15 अगस्त की आज़ादी से लेकर
26 जनवरी के संविधान तक है मेरा वतन।
वंदे मात्रम के गर्व से लेकर
शहीदों के बलिदान तक है मेरा वतन।
गीता के श्लोक से लेकर
कुरआन की आयत तक है मेरा वतन।
ताजमहल की चमक से लेकर
कुतुबमीनार की ऊंचाई तक है मेरा वतन।
हरे-लाल रंग के मेल से लेकर
तिरंगे की शान तक है मेरा वतन।
संस्कृत के वर्ण से लेकर
उर्दू की मिठास तक है मेरा वतन।
बादशाहों की हुकुमत से लेकर
नवाबों के रौब तक है मेरा वतन।
देश के प्यार से लेकर
उस देश पर फिदा होने तक है मेरा वतन।
इस देश की मिट्टी की खुश्बू से लेकर
इस देश के नमक के स्वाद तक है मेरा वतन।
हर हिन्दुस्तानी के दिल में है मेरा वतन
रग-रग में है हम सबके मेरा वतन।
– फरहीन दाऊदी, करोद, भोपाल
मो- 9425027290