प्रार्थना से बहुत लाभ हैं

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एक पत्रिका ने अध्यात्म के क्षेत्र मेंï भारत को एक बड़ा बाजार करार दिया है। वैसे इसके लिए पश्चिम के युवाओïं को धन्यवाद देना होगा जिन्होïंने अध्यात्म को भारत के ब्रांड के तौर पर स्थापित किया है। अपनी भौतिकता प्रधान संस्कृति से उपजी रिक्तता को भरने के लिए उन्होंïने साठ के दशक मेंï भारत की ओर जो रुख किया, वह बाद के वर्षों मेंï बढ़ता ही गया। यहाँ तक कि अब तो चिकित्सा जगत भी भारतीय धर्म-अध्यात्म की महत्ता को स्वीकार करने लगा है। चिकित्सा जगत भी मानने लगा है कि प्रार्थना मेïं जबर्दस्त उपचारक क्षमता है। संभवत: यही वजह है कि अमेरिका के लगभग आधे मेडिकल स्कूलोïं मेंï अध्यात्म और चिकित्सा को विषय के तौर पर शामिल किया गया है।
प्रार्थना के प्रमाण
केनिथ कूपर की पुस्तक इट इज बेटर टू बिलीव मेïं अध्यात्म के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रभावोंï पर हुए शोध के विस्तृत परिणाम सामने लाए गए हैïं।
* एफ्रो-अमेरिकी लोगोंï पर डेट्रॉयट विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि आध्यात्मिक लोग निराशा और धूम्रपान समेत मद्यपान से दूर रहते हैïं।
* ईस्ट कॉरोलिना विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान महिला द्वारा आध्यात्मिक रवैया अपनाने से जन्म के समय उसे कम जटिलताओंï का सामना करना पड़ता है।
* रॉयल सोसायटी ऑफ मेडिसिन ने भी पाया है कि विश्वास यानी प्रार्थना से रैक्टल व कोलोन कैïंसर कम होता है।
* धर्म के बलबूते कैïंसर रोगी दर्द से कहीïं बेहतर तरीके से निपट सकते हैïं।
* उटाह विश्वद्यिालय के शोध मेंï पाया गया कि धार्मिक विद्यार्थियोंï मेंï आत्मसम्मान समेत भावनात्मक परिपक्वता अधिक होती है।
उपचारक क्षमता
सामाजिक सहयोग और धार्मिक विश्वास एक ही पहलू के दो नाम हैं, जिसका स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अमेरिकन मेडिकल एसोसियेशन ने भी अपने अध्ययन मेंï पाया कि प्रार्थना से रक्तचाप और हृदय संबंधी रोगोïं मेïं कमी देखने मेंï आई है। सबसे बड़ी बात यह है कि विश्वास से सामंजस्य बैठाने मेंï मदद मिलती है, जिस कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं काफी हद तक अपने आप ही कम हो जाती हैïं। विद्यार्थियोïं पर किए गए शोध मेंï पाया गया कि परीक्षाओïं के दौरान प्रार्थना करने वाले बच्चोïं के मस्तिष्क मेï इंटरल्यूकिन-6 नामक प्रोटीन का रिसाव अधिक होता है, जिससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ध्यान से मस्तिष्क का वह हिस्सा अधिक सक्रिय रहता है, जिसका सीधा संबंध खुशी से होता है।
प्रार्थना व मस्तिष्क संरचना
प्रार्थना और धार्मिक विश्वास के प्रभावोïं को देखते हुए न्यूरोलॉजिस्ट ने मस्तिष्क की संरचना के भी भेद ढूंढने मेंï सफलता हासिल कर ली है। इस अध्ययन मेंï यह पाया गया है कि बाएं मस्तिष्क वाले धार्मिक क्रिया कलापोïं, रीति रिवाजोïं और धर्म के पक्के अनुयायी होते हैïं। वहीï दाएं मस्तिष्क वाले अधिक भावुक और रचनात्मक होते हैंï। ऐसे लोग धार्मिक अनुभव हासिल करने के लिए भटकते जरूर है, लेकिन उनका मकसद सिर्फ अनुभव हासिल ही होता है। डॉ. जॉन रेटी की ए यूजर्स गाइड टू द ब्रेन पुस्तक मेंï भी धार्मिक विश्वास और मस्तिष्क व स्वास्थ्य पर खासा प्रभाव डाला गया है। इसके मुताबिक प्रार्थना से हृदय रोगोïं, रक्तचाप, दर्द, माइग्रेन, निराशा और चिंता से मुक्ति मिलती है। जाहिर है एन एपल ए डे कीप्स डॉक्टर अवे की तर्ज पर अब आप कह सकते हैंï कि ए प्रेयर ए डे कीप्स डॉक्टर अवे।