औलिया-ए-कराम की प्यारी बातें – हज़रत ख्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती रह.

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0 अल्लाह तआला और बंदे के बीच एक ही हिजाब हायल है जिसका नाम नफ्स है।
0 कायनात में सिर्फ एक चीज मौजूद है यानी नूरे खुदा और तमाम गैर मौजूद।
0 पीर मुरीद को संवारने वाला है, मुरीद को पीर जो फरमाये चाहिए कि उस पर अमल करे। इसलिए की पीर जो फरमायेगा वो मुरीद के कमाल के लिए फरमायेगा।
0 दाना (अक्लमंद) दुनिया का दुश्मन और अल्लाह का दोस्त है।
0 आरिफ उस शख्स को कहते हैं जो तमाम जहान को जानता हो और अक्ल से लाखों मायना पैदा कर सकता हो और बयान कर सकता हो और मोहब्बत के तमाम हकायक का जवाब दे सकता हो और हर वक्त बहरे मानी में तैरता रहे ताकि इसरारे इलाही और नूरे इलाही के अनमोल मोती निकालता रहे और दीदावर जौहरियों को पेश करता रहे और इन मोतियों को देखें और पसंद करे तो बेशक आदमी आरिफ है।
0 दुश्मन को दिल की मेहरबानी और अहसान से जीतो और दोस्त को नेक सलूक से।
0 जिसने भी कुछ पाया खिदमत से ही पाया।
0 दाना (अक्लमंद) वो है जो सिवाए जिक्रे हक के किसी को दोस्त न रखता हो।
0 आरिफ एक कदम उठा कर अर्श पर पहुंच जाता है और दूसरा उठा कर वापस आ जाता है।
0 वाल्दैन के चेहरों पर मुहब्बत से नजर करना भी खुशनूदीए खुदा का मौजिब है।
0 बंदे को अल्लाह तआला से इस कदर निस्बत पैदा करना चाहिए कि जो कुछ वह चाहे कुबूल करे और अगर इस कदर न हो तो उसको दुरवेश नही कहना चाहिए।
0 जिसने भी नेमत पाई है उसने सखावत के एवज पाई है।

0 जिसने झूठी कसम खाई उसके घर से बरकत उठा ली जाती है और वोह अपने खानदान को वीरान व बर्बाद करता है।
0 मर्द वो है जो अल्लाह तआला के सिवा किसी पर नजर न रखे और दुनिया व आखिरत में मुब्तिला न हो।
0 आरिफ की पहचान यह है कि वो मौत को अजीज रखता है और अल्लाह तआला के जिक्र के सिवा किसी नशे से इसे चैन नहीं आता।
0 गुनाह तुम्हें इतना नुकसान नहीं पहुंचाता जितना मुसलमान भाई को जलील और बेइज्जत करना।
0 कब्रिस्तान में खाना-पीना और हंसना नहीं चाहिए।
0 मोमिन वो शख्स है जो तीन चीजों को दोस्त रखे, फाका, दुरवेशी और मौत।
0 हंसी और कहकहे कबीरा गुनाह हैं और कब्रिस्तान में हरगिज नहीं हंसना चाहिए क्योंकि कब्रिस्तान इबरत की जगह है हंसी का मुकाम नहीं।
0 खुदपसंदी कबीरा गुनाह है।
0 अल्लाह तआला की दोस्ती इसी तरह हासिल होती है कि जिन चीजों को अल्लाह अपना दुश्मन जानता है इन चीजों केा बंदा भी दुश्मन समझे।
0 हसद बहुत बुरी शै है इसे हरगिज दिल में जगह न दो।
0 वो जईफ तरीन है जो अपनी बात पर कायम रहे।
0 भूखे को खाना खिलाना, जरूरतमंद की जरूरत पूरी करना और दुश्मन के साथ नेक सलूक करना नफ्स की जीनत है।
0 मुसीबत और सख्ती की आना सेहत और ईमान की अलामत है।
0 नमाज अल्लाह तआला की अमानत है जो इसने बंदों के सुपुर्द कर रखी है।

0 मोमिन की मेराज नमाज है और इस के बगैर अल्लाह तआला का कुर्ब हासिल नहीं हो सकता।
0 सच्चा दोस्त वो है कि जो दोस्त की भेजी हुई मुसीबत को खुशी-खुशी कुबूल करे और दम न मारे।
0 असल मुतवक्किल वो है जो लोगों से मदद न मांगे और तकलीफ के मौके पर शिकायत न करता फिरे।
0 बदतरीन शख्स वो है जो तौबा के उम्मीद पर गुनाह करे।
0 आशिक का दिल मोहब्बत का आतिशकदा है जो इसमें दाखिल होता है इसे जला कर खाकतर कर देता है। क्योंकि इश्क की आग से तेज आग कोई नहीं।
0 अगर तुम अपनी कुव्वतों को फिजूल कामों में जाया कर दोगे तो बाद में हमेशा अफसोस करोगे।
0 ए दरवेश! नमाज दीन का रूक्न है और रूक्न सुतून होता है और जब सुतून होगा तो घर कायम होगा। जब सुतून निकल जायेगा तो छत फौरन गिर जायेगी। चूंकि इस्लाम और दीन के लिए नमाज सुतून का काम देती है इसलिए जब नमाज अन्दर फर्ज, सुन्नत रूकुअ व सुजूद में खलल आये तो हकीकत में इस्लाम और दीन इस्लाम में नुक्स वाकेअ होगा।
0 सुरः फातिहा तमाम दर्दों और अमराज के लिए शिफा है जो मर्ज किसी भी इलाज से रफा न होता हो वो सुबह की नमाज के फर्जों और सुन्नतों के दरमियान इक्तालिस मर्तबा सूरः फातिहा पढने से दूर हो जाता है।
0 जिसमें यह तीन खसलतें होंगी वो इस हकीकत को जान ले कि अल्लाह तआला उसको दोस्त रखता है अव्वल सखावत दरिया की तरह, दोयम शफकत आफताब की तरह, सोम तवाजे जमीन की तरह।