सत्तरवां स्वाधीनता दिवस मनाते समय हमें गर्व होना चाहिए कि तमाम झंझावतों को झेलते हुए भारत एक सशक्त लोकतंत्र है। इसका श्रेय हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को है जिन्होंने आजादी के लिए हंसते-हंसते अपना बलिदान कर दिया ताकि आनेवाली पीढ़ी सर उठा कर सुख-चैन से जी सके।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में चले आन्दोलन के दौरान ही हमारे कर्णधारों ने स्वाधीन देश के विकास की रूपरेखा तैयार कर ली थी। इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर देश की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मिश्रित अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता दी, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र में, राउरकेला, भिलाई जैसे इस्पात संयंत्र और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल जैसे विद्युत उपकरण निर्माणक कारखाने खड़े हो सके और निजी क्षेत्र में छोटे तथा मध्यम उद्योग-धंधों को पनपने का मौका मिला। साथ ही सिंचाई तथा उन्नत कृषि पर जोर दिया ताकि खाद्यान्न मामलों में आत्म-निर्भर हो सके। तभी तो विभाजन की त्रासदी, चीनी और पाकिस्तानी हमले, माओवादी ङ्क्षहसा तथा प्राकृतिक अपदाओं के साथ बाजारवाद की धमक सह सके। आज हम सूचना क्रांति के क्षेत्र में तो अग्रणी हैं ही, अंतरिक्ष और परमाणु क्षेत्रों में भी विकसित राष्ट्रों के साथ कदम मिलाकर चल रहे हैं। और हमारे युवा वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर दूसरे देशों में अपनी योग्यता तथा दक्षता के झण्डे गाड़ रहे हैं।
हमारी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के कारण ही कोई तीन दशक तक गठबंधन सरकारों के प्रयोग में भी विकास की गति अवरुद्ध नहीं हुई, यद्यपि कई महत्वपूर्ण निर्णय यथासमय मूर्तरूप नहीं ले सके। अब देश में भारी बहुमतवाली सरकार है और नरेंद्र मोदी के रूप में एक गतिशील एवं दबंग प्रधानमंत्री, जिनसे लोगों को बड़ी आशायें हैं। उनकी सरकार ने कई योजनाएं लागू भी की हैं। यद्यपि ज्यादातर योजनाएं पुरानी हैं, केवल उनका नाम बदला गया है और उन्हें अभियान के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है। फिर भी जिस भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का भरोसा उन्होंने लोगसभा चुनाव के दौरान तथा उसके तत्काल बाद दिलाया था, वह अभी दूर है। लोगों को अच्छे दिनों के दिखाये सपने अभी सपने ही हैं। न महंगाई कम हुई है, न विदेशों से कालाधन वापस आया है और न ही अपराध कम हुए हैं। भ्रष्टाचार तो शिष्टाचार बना हुआ है। कट्टरपंथी अपना रंग दिखा रहे हैं सो अलग। गाय और गौमांस को लेकर दलितों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं। तो आतंकवादी और माओवादी गतिविधियां काबू से बाहर दिखाई दे रही हैं। चीन और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। पाकिस्तान तो खुले रूप से आतंकवादियों को प्रशिक्षित कर रहा है और कश्मीर के युवाओं को बहका कर अलगाववादियों की मदद कर रहा है। इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि इन देशों की प्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री की यात्रा का कोई खास असर नहीं हुआ है। इधर प्रकृति भी रूठ गई है। भारी वर्षा, बाढ़, सूखा, भूकम्प आदि प्रकोपों से जन-धन की अपार क्षति हुई है। विकास के नाम पर जल, जंगल और जमीन पर दबाव बढऩे से पर्यावरण पर विपरीत असर हो रहा है। शिक्षा, खनन सहित अनेक क्षेत्रों में सक्रिय माफिया पर प्रशासन लगाम नहीं कस पा रहा है और वनों में पेड़ों की कटाई तथा नदियों में रेत खनन धड़ल्ले से चल रहा है। राजनीतिक दलों को सिर्फ चुनावों की चिंता है ताकि सत्ता का भरपूर लाभ उठाया जा सके। इसके लिए सभी तरह के हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं। विधानमंडल सियासी अखाड़े बन कर रह गये हैं। इसके लिए जरूरी है कि प्रशासन को ठीक करने तथा राजनीति को पुन: सेवा का माध्यम बनाने के लिए आम लोग सामने आएं। प्रत्येक व्यक्ति अपना काम लगन और ईमानदारी से करे और भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाही के कारनामें उजागर करें ताकि विकास गति पकड़े और आम आदमी की बेहतरी को प्राथमिकता मिले। तभी शहीदों के सपने साकार होंगे और हमारी स्वतंत्रता सार्थक कही जाएगी। जयहिन्द। जय भारत।
– बालमुकुंद भारती