दाम्पत्य में प्राइवेसी की अहमियत

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शाम को रोहित ऑफिस से घर लौटा तो सुनीता उसे देखते ही खिल उठी। उनकी शादी को अभी छह माह ही बीते थे। सुबह रोहित के चले जाने के बाद सुनीता का दिन इंतजार की घडिय़ाँ गिनते बीतता था। रोहित कमरे मेंï घुसा तो सुनीता भी किसी बहाने से उसके पीछे-पीछे अंदर चली आयी। रोहित तो इसी इंतजार मेï था, उसने हाथ पकड़कर सुनीता को झटके से अपनी ओर खीïंचकर सीने से लगा लिया। सुनीता प्यार के सागर मेंï गोते लगा रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। वह रोहित से छिटककर दूर जा खड़ी हुई। सामने खड़ी सास उसे घूर रही थी। उस समय तो सास कुछ नहीïं बोली लेकिन बाद मेंï सुना ही दिया, ‘कम से कम दिन मेïं तो सब्र किया करो। जवान ननद घर मेïं है, वह देखेगी तो क्या सोचेगी।Ó सास की नसीहत के बाद सुनीता उदास रहने लगी। अब शाम को रोहित के आने के बाद भी उसके अंदर पहले जैसा उत्साह नहीï दिखता।
यह समस्या सिर्फ सुनीता की ही नहीï है। आज की ‘फ्लैट संस्कृतिÓ मेंï अधिकतर नवविवाहित जोड़ोंï को इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है। इन जोड़ोंï की मूक निगाहेंï हमेशा एक चीज ढूॅंढ़ती रहती हैïं और यह है ‘प्राइवेसीÓ। नवविवाहित जोड़ोंï के लिए प्राइवेसी की कमी एक गंभीर समस्या के रूप मेंï उभरकर सामने आ रही है। प्राइवेसी का मतलब ऐसे पलोंï से है, जिसमेïं पति-पत्नी स्वच्छंद प्रेमालाप या आपस मेंï बातचीत कर सकेï। मध्यवर्गीय परिवारोंï मेंï घरोंï के छोटे होते आकार ने प्राइवेसी को एकदम दुर्लभ बनाकर रख दिया है।
प्राइवेसी की समस्या से सबसे अधिक नवविवाहित जोड़े ही प्रभावित होते हंैï। शादी के बाद एक-दो साल तक पति-पत्नी एक दूसरे का साथ पाने के लिए लालायित रहते हंैï। मौका मिलते ही एक दूसरे की बाहोंï मेंï कैद हो जाना चाहते हैïं लेकिन उनके ऐसा करने से सबसे बड़ी समस्या परिवार की होती है। खास कर महिला के लिए यह समस्या गंभीर है। एक तरफ जहाँ महिलाएॅं दिनभर अपने पति से अलग रहने के बाद शाम को उनके वापस आते ही बाँहोï मेïं समाने का ख्वाब देखती रहती हैï, वहीï संयुक्त परिवार मेïं किसी के देखे जाने का भय भी सताता रहता है। इस स्थिति मेंï उसे मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। कई बार यह तनाव घर को कलह के मुहाने तक ले जाता है। देखा गया है कि कई बार सिर्फ प्राइवेसी न मिलने के चलते महिला अपने ससुराल वालोïं से अलग होने से भी परहेज नहींï रखती। प्राइवेसी की समस्या शादी के बाद कुछ वर्षों तक ज्यादा रहती है, उसके बाद महिला परिवार के माहौल के अनुसार खुद ही ढल जाती है।
अक्सर देखा गया है कि नयी-नवेली बहू जहाँ प्राइवेसी के लिए तिकड़मेंï करती रहती है, वहीï सास उसके प्रयासोïं पर पानी फेरने पर तुली रहती है। बहू जब भी कमरे के अंदर पति के सीने से चिपकने का प्रयास करती है, तभी सास किसी बहाने दरवाजे पर आ खड़ी होती है।
प्राइवेसी मेंï सबसे बड़ी समस्या है ‘फ्लैट संस्कृतिÓ। दो-तीन कमरोंï के फ्लैट मेंï भरापूरा परिवार रहने से नवविवाहित जोड़े को प्राइवेसी मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता है। दरअसल प्राइवेसी का मतलब है तमाम बाधाओïं से मुक्त समय, जबकि छोटे घरोïं मेंï इस तरह का समय महज मिनट-दो मिनट के लिए ही निकल पाता है।
दांपत्य संबंधोïं के जानकारोïं का मानना है कि शादी के बाद एक दूसरे को समझने के लिए प्राइवेसी बेहद जरूरी है। दिनभर की थकान के बाद अकेले बिस्तर की ही प्राइवेसी अहमियत नहींï रखती। बिस्तर के अलावा एकांत मेंï बैठने, बतियाने, सुख-दुख सुनने-सुनाने की प्राइवेसी भी महत्वपूर्ण है। एक बात यह भी है कि संयुक्त परिवार मेंï रहने पर सुबह जल्दी उठना पड़ता है। इसलिए जल्दी सोना भी जरूरी है। कहने का मतलब यह है कि नवविवाहित जोड़े को सिर्फ रात्रि मेïं ही नहींï, दिन मेंï भी प्राइवेसी की सख्त जरूरत होती है और उसे यह हर हाल मेïं मिलनी चाहिए। एक-दूसरे को सही तरह से समझने के लिए यह निहायत ही जरूरी है। परिजनोंï को भी इस बात को समझते हुए नवविवाहित जोड़े को अकेले रहने के अवसर ज्यादा से ज्यादा देना चाहिए। ऐसा न करने पर कई बार परिवार मेंï संबंधोïं का सहज वातावरण नहीïं रह पाता।
प्राइवेसी के लिए परिजन एवं विवाहित जोड़े को मिलकर आपस मेï सहयोग करना चाहिए। दोनोï पक्ष यदि अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए प्राइवेसी के लिए प्रयास करेïं तो निश्चित तौर पर इसमेंï उन्हेïं सफलता मिलेगी और सुखद परिणाम भी। इसके लिए परिजनोïं व नवविवाहित जोड़े को निम्नलिखित बातोïं पर ध्यान देना होगा।
क्या करेïं परिजन
* नवदंपति के कमरे मेंï अचानक न घुसेंï।
* बच्चोïं को भी ऐसा न करने के लिए समझायेंï।
* शाम को पति के वापस लौटने पर पति-पत्नी को अकेला छोडऩे का प्रयास करेंï।
* दंपति की बातोंï को छिपकर सुनने अथवा उन्हेïं छिपकर देखने की कोशिश कतई न करेंï।
* नवदंपति को बाहर घूमने जाने के लिए प्रेरित करेïं।
* घर पर उन्हेंï अकेला छोड़कर पास-पड़ोस मेंï चले जाएं।
* संभव हो तो थोड़े दिनोïं के लिए नवदंपति को अकेला छोड़कर कहींï घूमने चले जाएं।
* अनावश्यक टोकाटाकी कतई न करेïं।
* देर रात नवदंपति को डिस्टर्ब न करेïं। जरूरत का सामान उनके बिस्तर पर जाने से पहले ही कमरे से निकाल लेंï।
* नवदंपति को एक साथ खाना खाने के लिए कहेïं। उनके खाने के समय आप टहलने चले जायें।
क्या करेï दंपति
* पारिवारिक माहौल मेंï ढलने का प्रयास करेंï।
* एक-दूसरे के करीब आने से पहले सुनिश्चित कर लेïं कि कहींï कोई अचानक न आ जाये।
* आराम करने से पहले कमरे का दरवाजा बंद कर लेï।
* रात को एक-दूसरे से जी भरकर बातेï करेïं।
* साल मेंï एक बार कहीï घूमने जायें।
* कम से कम एक समय का खाना पूरे परिवार के साथ बैठ कर खायेïं।
* शाम को कहीï पार्क मेï सैर आदि को निकल जायें।
* छुट्टïी के दिन देर तक सोना हो तो विनम्रता से जिम्मेदार परिजन को बता देïं।
इस तरह से परिजन एवं नवदंपति एक दूसरे को समझकर प्राइवेसी की समस्या को हल कर सकते हैंï। यह याद रखना जरूरी है कि हथेली बजने की आवाज तभी तीव्र होगी, जब दोनोïं हाथ बराबर काम करेंïगे। एक पक्ष कितना भी झुक जाए, लेकिन जब तक दूसरा पक्ष सहयोग नहींï देगा तब तक समस्या जस की तस रहेगी। – वीना सुखीजा