जबलपुर के मदन महल में रहने वाले श्री धर्मदास ठाकुर के घर जन्म लेने वाली सरोज राजपूत का विवाह टीकमगढ़ के श्री एल.एल. राजपूत के साथ सम्पन्न हुआ। विवाह के बाद उन्होंने बी.ए.एल.एल.बी. तक शिक्षा ग्रहण की और अपने परिवार में सम्मान जनक स्थान बनाते हुए परिवार के लोगों का सहयोग पाकर राजनीति व समाज सेवा में सक्रिय हुईं। श्रीमती सरोज राजपूत के साथ काम करने वाली महिलाओं का मानना है कि ये मृदुभाषी, सरल, एवं सौम्य स्वभाव वाली महिला हैं। प्रस्तुत है रईसा मलिक से श्रीमती सरोज राजपूत की बातचीत के कुछ अंश-
प्र. आप राजनीति और समाज सेवा के क्षेत्र में कब से सक्रिय हुईं?
उ. मैं राजनीति में सन् 1979 से सक्रिय हूँ और समाजसेवा तो मैं किसी न किसी रूप में राजनीति में सक्रिय होने से पूर्व भी करती रही हूं।
प्र. समाजसेवा के क्षेत्र में आपने क्या कार्य किये हैं?
उ. राजनीति में रहते हुए मैंने समाज सेवा करने का लक्ष्य ही रखा है। बुन्देलखण्ड वैसे भी कॉफी पिछड़ा क्षेत्र है और राजनीति में आने का मेरा लक्ष्य ही बुन्देलखण्ड का विकास और समाज के लोगों की उन्नति ही है।
प्र. आपने वर्तमान पद कब ग्रहण किया? इससे पहले आप और किन पदों पर रह चुकी हैं-
उ. महिला आयोग की सदस्य का पद मैंने 31.7.204 को ग्रहण किया है। मैं जिला दूरसंचार समिति की सदस्य भी रही हूं। मैं1998 से 2004 तक महिला मोर्चा की टीकमगढ़ की जिलाध्यक्ष रही।
प्र. महिला आयोग में आप किस क्षेत्र की प्रभारी हैं?
उ. मैं सागर संभाग की प्रभारी हूं।
प्र. आपकी उल्लेखनीय उपलब्धियां क्या रही हैं?
उ. मैंने तो महिलाओं के बीच बहुत काम किया है और महिलाओं की जिन समस्याओं का मैं समाधान करा रही हूं वही मेरी उपलब्धियां हैं जैसे- कुण्डलपुर में बलात्कार हुआ था पीडि़ता को शासन से 25 हजार रूपए की आर्थिक मदद दिलाई।
जवाहरलाल कोरी नामक व्यक्ति का समाचार पत्र दमोह की शक्ति बन्द करवाया, क्योंकि वह महिलाओं के चरित्र का हनन कर, उन्हें ब्लैक मेल करता था।
छतरपुर में कामकाजी महिलाओं के लिये महिला बस्ती गृह में शासन द्वारा कमरे बढ़वाये।
्टीकमगढ़ में प्रसव के दौरान हॉस्पिटल में ताला डला हुआ था दो सिस्टर को निलंबित करवाया था क्योंकि प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला से रिश्वत पैसों की मांग की थी। एक बिछड़े परिवार का 7 साल बाद मिलाप करवाया। सन् 1990 मैं गायत्री परिवार से गांव-गांव जाकर लोगों को जोड़ा।
प्र. वर्तमान पद पर रहते हुए आप किस प्रकार कार्य कर रही हैं?
उ. आवेदन प्राप्त करने पर समस्याएं चुनते हैं तथा उनका समाधान करवाने के ऐसे प्रयास में रहते हैं की महिलाएं दुखी, पीडि़त न हों और उन्हें आयोग में आना ही न पड़े। सबसे पहला प्रयास तो क्षेत्र में हो रहे कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिये महिलाओं में जागरूकता पैदा करने का कार्य कर रहे हैं। महिला आयोग की बच्चों के आयोजन के द्वारा बिछड़े परिवारों को जोडऩे का प्रयास करते हैं। मेरा प्रयास रहता है कि शासन की जो योजनाएं चल रही हैं उनका लाभ ज्यादा से ज्यादा महिलाएं उठा सकें। इसके लिए उसकी जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करती हूँ।
प्र. कोई ऐसा क्षण जब आपको पेरशानी का सामना करना पड़ा हो?
उ. मुझे तो कोई ऐसा क्षण याद ही नहीं जब मुझे परेशानी महसूस हुई हो।
प्र. कोई घटना जो याद रह गई हो?
उ. लोकसभा चुनाव के समय खजुराहो से टिकट कटा उसके उपरांत हुए विधानसभा चुनावों में भी टीकमगढ़ से टिकट नहीं मिल सका यह दोनों घटनाएं हैं जिन्हें भुलाना मुश्किल है।
प्र. राजनीति में आपके प्रेरणा स्त्रोत कौन हैं?
उ. मुझे राजनीति में लाने वाली सुश्री उमा दीदी हैं और मेरे परिवार ने भी मुझे प्रोत्साहित किया है।
प्र. कोई ऐसा काम जो आपने सोचा हो और अभी तक पूरा नहीं कर पाईं हो?
उ. बुन्देलखण्ड का विकास। यदि मैं बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जन प्रतिनिधि होती तो विकास के कार्य करवाती। क्योंकि टीकमगढ़ को छोड़कर सभी शहरों में सुविधाएं हैं। मन में कसक होती है कि यदि जनप्रतिनिधि होती तो क्षेत्र का विकास करवा पाती।
प्र. महिलाओं को आप क्या संदेश देना चाहती हैं?
उ. महिलाएं जागरूक हों और लक्ष्य बनाकर चलें तो सफलता अवश्य मिलेगी। परिवार में सामंजस्य बनाकर रखें। महिलाएं अपने आपको कमजोर न समझें।
प्र. राजनीति में आने के बाद आपको कैसा अनुभव हुआ?
उ. मैं जिस क्षेत्र की बहू हूॅँ वह बहुत ही पिछड़ा हुआ क्षेत्र है वहां महिलाएं बहुत मुश्किल से ही घर से निकल पाती हैं और जब मैं घर से बाहर ही नहीं निकली बल्कि राजनीति में आई तो मेरे लिये तो यह बिल्कुल ही नया अनुभव था। टीकमगढ़ क्षेत्र के सभी लोग मुझे स्नेहवश भाभी कह कर बुलाते हैं। वहां के लोगों का मुझे बहुत सहयोग मिलता है।
(सातवां फलक के मार्च 2006 के अंक में प्रकाशित)