस्त की तलाश हो, तो माँ ही उसकी हमराज बनती है। माँ-बेटी के बीच एक पीढ़ी का अंतर जरूर होता है, फिर भी एक बेटी को माँ से बेहतर कोई और समझ ही नहीï सकता है।
चाहे वह माँ हो या बेटी, सबकी जिंदगी मेंï कोई न कोई महत्वपूर्ण बातेï होती ही रहती हैï। उनमेंï से ऐसी कितनी बातेंï हैंï, जो आप माँ-बेटी आपस मेïं बांॅटती हैं? लगभग 3,500 माँ-बेटियोïं पर हुए एक सर्वेक्षण के दौरान 47 प्रतिशत बेटियोïं ने कहा कि वे अपनी माँ को हर बात बता देती हैï और 43 प्रतिशत माताओïं ने भी इस बात पर रजामंदी जतायी।
कई माताओïं के अनुसार, जिस तरह वे अपनी बेटियोïं के करीब हैï, उस तरह तो वे भी अपनी माँ के करीब नहीï थीं। ऐसी बातेंï सुनकर लगता है कि सचमुच भाग्यशाली हैï इस पीढ़ी की बेटियाँ क्योïंकि घर ही नहीï, ऑफिस मेंï भी व्यस्त होने के बावजूद माँ अपनी बेटी को भरपूर समय देेती हैं।
57 प्रतिशत माताओं को अपनी बेटी के कदमोï को प्रगति की ओर बढ़ते देख गर्व महसूस होता है। 29 प्रतिशत माताएं अपनी बेटी को देखकर गर्व तो महसूस करती हैï, पर अपनी बेटी की आधुनिक जीवनशैली देखकर उनका दिल काँप जाता है। उन्हेïं डर सताता है कि कहीïं उनकी नन्हीं सी गुडिय़ा कुछ ऐसा न कर बैठे, जिसका खामियाजा उसको जिंदगीभर भुगतना पड़े।
जब किसी महिला से कोई यह कहता है कि उनकी बेटी बिलकुल उनके जैसी है तो निश्चित रूप से वह महिला बहुत खुश हो जाती है। बेटियोïं को भी प्राय: अपनी माँ की तरह दिखने की अभिलाषा होती है। तभी तो पाँच साल की बिटिया भी शीशे के सामने खड़े होकर माँ की बिन्दियाँ और लिपस्टिक लगाती है और माँ की तरह ही साड़ी पहनने की कोशिश करती है। लगभग 76 फीसदी बेटियोïं की नजर मेïं उनकी माँँ ही दुनिया की सबसे अच्छी महिला हैंï और वे सब अपनी माँ की तरह ही दिखना चाहती हैंï।
स्कूल, कॉलेज या ऑफिस; जगह कोई भी हो, लड़कियोंï का लड़कोïं से सामना होता ही रहता है। ऐसे मेïं कई पुरुषोïं से उनकी मित्रता भी हो जाती है। माँ कभी इस बात को लेकर चिंतित भी हो जाती हैï क्योंïकि उनके जमाने मेंï तो लड़कियोïं और लड़कों के बीच एक निश्चित दूरी होती थी। खैर, बदलते समय के साथ माँ का भी नजरिया बदल रहा है। अब यदि बेटी का कोई बॉयफ्रेण्ड होता भी है तो माँ बस इतना चाहती हैं कि वह भरोसे के काबिल हो।
लेकिन आजकल की बेटियाँ अपना बॉयफ्रेण्ड उसको ही बनाना चाहती हैïं, जो उनकी तरह सोचता हो, उनकी अभिलाषाओïं को पूर्ण करने की क्षमता रखता हो। उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीïं रहता कि वह विश्वास करने योग्य है भी या नहीï।
माँ-बेटी मेंï एक पीढ़ी का फर्क होता है, इसलिए उनकी पसंद मेïं थोड़ा फर्र्क तो होगा ही, मसलन माँ को हेमा मालिनी और रेखा के आगे कोई पसंद नहीïं आयेगा, फिर चाहे आप करीना, रानी या बिपाशा की तारीफ के कितने भी पुल बांध लेïं।
उसी प्रकार, माँ चाहेïगी कि आप जमाने से कदम तो मिलायेïं पर अपने संस्कारोïं को भी न छोड़ें।
माँ-बेटी के बीच छोटी-छोटी बातोïं पर तकरार होती रहती है, जैसे माँ अपनी बेटी को सहेली के घर पर देर रात तक पढ़ाई के लिए तो रुक जाने देतीï हैï पर किसी भी रात की पार्र्टी मेंï जाने की छूट नहींï देती। ऐसे मेïं बेटी समझती है कि माँ उस पर बंदिशेï लगा रही है पर माँ यह सब सिर्फ इसलिए करती है क्योïंंिक वह अपनी बेटी को प्यार करती हैï और उन्हेïं उसकी चिंता है।
माँ-बेटी, दोनोïं ही इस बात को मानते हैïं कि यदि वे एक साथ कोई सीरियल देखती भी हैïं तो माँ हर दम धारावाहिक की कहानी की बात करती हैं तो बेटी हमेशा धारावाहिक मेंï प्रदर्शित नवीनतम चलन की चर्चा करती है।
बचपन से ही माँ को अपने इर्द-गिर्द देखते हुए बेटी उससे इतनी प्रभावित हो जाती है कि वह अपनी माँ को ही अपना आदर्श मान देती है। वह उनकी तरह ही बनना चाहती है क्योïंकि उसने माँ को जिंदगी के हर पड़ाव मेंï जीत हासिल करते हुए देखा होता है। माँ ही एक ऐसी महिला होती है, जिसे बेटी बहुत करीब से जानती है, इसलिए इसमेïं कतई आश्चर्य नहीïं कि 91 फीसदी लड़कियाँ अपनी माँ जैसी ही बनना चाहती हैïं और लगभग शत्-प्रतिशत माताएँ बताती हैï कि उनकी भी कभी यही ख्वाहिश रही थी।
जब आप किसी पार्टी मेï जाने के लिए तैयार होती हैï तो माँ आपको देखकर हैरान हो जाती हैï। नीली ड्र्रेस के साथ नीली सैïडिल तो अपने समय मेïं उन्होंने भी पहनी होगी पर आपकी तरह मैचिंग का तो उन्हेïं ख्याल भी न आया होगा। नीला आई शैडो, आँखों मेंï नीला लेïस, बालोïं मेंï नीला स्प्रे, नीले रंग के बड़े-बड़े झाले, यहाँ तक कि नीले रंग की लिपस्टिक और नेलपॉलिश, यह सब आज की पीढ़ी ही वहन कर सकती है।
फिर होता यह है कि ज्योïं ही बेटी तैयार होकर आती है, माँ या तो चीख पड़ती है या फिर बेटी से मुँह धोकर आने को कहती है। ऐसे मेïं बेटी को बहुत गुस्सा आता है कि माँ मौजूदा चलन के मुताबिक उसे तैयार भी नहींï होने देती। इस बारे मेïं सौंïदर्य विशेषज्ञा शैली कहती हैï, ‘आज के ग्लैमरस युग मेïं सुन्दरता और स्टाइल तो सादगी मेïं ही समाहित है। अत: माँ जब कुछ कहें तो बेटी को गौर से सुनना चाहिए क्योïंकि माँ की बातोïं मेंï वर्षोï का तजुर्बा होता है।Ó
माँ-बेटी का रिश्ता अनमोल होता है। इस प्यार के बंधन को मजबूत बनाने के लिए माँ-बेटी को हमेशा कार्यरत रहना चाहिए। वो पास रहे या दूर रहे, माँ न तो कभी अपनी बेटी को भूल सकती है और न ही बेटी के दिल से माँ की यादेंï कभी जा सकती हैं। -रईसा मलिक