शानदार सवारियोंï मेंï यदि किसी गाड़ी का नाम लिया जाए तो रॉल्स रॉयस सा राजसी ठाटबाट शायद ही किसी दूसरी कार की शान मेंï चार चाँद लगाता हो। आज यह खूबसूरत सवारी विलासता और शानो-शौकत का अनूठा समागम बन चुकी है।
बीएमडब्ल्यू के आधिपत्य मेंï नए सिरे से बाजार मेïं पैठ बनाने का प्रयास कर रही रॉल्स रॉयस का भविष्य चुनौतीभरा है, परंतु रॉयस का सौïवें वर्ष मेंï प्रवेश करना ही इस बात का द्योतक है कि यह शानदार सवारी एक जानदार सवारी के रूप मेंï अगली कई वर्षगांठेंï मनाएगी।
वर्तमान मेïं रॉयस के मंदे कारोबार को उबारने के लिए बीएमडब्ल्यू ने 3,21,000 डॉलर की फैन्टम निकाली है, जिसे सेनटेनरी नामक स्वर्णिम अंक के रूप मेंï प्रचारित किया जाएगा। गौरतलब है कि इस मॉडल की केवल 35 गाडिय़ां ही बाजार मेंï उतारी जाएंगी।
इस कार के नाम मेïं ही छिपा है कार का इतिहास। 1904 मेंï जब चाल्र्स रॉयस की मुलाकात फ्रेडरिक रोल्स से हुई तब एक ऐतिहासिक करार के तहत रॉल्स रॉयस का निर्माण प्रारंभ हुआ। मैनचेस्टर के एक होटल के कमरे मेंï बैठकर अभिजात्य वर्ग के चाल्र्स ने साधारण घर के परंतु प्रतिभाशाली फ्रेडरिक के साथ बैठकर पहली रॉल्स रॉयस की रचना की। रईस और सलीकापसंद रॉयस ने इस गाड़ी को दुनिया की सबसे टिकाऊ और शालीन सवारी बनाने का प्रण लिया तो युवा रॉयस ने इसे तकनीकी श्रेष्ठता प्रदान करने का बीड़ा उठाया। गौरतलब है कि रॉल्स राइट बंधुओंï द्वारा निर्मित हवाईजहाज खरीदकर उसमेंï सवारी करने वाले पहले पायलट थे। दुर्भाग्यवश ब्रिटेन मेïं हवाई दुर्घटना मेंï मारे जाने वाले पहले मृतक भी चाल्र्स ही बनें।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब कार उद्योग की गाड़ी घिसट-घिसटकर चल रही थी तब रॉयस का सफर का खासा संतुलित था, परंतु 70 के दशक आते-आते रॉयस के हालात भी बिगडऩे लगे और वर्ष 1998 मेंï ब्रिटेन मेïं कार उद्योग को गहरा झटका लगा जब जर्मनी की मशहूर बीएमडब्ल्यू कंपनी ने रॉल्स रॉयस को खरीद लिया। सौभाग्यवश बीएमडब्ल्यू ने रॉयस के मूल रूप से साथ कोई छेड़छाड़ नहीï की। गौरतलब है कि गाड़ी मेंï लगा इंजिन और कंपनी मेïं काम करने वाले 60 फीसदी कर्मचारी अब भी ब्रिटिश हैï।
कार क्रांति के जमाने मेंï भी रॉयस ने गाड़ी के दाम से कभी भी समझौता नहीïं किया। इसके चलते रॉल्स रॉयस को खरीदने का माद्दा शायद ही कई आम ग्राहक कर सके। तभी तो इस शानदार सवारी को खरीदने वाले ग्राहकोंï मेंï मोहम्मद अली, पॉल मेक कार्टनी, फ्रैïक सिनात्रा, कैरी ग्रांट और रुडयार्ड किपलिंग सरीखे नाम शामिल हैïं।
इनके अतिरिक्त विश्व का शायद ही ऐसा कोई शाही परिवार हो जिसके शाही गैराज की शान रॉयस न बढ़ा रही हो। इनमेï बू्रनेई के सुल्तान का रॉयस प्रेम जगजाहिर है। सुल्तान द्वारा खरीदी गई रॉल्स रॉयस गाडिय़ोंï की संख्या इतनी अधिक बढ़ गई थी कि कंपनी को उनकी गाडिय़ोïं की देखभाल के लिए अलग से एक विभाग बनाना पड़ा था।
– असलम खान