प्र. आपका पूरा नाम क्या है?
उ. मेरा पूरा नाम है प्रवास चन्द्र सरकार।
प्र. आपके परिवार के पुरूष सभी पीसी सरकार ही क्यों लिखते है?
उ. हम लोगों का मैजिशिन परिवार जो है हम लोग पीढिय़ों से पीसी सरकार लिखते हैं।
प्र. आपके पिता का क्या नाम है?
उ. मेरे पिता का नाम प्रतुल चन्द्र सरकार है।
प्र. इस क्षेत्र में आने की क्यों सोची?
उ. मेरा तो जन्म इस परिवार में हुआ। जब से मेरा जन्म हुआ तब से जादू देख रहा हूंं। 1982 से मैंने इसे व्यवसाय के रूप में अपनाया।
प्र. आपने जादू को ही व्यवसाय क्यों बनाया?
उ. यह भी जादू का करिश्मा है क्योंकि हमने सोचा था कि हम दूसरा व्यवसाय करें लेकिन हमारे पिताजी चाहते थे कि हम इस लाइन में आयें। मैं पायलट हो गया था लेकिन मजबूर होकर आना पड़ा क्योंकि मेरे इस व्यवसाय से माँ बहुत डरती थी।
प्र. आप किसी सर्विस में थे क्या?
उ. हाँ मैं एयर केयरिंग कार्पोरेशन (ई्ï.सी.सी.) कम्पनी में पायलट था
प्र. दोनों व्यवसाय में आपको अच्छा व्यवसाय कौन सा लगता है?
उ.- सबसे अच्छा मेरा फैमिली से जुड़ा हुआ व्यवसाय अच्छा लगता है। फ्लाइंग तो मैं अभी भी करता हूँ लेकिन व्यवसाय के रूप में नहीं शौक की वजह से।
प्र.आपको जादू की प्रेरणा किससे मिली?
उ. जादू की प्रेरणा मुझे मेरे पिता जी से मिली
प्र. आपने जादू किससे सीखा है?
उ. मैंने जादू मेरे पिताजी से सीखा हैं।
प्र. आपके और कितने भाई हैं? और वे क्या करते हैं?
उ. जी हां मेरे दो भाई और हैं उनमें एक भाई मेरा जो जादू दिखाते हैं उनका नाम प्रदीप चन्द्र सरकार है। और मेरे सबसे बड़ेे भाई प्रफुल्ल चन्द सरकार हैं जो अमरीका में ही रहते हैं। और वो इंजीनियर हैं।
प्र.आप कहां-कहां जादू दिखा चुके हैं?
उ. हम लोग अभी साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, चाइना,साउथ अमरीका और पाकिस्तान को छोड़कर सभी स्थानों में जादू दिखा चुके हैं।
प्र. भविष्य में आप जादू ही दिखायेंगे या फिर कोई और योजना बनाई है।
उ. जी हां जादू दिखाने में अभी मेरे ख्याल से मेरी जि़न्दगी के आधे दिन तो बीत चुकेे हैं इसलिए अब आधे बचे हुए दिनों में भी मैं यही करूंगा (जादू ही दिखाऊंगा) क्योंकि जब मैं जादू दिखाता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है कि जैसे मैं, मेरे पिताजी की सेवा कर रहा हूँ।
प्र.जादू के व्यवसाय में आने के बाद आपको कभी कोई परेशानी महसूस हुई है क्या?
उ. नहीं जादू का काम मुझे पानी की तरह ही लगता है। इस प्रोफेशन में आने के बाद कभी ऐसा महसूस ही नहीं हुआ।
प्र. जादू के क्षेत्र में आपने कुछ नया किया है क्या?
उ. हां दिन और समय तो निरन्तर बदलता ही रहता है समय के अनुसार पब्लिक की मांग के अनुसार कुछ न कुछ बदलाव तो करते ही रहते हैं । और जादू में अगर हम कुछ नया नहीं करेंगे तो लोगों को पसंद ही नहीं आयेगा।
प्र.ऐसा कोई आइटम जिसमें आपने बदलाव लाया हो।ं
उ. जी हाँ ‘एक्स-रे आइसÓ जिसे मैंने अपने पिताजी से सीखा था। बाद में उसमें मैंने कुछ बदलाव किया वहीं एक खेल है जिसमें जादूगर के अन्दर की जितनी भी कला है सब बाहर निकल आती है।
प्र. जादू हाथ की सफाई है या विज्ञान?
उ. देखिये जादू हाथ की सफाई और विज्ञान दोनों मिलाकर है। हाथ की सफाई भी साइंस पर ही निर्भर है।
प्र. आपके परिवार के जादूगर और दूसरे जादूगरों में क्या अन्तर है?
उ.हम लोगों के परिवार के जादूगर में और दूसरे जादूगरों में यही फर्क है, और इसके बारे में मुझे बोलने में शर्म आती है, क्योंकि हमारे परिवार में सबसे पहले शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है शिक्षित होने के बाद ही जादू के व्यवसाय को अपनाते हैं क्योंकि हमारे पिताजी का कहना भी यही था कि सबसे पहले अपनी शिक्षा पूरी करो और फिर जादू के व्यवसाय को अपनाओ अर्थात्ï जादू दिखाओ। क्योंकि जब जादूगर शिक्षित होगा तो वो किसी भी आइटम को सही ढंग से प्रस्तुत कर सकेगा हमारे परिवार में हम पांचों भाई बहन जादू की मास्टर डिग्री पा चुके हैं शिक्षित और पढ़े लिखे भी हैं। हम लोग जो बताते हैं यही स्टेंडर्ड लेकर जादूगर को जादू दिखाना चाहिए
प्र. आपने कहां तक शिक्षा प्राप्त की है।
उ. मैंने एम एस सी मैथामेटिक्स में कलकत्ता युनिवर्सिटी से किया है।
प्र. इसके अलावा किस क्षेत्र में आपकी रूचि है?
उ. हमें अच्छा सितार बजाना भी आता है। मैं मैजिक म्यू$िजक में सितार भी बजा लेता हँू। लेकिन म्यू$िजक को हमने व्यवसाय नहीं बनाया। हमने जादू को ही व्यवसाय बनाया है।
प्र. जादू के आइटम में सबसे अच्छा आइटम आपको कौन सा लगता है?
उ. जादू के आइटम में सबसे अच्छा आइटम
‘एक्सरे आईसÓ खेल ही हमें सबसे अच्छा लगता है क्योंकि इसमें जादूगर को अपनी पूरी जान लगा देना होती है। लेकिन लोगों की अलग-अलग पसंद होती है और सबको अलग खेल अच्छा लगता है। हमारे लिये तो जादू के सारे खेल माला में पिरोये गये फूलों की तरह है। हर उम्र के लोगों की अपनी पसंद होती है। बड़े लोगों की पसंद अलग है और बच्चों की पसंद अलग।
– आपने बैले डांस की ट्रेनिंग कहां से ली?
उ. जादूगर को अगर बैले डांस आता है तो उसका चलना फिरना और जादू दिखाना सब अलग ही होगा। इसलिए हमारे पिताजी ने हमको बचपन से ही डांस की ट्रेनिंग दी थी। वैसे मैंने डांस गुरू दर्शनजी से जो रविशंकर जी सितार वादक के बड़े भाई से सीखा है। जब बीच में मैंने हवाई जहाज चलाना छोड़ दिया था, तब मैंने यह डांस सीख कर डायलॉग बोल कर बैले डांस करता था।
प्र. आपका सबसे पसंदीदा जादूगर कौन सा है?
उ. मेरे पिता जी ही हैं उनके बराबर बड़ा कोई जादूगर नहीं हैं अभी हिन्दुस्तान में जितने भी जादूगर नाम कमा रहे हैं सब उन्हीं के आर्शीवाद से उनके आइटम्ïस को अपने ढंग से प्रस्तुत करके जादू दिखा रहे हैं।
प्र. आज के उभरते नये जादूगरों के लिये आप कोई संदेश देना चाहेंगे?
उ. यही कहना है कि पहले शिक्षित हों फिर जादू दिखायें क्योंकि ये जो इन्द्रजाल है ये हमारे महाराज इन्द्र का आर्ट है इसलिये इसे इन्द्रजाल कहते हैं। उसके बाद सब बड़े-बड़े राजा महाराजा और रानी जादू दिखाते थे। जैसे राजा भोज, रानी भानूमति जी आदि इस जादू को दिखाते थे लेकिन बीच के समय में जादू रास्ते के फकीरों के हाथ में चला गया था और वो लोग रास्ते चलते जादू दिखाया करते थे और जादू दिखाने के बाद में पैसे इक_ïे किया करते थे। इसका स्तर बिलकुल गिरता ही जा रहा था। लेकिन फिर मेरे पिताजी ने जादू के क्षेत्र में कदम रखा और जादू दिखाने के तरीके को बदल दिया अर्थात्ï जादू के स्तर को ऊंचा उठाया। पिता जी के समय से ही जादू देखने के लिए पहले टिकिट खरीदना पड़ते थे और बाद में जादू देखने को मिलता था आज भी यही परंपरा चल रही है। मेरा मानना है कि यदि जादू दिखाने वाला जादूगर शिक्षित नहीं होगा तो जादू पुन: फिर फकीरों के हाथ में चला जायेगा। वो क्या कर रहे यह उनको मालूम होना चाहिये अगर जादूगर शिक्षित है तो उसे इसका ज्ञान जरूर होगा। जादू दिखाना भी एक कला है जादूगर जादू सीखने के बाद अगर सिर्फ पैसा कमाने के लिए जादू दिखाता है तो उसे अपनी कला की परख नहीं हो सकती लेकिन शिक्षित जादूगर जादू सीखने के बाद जादू दिखाने की कला को भी समझता है तो वह जादू के खेल को सफल तरीके से पेश कर पाता है जिससे देखकर लोगों को लगता है कि वास्तव में यह जादू है और जादू कोई खेल नहीं। जादू को प्रस्तुत करना भी एक कला है। जादू को प्रस्तुत करने के लिए ही जादूगर का शिक्षित होना $जरूरी है।
प्र. क्या आप चाहेंगे कि आपके परिवार सेे कोई जादू के व्यवसाय को अपनाये?
उ. हाँ मेरा बेटा तो इस व्यवसाय में आ ही चुका है मेरे बाद की पीढ़ी में सारी लड़कियां ही हैं। लड़कियां भी जादू जानती हैं लेकिन जादू दिखाने में लड़कियां अकेले पूरा जादू नहीं दिखा पाती हैं इसलिए मेरी दीदी लोग भी जादू जानती तो हैं पर दिखा नहीं सकीं इसलिए लड़के की बहुत ज़रूरत थी और अब मेरे परिवार में एक मेरा ही बेटा है जिस पर पूरी जिम्मेदारी जादू के व्यवसाय की आ जाती है। और मेरे बेटे ने इसे अपना भी लिया है।
प्र. आपके बेटे पौरूष ने जादू को सीख लिया है या अभी सीखना बाकी है?
उ. सीखने का काम तो कभी भी खत्म नहीं होता जितना सीखते जाओ उतना ही कम होता है। लेकिन अभी तक मेरे बेटे पौरूष ने जितना सीखा है वो हिन्दुस्तान के जादूगरों में से सबसे बेहतर है ।
प्र. क्या आपके बेटे अपने बल पर पूरा जादू का खेल दिखा सकते हैं?
उ. बात कहना और देखना दोनों दो अलग बातें हैं इसके लिए तो आप पहले मेर बेटे के जादू को देखें और फिर देखने के बाद ही आप खुद अंदा$ज करें और फिर लिखें। की क्या वो जादू के खेल को अपने बल पर दिखा सकता है?