अभिनय के क्षेत्र में उज्जवल भविष्य

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अभिनय एक ऐसी कला है, जिसमें कला के कई स्वरूपों का संगम होता है। इस रचनात्मकता में, कलाकार क़िरदार में डूबकर सिर्फ उसका ही अस्तित्व प्रकट करता है। चाहे वह संवाद के माध्यम से हो या नृत्य के। किरदार की जीवंत प्रस्तुति के लिए ज़रूरी है अभिनय में पूर्णता/समग्रता। अभिनय में दक्षता हासिल करने के लिए आवश्यक है सही दिशा, निर्देशन और प्रशिक्षण। वर्तमान में अभिनय का क्षेत्र विस्तृत हो गया है। छोटे पर्दे पर बढ़ती चैनलों की संख्या के साथ धारावाहिकों की तादाद भी बढ़ रही है। जिसमें नित-नये कलाकारों की आवश्यकता होती है अगर आपमें अभिनय क्षमता है तो आप यथायोग्य स्थान पा सकते हैं। यही नहीं आप अपने अभिनय के आधार पर ग्लैमर की दुनिया के सरताज फिल्म उद्योग में भी अपना भविष्य संवार सकते हैं पर इसके लिए जरूरी है पूर्ण आत्मवि·ाास और प्रशिक्षण। अगर आपमें बुनियादी अभिनय क्षमता है तो हमारे देश में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां प्रशिक्षण प्राप्त कर आप इस क्षेत्र को बतौर कैरियर अपना सकते हैं। इस कैरियर में आपकी आत्मसंतुष्टि के साथ भरपूर आर्थिक समाधान भी प्राप्त होने की संभावनाएं हैं। इसमें प्रशिक्षण के लिए देश का प्रमुख नाट्य संस्थान है, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी.) नई दिल्ली। जहां रंगमंचीय अभिनय में प्रशिक्षण के लिये तीन वर्ष की व्यवस्था है। जिसके अंतर्गत अभिनय में सैद्धान्तिक और प्रायोगिक प्रशिक्षण द्वारा आपकी अभिनय कला को जीवंत किया जाता है।
सत्र- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में हर साल केवल बीस छात्र-छात्राओं को ही प्रवेश दिया जाता है और इसका सत्र पन्द्रह जुलाई से प्रारम्भ होता है। पन्द्रह जुलाई से पन्द्रह सितम्बर तक पहला सत्र और पन्द्रह जनवरी से पन्द्रह मई तक दूसरा सत्र होता है। दोनों सत्रों के बाद परीक्षाएं होती हैं। जिसमें उत्तीर्ण होने के लिए पचास प्रतिशत अंक अर्जित करना अनिवार्य है।
आवश्यक योग्यता- मान्यता प्राप्त भारतीय वि·ाविद्यालय से स्नातक होना आवश्यक है। कम से कम दस नाटकों में अभिनय का अनुभव (नाटक, स्कूल कॉलेज कहीं भी किए हो) संगीत एवं नाटकों की बुनियादी समझ हों हिन्दी में (लिखने-बोलने में) अधिकार होना चाहिए। रंगमंच से संबंधित देश में चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी होना चाहिए।
आयु सीमा- न्यूनतम 18 वर्ष अधिकतम 30 वर्ष, अनु. जाति/जनजाति के लिए 5 वर्ष की छूट।
आरक्षण- कुल 20 सीटें हैं। चार सीटें अनु. जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित।
आवेदन कैसे करें- आवेदन पत्र और विवरण पुस्तिका हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध होती है। आवेदन पत्र मंगवाने हेतु 150 रुपये के रेखांकित डिमांड ड्राफ्ट के साथ सहायक रजिस्ट्रार (शैक्षणिक) राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय भावलपुर हाउस भगवानदास रोड, नई दिल्ली-110001 को भेजें।
परीक्षा केन्द्र- आवेदन पत्रों की प्राप्ति के बाद संस्थान में उन आवेदनों की छंटनी की जाती है और वांछनीय आवेदकों को दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और बैंगलोर में बुलाया जाता है। प्रारंभिक परीक्षा में चयन के बाद दिल्ली स्थित विद्यालय परिसर में चार दिन तक होने वाली कार्यशाला में रहना होता है। जिसके लिए दैनिक भत्ता और द्वितीय श्रेणी का किराया दिया जाता है।
छात्रवृत्ति- चुने गये छात्रों को शैक्षणिक खर्च के लिए 2000 रुपये मासिक छात्रवृत्ति दी जाती है।
चयन प्रक्रिया- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रवेश के लिए परीक्षा तीन चरणों में आयोजित होती है। प्रथम चरण के दौरान लिखित परीक्षा होती है। जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी लेखन और प्रस्तुति की जांच की जाती है। द्वितीय चरण में प्रायोगिक परीक्षा होती है। जिसमें नाटक तथा कविता के कुछ संवाद बतौर स्क्रिप्ट आवेदकों को संस्थान द्वारा लगभग एक माह पूर्व भेज दी जाती है। साथ ही आवेदक को अपनी पसंद के किसी नाटक के कुछ अंश अभिनीत करके प्रस्तुत करना होता है। प्रयोगिक परीक्षा में यहां भी जांचा जाता है कि आवेदक को वाद्य यंत्र बजाने, नृत्य करने, गाना गाने तथा अभिनय करने की बुनियादी समझ और ज्ञान है या नहीं। परीक्षा का तीसरा चरण मौखिक होता है। इसमें नाट्य क्षेत्र से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। जिसके लिए आपको विभिन्न नाटकों की शैली और प्रस्तुति का ज्ञान होना चाहिए।
प्रशिक्षण- प्रथम वर्ष में छात्रों को रंगमंच से जुड़े सभी विषय पढ़ाये जाते हैं। जैसे अभिनय करना, मंच पर बोलते समय आवाज का उतार-चढ़ाव, चेष्टाएं, नाटक में संगीत का महत्व, आधुनिक भारतीय नाट्य-शास्त्र, समकालीन पश्चिमी, भारतीय और विश्व नाट्य इतिहास। तकनीकी क्षेत्र में मेकअप, प्रकाश व्यवस्था और सेट डिजाइनिंग सिखाया जाता है।
द्वितीय वर्ष में आकर छात्रों को यह फैसला करना होता है कि उन्हें किस दिशा में जाना है। यहां मूलत: दो भाग होते हैं- अभिनय और डिजाइन (तकनीकी क्षेत्र) तीसरे वर्ष में छात्र अपने चुने हुए विषय को ही अधिक गहराई से पढ़ते हैं और इसमें विशेषज्ञता हासिल करते हैं। यह प्रशिक्षण खत्म होने के बाद संस्था अपने यहां कुछ छात्रों को एक वर्ष के लिए रंगमण्डल में नियुक्त करती है।
यह रंगमण्डल वर्ष में कई नाटकों का आयोजन करते हैं। इच्छुक छात्र-छात्राओं को संस्था में कुछ अवधि के लिए बतौर अध्यापक भी नियुक्त किया जाता है। यह डिप्लोमा वि·ाविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मास्टर्स इन ड्रामेनिक आर्ट्स के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसलिए तीन साल बाद छात्र किसी भी विषय में पी.एच.डी. भी कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त इन तीन वर्षों में छात्रों द्वारा हर वर्ष नाटकों की प्रस्तुति करवायी जाती है ताकि इनमें व्यवहारिक तौर पर आत्मवि·ाास बढ़े। इन नाटकों की प्रस्तुति में क्रमश: प्रथम वर्ष में एक नाटक, द्वितीय वर्ष में दो और तृतीय वर्ष में चार नाटक करवाये जाते हैं एवं गर्मियों में अवकाश के दौरान छात्रों को पारम्परिक लोक नाट्य कलाओं से परिचित करवाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में ले जाया जाता है। इस संस्थान में छात्रावास की भी सुविधा है।
रोज़गार- इस क्षेत्र में रोजगार छात्र की क्षमता और लगन पर ज्यादा निर्भर है। रोजगार के विभिन्न क्षेत्र निम्न हैं।
– छात्र अपने भविष्य की शुरूआत अपने क्षेत्रों में नाटक का प्रदर्शन करके कर सकते हैं।
– टी.वी. धारावाहिकों में अभिनय कर सकते हैं।
– छोटे पर्दे पर स्थापित हो सकते हैं।
– फिल्मों में अभिनय कर सकते हैं।
– देश के कई वि·ाविद्यालयों में अलग-अलग नाटक विभाग हैं, जहां आप बतौर व्याख्याता नियुक्ति पा सकते हैं।
– भारत सरकार के सांग्स एंड ड्रामा डिविजन में कार्य कर सकते हैं।
– दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में बतौर प्रोड्यूसर नियुक्ति पा सकते हैं।
– नाट्य संस्थाओं में रोजगार पा सकते हैं।
प्रशिक्षण देने वाले प्रमुख संस्थान-
– चंद्रा अकादमी ऑफ एÏक्टग, 20 पालीहिल्स बांद्रा मुम्बई।
– एÏक्टग स्कूल ऑफ मेगोनेप, यूनाइटेड डी/66 तीसरी मंजिल नार्थ बिÏल्डग जुहू, मुम्बई।
– फिल्मालय एÏक्टग स्कूल, अम्बोली अंधेरी मुंबई।
– मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली।
– भारतीय नाट्य अकादमी लखनऊ।
– नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, भावलपुर हाऊस भगवानदास रोड, नई दिल्ली-110001।
– कॉलेज ऑफ इंडियन म्युजिक डांस एंड ड्रामा एम एस वि·ाविद्यालय जयपुर-302004।
– फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे।
– रवीन्द्र भारती वि·ाविद्यालय द्वारकानाथ लेन, कोलकाता।