प्र. आपने शिक्षा कहां से ग्रहण की?
उ. मैंने नगीना $िजला बिनौर (उ.प्र.) के डीएवी स्कूल से 12 उत्तीर्ण की, हिन्दी साहित्य अंग्र्रेजी और इतिहास विषयों के साथ मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक तथा बरकत उल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से अंग्रेजी साहित्य में एमए और फिर बीएड किया।
प्र. आपने $ग$जल कब से लिख रही हैं?
उ. $ग$जलें लिखने का सिलसिला तो मैंने 10वीं कक्षा से ही शुरू कर दिया था। लेकिन सन्ï 1984 से मेरे लेखन में परिपक्वता आई। मेरे आसपास की जो भी ची$जें थीं, उन्होंने मुझे आकर्षित करना शुरू किया।
प्र. यह शौक आपको कैसे हुआ?
उ. मेरे घर में बहुत ही साहित्यिक माहौल रहा है। मेरी दादी बहुत अच्छी शायरा थीं। मेरी दो बड़ी बहनें शमीम $जहरा र$जा, और डॉ. मुनीर $जहरा भी अच्छी लेखिकाएं हैं। उनकी कई किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। घर में मुझे बड़ा अच्छा माहौल मिला।
प्र. उर्दृ अकादमी के सचिव पद पर आप कैसे आईं?
उ. वैसे तो मूल रूप से मैं शिक्षा विभाग में कार्यरत हूँ, और मैंने वहां 17 साल काम किया है और यहां उर्दू अकादमी में प्रतिनियिुक्ति पर मैं आई हूँ। क्योंकि जब मुझे ऐसा लगने लगा कि साहित्य की ओर मेरी रूचि ज्य़ादा बढ़ रही है और यहां पर यह स्थान मुझे रिक्त दिखा तो मैंने फिर यहां आना उचित समझा। ये मेरा सौभाग्य था कि, मुझे यहां बहुत आसानी से प्रतिनियिुक्ति पर ले लिया गया।
प्र. इसके अलावा आपको वक्फ बोर्ड का सीईओ के पद की भी $िजम्मेदारी सौंपी गई है, और आप इसकी पहली महिला सीईओ हैं। आप कैसा महसूस करती हैं?
उ. बहुत अच्छा लगता है, हमारे यहां की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं। इस्लाम को बदनाम किया जाता है कि महिलाओं को आगे बढऩे नहीं दिया जाता। हालांकि मेरी वक्फ बोर्ड में नियुक्ति के बाद किसी ने भी कोई आपत्ति नहीं की तो मुझे यह देखकर बड़ी खुशी हुई कि लोगों ने इसका बहुत स्वागत किया। मुझे लग रहा था कि हो सकता है कि उलेमाए दीन इसका विरोध करें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोगों ने बहुत ही आशाएं लगाई हैं और मुझे बहुत कुछ करके दिखाना होगा। मैं अपनी तरफ से पूरा प्रयास करूंगी की मैं इसमें सबकी उम्मीदों पर खरा उतरूं।
प्र. वक्फ संपत्तियां बहुत बुरे हालात में हैं, और इन पर नजाय$ज कब्$जे भी हैं। इनको मुक्त कराने और वक्फ की आय बढ़ाने के लिये आप क्या करेंगी?
उ. इस काम को एक मिशन के तौर पर लिया जाना बहुत $जरूरी है मैं इस ओर प्रयास करूंगी। लेकिन यह एक टीम वर्क है वहां जो भी लोग काम कर रहे हैं उन्हें मेरे साथ आना होगा और बड़े अभियान के रूप में काम करना होगा। इस काम को हम एक मिशन के रूप में करते हुए वक्फ की आमदनी को बढ़ाने का पूरा प्रयास करेंगे। वक्फ का जो एक मकसद है जिसका सीधा ताल्लुक अल्लाह से है तो हम यह कोशिश करेंगे कि इसका जो मकसद है वो पूरा हो।
प्र. क्या इसके लिये आपने कोई रूपरेखा तैयार की है?
उ. हम आहिस्ता-आहिस्ता इस तरफ काम कर रहे हैं। अभी तक वक्फ बोर्ड में काम का बहुत ज्य़ादा बोझ था। पूरे प्रदेश के मामलात यहीं पर आते थे। इस संबंध में हमने एक कदम उठाते हुए काम का विकेंद्रीकरण करने की कोशिश की है। जो सीईओ के धारा 54 के अधिकार थे सुनवाई करने की वो अधिकार हमने तहसीलदारों को दे दिये हैं ताकि $िजलों में ही इन मामलों की सुनवाई हो सके। इस $कदम से वक्फ़ सम्पत्तियों को अतिक्रमण से मुक्त कराने में आसानी होगी।
प्र. आपकी सबसे पसंदीदा $गज़ल कौन सी है?
उ. मेरी पसंदीदा $ग$जल जो मेरी पहचान बनी हुई है। वो है-
हमने सोचा है $जमाने का कहा क्यों मानें
तय शुदा $िजन्दगी जीने की अदा क्यों मानें
ये मेरा दौर रवायात का पाबंद नहीं
जो हमेशा से यहां होता रहा क्यों मानें
इसी $ग$जल का एक शेर है जो मैं कल्पना चावला को समर्पित करती हूँ-
आसमानों की बलंदी पे ह$क दर्ज किया।
ये $जमीं हमसे न सम्भलेगी भला क्यों मानें॥
प्र. आपने मुशायरों में पढऩा कब से शुरू किया?
उ. भोपाल के बहुत ही म$कबूल और मशहूर शायर मरहूम अख्तर सईद खान साहब की सदारत में आयोजित मुशायरे में मैंने पहली बार अपना $कलाम पढ़ा जो कि टीएमकॉन्वेंट स्कूल में ईटीवी द्वारा आयोजित किया गया था। लगभग 1987 से मैंने मुशायरों में पढऩा शुरू किया।
प्र. आपके पसंदीदा शायर कौन-कौन से हैं?
उ. मैं शहरयार की $ग$जलों और उनकी अदब की बहुत बड़ी प्रशंसक रही हूँ। और वर्तमान दौर के फज़ल ताबिश साहब, अख्तर सईद खां साहब और इशरत क़ादरी साहब मेरे पसंदीदा शोअरा हैं।
प्र.आप किन विषयों को लेकर $ग$जल लिखती हैं?
उ. वैसे तो शायर या किसी भी साहित्यकार को आसपास का वातावरण अपनी ओर खींचता ही है। मैं अपनी रचनाओं में हमेशा सच ही बयान करने की कोशिश करती हूँ।
मुझे तो धूप के मौसम कुबूल थे नुसरत।
ये किसने साया मेरी दोपहर में रक्खा है॥
मेरी कोशिश यही होती है कि मैं झूठ बात अपनी $ग$जलों में न कहूँ। मेरी मेन थीम सच है और हर तरह का सच, रिश्तों का सच। नारी की भावनाओं को मैं अपने लेखन के माध्यम से सामने लाने का प्रयास करती हूं।
प्र. आम महिलाओं की समाज में जो स्थिति है उसमें सुधार के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
उ. महिलाओं को खुद जागरूक बनना पड़ेगा। जब वे अपने बारे में जागरूक होंगी अपने अधिकारों के बारे में जानेंगी तभी वो दुनिया को बता सकेंगी। महिलाओं को भी अब यह बात समझ में आ रही है कि उन्हें जागरूक होना पडग़ा तभी वो समाज से अपने अधिकारों की मांग कर सकती हैं।
प्र. शिया पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा महिलाओं को भी तलाक मांगने का अधिकार दिया गया है। इस संबंध में आपकी क्या राय है?
उ. मेरी राय बहुत पॉजीटिव है शियाओं में ही क्यों यह तो सभी में हो जाना चाहिये। महिलाएं यह साबित कर चुकी हैं कि वो अक़्लमंद भी हैं, क्योंकि हर क्षेत्र में वो पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।
पहले विरोध इसलिये होता था कि महिलाओं को कमअक़्ल समझा जाता था। लेकिन आज हर कोई मानेगा कि औरत कमअक़्ल नहीं है, क्योंकि कई क्षेत्रों में तो वो पुरूषों से भी आगे निकल चुकी है। फिर इसको इतना ह$क तो दिया जाना चाहिये कि वो सोच सके क्या सही क्या $गलत है और अपनी $िजन्दगी के बारे में फैसला कर सके। मैं इसका समर्थन करती हूँ।
प्र. राजनीति में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण के संबंध में आपकी क्या राय है?
उ. महिलाओं को यदि आरक्षण मिला तो उससे उन्हें लाभ मिलेगा। क्योंकि कई क्षेत्र ऐसे होते हैं जहां पुरूषों का वर्चस्व होता है और महिलाओं को आगे आने का मौका ही नही मिलता यदि महिलाओं को आरक्षण मिला तो निश्चित रूप से उन्हें फायदा होगा।
प्र. आपके और क्या-क्या शौक हैं?
उ. मुझे बा$गवानी और चुनौतीपूर्ण कार्य करना पसंद हैं।
प्र. आपके मन पसंद गायक और पुस्तक कौन सी हैं?
उ. मेंहदी हसन और जगजीत सिंह मेरे मनपसंद गायक हैं। अन्धपग सरवत खान और जैन ऑस्टन की प्राइड एण्ड प्रेज्युडिस मेरी पसंदीदा किताबें हैं।
प्र. आपकी रचनायें कहां-कहां प्रकाशित हो चुकी हैं?
उ. $ग$जल इंटरनेशन, इनकॉम (लखनऊ), सारिका, मनाशिरी के अतिरिक्त देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों का प्रकाशन भी होता रहा है। मैं रेडियो और टीवी पर स्क्रिप्ट लेखन का कार्य भी करती रही हूँ।
साक्षात्कारकर्ता- रईसा मलिक