शहद के सेवन से शरीर मेंï न सिर्फ चुस्ती-फुर्ती आती है बल्कि यह शरीर मेï पैदा होने वाली अनेक बीमारियोï को उनके सिर उठाने से पहले ही खत्म कर देता है। शहद के इन्हीï गुणोंï के कारण न सिर्फ आयुर्वेद बल्कि विश्व की अन्य तमाम चिकित्सा पद्धतियोï मेंï इसके गुणोï का जमकर बखान किया गया है। कहते हैï विश्व सुंदरी क्लियोपैट्रा भी शहद का सेवन करती थी साथ ही अपने रंग-रूप को निखारने के लिए त्वचा पर शहद का लेप करवाती थी।
यूँ तो आमतौर पर शहद का नाम आने पर हमारे आपके दिमाग मेïं इसके बस एक-दो रंग ही आँखोï में उभरते हैï। लेकिन क्या आप जानती हैïं कि शहद कई रंगोïं मेंï मिलता है। सिर्फ रंग ही नहींï इसके स्वाद भी अलग-अलग हैï। खास बात यह है कि ये सभी रंग व स्वाद प्राकृतिक ही हैï। इसका प्रमुख कारण हैं फूलोïं के रंगोï की विभिन्नता। अर्थात शहद किस फूल के मकरंद से बना है। आजकल विभिन्न शेड मेंï शहद उपलब्ध है। कुदरत ने शहद को अनेक रंगोंï से भरा है।
शहद के सेवन से तुरंत ऊर्जा मिलती है और यह पाचक भी है। अमेरिका की एक एक्सरसाइज व स्पोर्ट लैबोरेटरी मेïं किए गए परीक्षण से यह बात सामने आई है कि व्यायाम करने से पूर्व या व्यायाम के दौरान शहद का सेवन करने से शरीर मेंï थकावट नहीïं आती। खास बात यह कि कार्बोहाइड्रेट की उचित मात्रा भी शरीर को मिलती है।
अमेरिका के इलीनॉयस विश्वविद्यालय के प्रमुख रिसर्चर व फूड केमिस्ट्री के प्रोफेसर निकी के अनुसार कई शोधोïं से पता चला है कि जो लोग शहद का नियमित सेवन करते हैïं उन्हेïं हृदय संबंधी बीमारियाँ कम होती हंै। एक अहम् बात और कि जहाँ अन्य बीमारियोïं मेंï हल्के रंग का शहद ज्यादा फायदेमंद साबित होता है, वहीï हृदय संबंधी रोगोंï मेंï गहरे रंग का शहद ज्यादा बचाव करता है।
प्राचीन रोम मेंï घावोïं की मलहम पट्टïी करने मेंï भी शहद का इस्तेमाल होता था। अब तो यू. एस. नेशनल हनी बोर्ड ने भी अपनी मोहर इस बात पर लगा दी है कि घावोंï की मलहम-पट्टïी करने के लिए शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है। घाव मेंï शहद लगाने से बैक्टीरिया इसे प्रभावित नहींï कर सकते हैï। यह घावोंï की रक्षा एक बैरियर की तरह करता है। बैक्टीरिया से घाव संकुचित नहींï होता और यह घाव के आसपास की सूजन कम करने के साथ ही यह त्वचा के नए टिश्यू को फटने नहीï देता।
यदि पेट मेंï गड़बड़ है तो यह पेट की गड़बड़ को भी रोकता है। एक गिलास गुनगुने पानी मेï आधा नीïबू का रस, एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह के वक्त अर्थात खाली पेट पीने से न तो कब्ज की शिकायत रहती है और न ही एसीडिटी की समस्या उत्पन्न होती है। यह तो आप जानती ही हैïं कि आधे रोगोंï की जड़ कब्जियत होती है।
हृदय और पेट को राहत देने के साथ-साथ यह गले के लिए भी बहुत लाभदायक है। अगर आपके गले मेंï खराश है या कफ की शिकायत है तो शहद, अदरक और नीïबू के रस के सेवन से राहत मिलेगी।
यद्यपि शहद बहुत हल्का एंटीसेप्टिक है फिर भी इसका सेवन मुँह को स्वस्थ रखता है। शहद मुँह के अंदर उत्पन्न होने वाले नुकसानदायक कीटाणुओïं की वृद्धि को रोकता है। इसके अतिरिक्त शहद अल्सर मेंï भी लाभदायक है और यह मुँह की दुर्गंध को कम करने के साथ ही पस नहीïं पडऩे देता।
शहद का नियमित सेवन करने वाले लोगोïं को बहुत से पोषक तत्व मिलते हैं। शहद मेंï खनिज, विटामिन और एमिनो एसिड की उचित मात्रा पायी जाती है। वैसे तो शहद का सेवन कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन गर्मी के मौसम मेंï सेवन शुरू करने से यह तन-मन दोनोïं को शीतलता प्रदान करता है। कुदरत की देन शहद न सिर्फ सौïन्दर्य मेंï निखार लाता है बल्कि चिकित्सकीय गुणोïं से भी भरपूर है। – प्रीति सिंह