रहस्यमय रेडियो संदेश

0
218

1972 मेंï जब हमारे सौरमंडल से बाहर जाने वाले दुनिया के पहले स्पेसक्राफ्ट ‘पायोनियर-10Ó को रवाना करने की तैयारियां अंतिम चरण मेंï थीï तो नासा ने सोने की एक विशेष पट्टिका स्पेसक्राफ्ट पर लगाने के निर्देश दिए। यह स्वर्ण पट्टिका अनजान परग्रहीय बौद्धिक सभ्यता के नाम पृथ्वी भ्रमण के लिए नासा का आमंत्रण था। इस पट्टिका पर हमारे सौरमंडल और सौरमंडल मेंï पृथ्वी की स्थिति को दर्शाने वाले मानचित्र के साथ एक पुरुष और एक महिला की आकृति भी प्रदर्शित की गई थी। प्लूटो को पार करने वाले पहले स्पेसक्राफ्ट पायोनियर-10 ने जब 22 जनवरी 2003 को अपना अंतिम संदेश पृथ्वी भेजा था उस समय वह पृथ्वी से 7.6 अरब मील दूर गहन अंतरिक्ष की अंतहीन यात्रा पर था।
उस स्वर्ण पट्टिका पर उल्लेखित पृृथ्वी के संदेश का जवाब अब शायद आ रहा है। साइंस जर्नल न्यू साइंटिस्ट के सितंबर अंक की एक्सक्लूसिव स्टोरी के अनुसार 1000 प्रकाश वर्ष से भी अधिक दूरी से पृथ्वी को अद्भुत रेडियो संकेत भेजे गए हैंï। इन रेडियो संकेतोंï को साइंटिस्ट बिरादरी एक आलोचक के दृष्टिïकोण से परख रही है और इस संबंध मेंï कोई भी व्याख्या देने से पहले अत्यधिक सावधानी बरत रही है। वहीï दूसरी ओर इन रेडियो संकेतोंï की अद्भुत प्रकृति के कारण साइंटिस्टोंï का एक बड़ा वर्ग यह भी मान रहा है कि संभवत: ये रेडियो संकेत किसी परग्रहीय बौद्धिक सभ्यता द्वारा ही भेजे गए हंैï।
‘सेटीÓ और फरवरी 2003
8 अप्रैल 1960 को ‘प्रोजेक्ट ओज्माÓ के साथ ही ‘सर्च फार एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलीजेंïसÓ (सेटी) परियोजना की शुरुआत हुई और आज सेटीञ्चहोम के नाम से परग्रहीय सभ्यता की तलाश का विश्वव्यापी कार्यक्रम प्यूर्टो रिको स्थित दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलिस्कोप एरिसिबो और दुनिया के अलग-अलग हिस्सोंï मेंï लगे छह अन्य रेडियो टेलिस्कोपोïं के वृहद नेटवर्क और 226 देशोïं मेंï मौजूद 50 लाख स्वयंसेवकोïं के कंप्यूटरोंï की मदद से सफलतापूर्वक चल रहा है। एरिसिबो द्वारा 25 साल पहले एक विशेष डिजिटली कोडेड मैसेज सितारोïं के पार इस उम्मीद मेंï ट्रांसमिट किया गया था कि परग्रहीय बौद्धिक प्राणी इसे कैच करके मानव और पृथ्वी के बारे मेंï जानकारी प्राप्त कर सकेïंगे और हमसे संपर्क करेïंगे।
फरवरी 2003 से सेटी परियोजना के विज्ञानी एरिसिबो टेलिस्कोप को आकाश के करीब 200 विशेष हिस्सोंï की ओर केïंद्रित करके एक विशेष अध्ययन मेंï व्यस्त थे। दरअसल इन हिस्सोïं से कुछ अजीब से रेडियो संकेत प्राप्त हुए थे और साइंटिस्ट फिर से इसकी पुष्टिï मेंï जुटे हुए थे। साइंटिस्टोंï की टीम का यह विशेष अध्ययन अब जाकर खत्म हुआ है और उन्होंïने बताया कि इन अजीब से रेडियो संकेतोïं मेंï से ज्यादातर अब लुप्त हो चुके हैïं, ‘केवल एक को छोड़कर।Ó यह रेडियो संकेत तब से तीन बार प्राप्त किया जा चुका है और अब यह एक अबूझ पहेली बन गया है।
साइंटिस्टोंï के अनुसार हो सकता है कि यह रेडियो संकेत अंतरिक्ष के किसी ऐसे तत्व द्वारा उत्पन्न किया जा रहा हो जिससे हम अब तक अनजान हैïं, फिर भी सेटी परियोजना के तहत यह अब तक का सबसे सनसनीखेज मामला है जो किसी परग्रहीय बौद्धिक सभ्यता के अस्तित्व की ओर इशारा करता है।
युनिवर्सिटी आफ कैलीफोर्निया के रेडियो एस्ट्रानॉमर तथा सेटीञ्चहोम के चीफ साइंस्टिट डॉन वेर्थीमर बताते हैï, ‘इस रेडियो संकेत का नामकरण स्॥त्रड्ढ0२+१४ड्ड किया गया है और इसकी फ्रीक्वेïंसी करीब 1420 मेंगाहटर््ज है। सबसे हैरत की बात तो यह है कि ठीक इसी फ्रीक्वेंïसी पर ब्रह्मïांड मेंï सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व हाइड्रोजन ऊर्जा को सोखता और उत्सर्जित करता है।Ó
कुछ साइंटिस्टोंï का मानना है कि अपने बारे मेंï सूचना देने के लिए परग्रहीय प्राणी इसी फ्रीक्वेंïसी का उपयोग करेïगे। रेडियो संकेत स्॥त्रड्ढ0२+१४ड्ड आकाश मेंï मीन और मेष राशियोï के बीच के हिस्से मेंï मौजूद किसी बिंदु से आ रहे हैï।
साइंटिस्टोंï का कहना है कि आकाश के इस हिस्से मेंï 1000 प्रकाश वर्ष तक की दूरी मेंï कोई सितारा या सौरमंडल जैसी ग्रहीय व्यवस्था नहींï है। युनिवर्सिटी आफ कैलीफोर्निया के शोधकर्ता एरिक कोरपेला बताते हैंï, ‘हम तलाश रहे हंैï कि ये रेडियो संकेत कहींï सेटेलाइट से रिफलेक्शन, यांत्रिक गड़बड़ी या फिर सेटी साफ्टवेयर की हैकिंग जैसी किसी कृत्रिम वजह तो उत्पन्न नहीïं हो रहे हैं। मैïं इसकी जांच अप्रैल से कर रहा हूं लेकिन अब तक मुझे ऐसे कोई साक्ष्य नहींï मिले हैï जिससे ये रेडियो संकेत बनावटी साबित हो सकेï।Ó
संकेत का रहस्य
यूनाईटेड किंगडम स्थित युनीवर्सिटी आफ बाथ की जैकलिन बेल बर्नेल बताती हैï, ‘सेटी को प्राप्त इन हैरत-अंगेज रेडियो संकेतोंï का स्रोत निश्चित तौर पर ऐसा नेचुरल फिनॉमिना है जिससे हम अब तक अनजान रहे हैï।Ó उल्लेखनीय है कि बेल बर्नेल को 1967 मेंï दिल की धड़कन जैसे पल्स्ड रेडियो संकेत प्राप्त हुए थे। बाद मेंï पता चला था कि ये रेडियो संकेत एक पल्सर से उत्सर्जित हो रहे हैïं और इस प्रकार पहले पल्सर की खोज हुई थी। पल्सर ऐसे अत्यधिक सघन सितारोंï को कहते हैï जिनका रेडियस 10-15 किलोमीटर ही होता है लेकिन द्रव्यमान हमारे सूर्य से भी कहींï ज्यादा होता है। पल्सर लाइट-हाउस की तरह एक निश्चित समय अंतराल मेंï रह-रह कर रेडिएशन फ्लैश करते रहते हैïं।
एरिक कोरपेला कहते हैï, ‘रेडियो संकेत स्॥त्रड्ढ0२+१४ड्ड की एक खास बात और है, इसकी फ्रीक्वेïंसी एक सेकेïड मेंï 8 से 37 हटर््ज के बीच परिवर्तित होती रहती है। इसका सीधा अर्थ यह है कि ये रेडियो संकेत किसी ऐसी जगह से उत्सर्जित हो रहे हैंï जो बेहद तेजी के साथ घूर्णन कर रही है। यदि और स्पष्टïता के साथ कहूं तो ये रेडियो संकेत जिस जगह से उत्सर्जित हो रहे हैïं वह जगह पृथ्वी की अपेक्षा 40 गुना अधिक तीव्रता के साथ घूर्णन कर रही है। यदि टेलिस्कोप किसी ऐसी चीज से उत्सर्जित हो रहे सिगनलोïं को कैच करेगा जो तेजी के साथ घूम रही है तो हर बार आपको सिगनल्स की फ्रीक्वेंïसी हल्की सी अलग मिलेगी, लेकिन इस रहस्यमय रेडियो संकेत के साथ ऐसा नहीïं है। इस रेडियो संकेत को तीन बार पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सोंï मेंï काम कर रहे सेटी साइंटिस्टोंï द्वारा अलग-अलग समय मेंï प्राप्त किया गया लेकिन सबसे हैरत की बात यह है कि हर बार फ्रीक्वेंïसी शुरुआत मेंïं 1420 मेंगाहटर््ज ही थी। 1420 मेंगाहटर््ज की शुरुआत के बाद फ्रीक्वेïंसी मेंï 8 से 37 हटर््ज का बदलाव आने लगता है। इस अजीब से व्यवहार के कारण धोखाधड़ी, कृत्रिमता या हैकिंग जैसी सभी संभावनाएं खत्म हो जाती हैïं। सच कहूं तो इस रहस्यमय रेडियो संकेत की अद्भुत प्रकृति ने मेरा दिमाग घुमा कर रख दिया है। – संदीप निगम