अब्दुल हमीद ‘‘अदम’’

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‘‘अदम’’ का पूरा नाम अब्दुल हमीद था और ‘‘अदम’’ तखल्लुस था। उनकी शायरी उर्दू साहित्य का एक अनमोल खजाना है, कतआत हों या गजलयात, ‘‘अदम’’ उर्दू जबान का वह शायर है जो अपनी दिलकश शैली से फौरन पहचाना जाता है। ‘‘अदम’’ की इंफीरादियत मुसल्लिमा है। उनके कलाम की सबसे अधिक नुमायां खूबी यह है कि उनके कलाम में ऐसा बेसाख्तापन है जो उनकी शायरी को दिनचर्या की बेतकल्लुफ बातचीत से बहुत निकट ले आता है। भाषा की नर्मी एवं बहाव और लहजे की मिठास की आमेजिश इस में साख्तापन और एकरूपता का वह रंग भरती हैं जो ‘‘अदम’’ की खास खूबी है। इन खुसूसियात ने ‘‘अदम’’ को अवाम का महबूब-तरीन शायर बना दिया है, ‘‘अदम’’ हुस्न-ओ-शबाब और इश्क के शायर हैं और लोगों के दिलों की धडकन बन कर सदा जीवित रहेंगे।
अब्दुल हमीद ‘अदम’ की रचनाएं
गजलें
गिला गुजार बहारों को साथ ले के चलो,
चलो तो चांद तारों को साथ ले के चलो।
तुम आस्मां के मुगन्नी हो, तुम जमीं के चिराग
पयम्बरों की पुकारों को साथ ले के चलो।
उदास राह-गुजारें किधर को जाएंगी
उदास राह-गुजारों को साथ ले के चलो।
कभी मुरादवरों से छुडाओ भी दामन
कभी नसीब के मारों को साथ ले के चलो।
कहां बहिश्त में ऐसी शगुफ्तगी होगी
‘‘अदम’’ तुम अपने चिनारों को साथ ले के चलो।
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सागर से लब लगा के बहुत खुश है जिन्दगी,
सहन-ए-चमन में आके बहुत खुश है जिन्दगी।
आ जाओ और भी जरा नजदीक जान-ए-मन
तुमको करीब पाके बहुत खुश है जिन्दगी।
होता कोई महल भी तो क्या पूछते हो फिर
बे-वजह मुस्करा के बहुत खुश है जिन्दगी।
साहिल पे भी तो इतनी शगुफता रविश न थी
तूफां के बीच आके बहुत खुश है जिन्दगी।
वीरान दिल है और ‘‘अदम’’ जिन्दगी का रक्स
जंगल में घर बना के बहुत खुश है जिन्दगी।
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मुझको कितनी खूबसूरत बद्दुआ दे गयी
मेरे दिलबर को तबीयत ही जुदा दे दी गयी।
0 सैफ मलिक