हँसते-हँसते कट जाएं रस्ते जिंदगी यूं ही….। इसे गाना समझकर हल्के मेïं न लें। अनेक वैज्ञानिक व मनोवैज्ञानिक शोधोïं से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि हँसना एक ऐसी कुदरती दवा है, जो आपको जिंदगी के उतार-चढ़ावोïं से जहां जूझने का माद्दा देती है, वहीïं यह अनेक रोगोंï से मुक्त कर आपकी सेहत को भी दुुरुस्त करने मेंï जादू-सा असर दिखाती है।
लॉफ्टर क्लब्स का फैलता संजाल
”सच तो यह है कि हँसना जिंदगी जीने का एक हुनर है। समस्याएँ रोने से हल नहीïं हो सकतीï। हँसने से आपको एक नई ऊर्जा और तरोताजगी मिलती है, जिसके चलते इस आपाधापी भरी जिंदगी के तनाव रफूचक्कर हो जाते हैंï। हँसी के महत्व का ही यह नतीजा है कि आज भारत से कहींï ज्यादा पाश्चात्य विकसित देशोïं अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी व इंग्लैïड आदि- मेंï लॉफिंग क्लब खुलते जा रहे हैï। ऐसे क्लब इन देशोï मेïं खासे लोकप्रिय भी हो रहे हैïं। यही नहींï इन क्लबोïं मेंï हँसी के जरिये कुछ रोगोïं जैसे उच्च रक्तचाप, तनाव व अनिद्र्रा आदि का उपचार भी किया जाता है।ÓÓ
डॉ. मदन कटारिया का यह कथन हँसी के महत्व को रेखांकित करता है। काबिलेगौर है कि कटारिया ही देश मेïं व विदेश मेंï पहले ऐसे शख्स थे, जिन्होंïने 1995 मेंï पहली बार मुंबई मेïं प्रियदर्शिनी लाफ्टर क्लब इंटरनेशनल की स्थापना की। उन्होïंने अपनी लॉफ्टर थेरैपी मेंï योग और प्रणायाम की क्रियाओïं का भी समावेश किया है।
शांति के साथ सीधा रिश्ता
डॉ. कटारिया के अनुसार हँसने की प्रक्रिया और मानसिक-शारीरिक शांति के बीच सीधा संबंध है। इस संदर्भ मेंï उनका अपना एक अलग नजरिया है। उनका कहना है ”आज दुनिया नाभिकीय ध्वंस के कगार पर खड़ी है। आतंकवाद समूची दुनिया को अपने आगोश मेंï ले चुका है। सच तो यह है कि हम सभी के मन मेंï महाभारत सरीखा संग्राम छिड़ा हुआ है। हम खुद से ही संघर्ष कर रहे हैïं। यही कारण है कि आज बाहरी दुनियां मेंï इतने युद्धोïं व आतंकवाद का खौफनाक मंजर नजर आ रहा है। इन सब पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है, बशर्ते कि हमारा मन शांत हो जाये, उसका संघर्ष व अंतद्र्वंद्व बंद हो जाये। यदि लॉफ्टर क्लब दुनियाभर मेïं गठित हो जायेïं, तो इनसे माइक्रो लेबल पर रचनात्मक ऊर्जा का एक क्षेत्र बनेगा, जो मल्टीप्लाई होकर विश्वभर मेंï मैक्रो लेबल पर छा जायेगा।ÓÓ
कार्यक्षेत्र मेïं महत्व
कार्यक्षेत्र की या आफिस की अपनी कुछ सीमाएं व गरिमा होती है, फिर भी कार्यक्षेत्र मेंï काम के हल्के होने पर शालीनतापूर्वक हास्य की फुलझडिय़ां छोडऩे मेंï किसी को कोई संकोच नहीïं होना चाहिए। ऐसा करने से काम के दवाब का बोझ खत्म हो जाता है और आप नई ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाते हैïं।
वैज्ञानिककारण
डॉक्टरोïं के अनुसार हँसी स्वयं मेंï एक चिकित्सा पद्धति है। 10 मिनट की हँसी आपको दिनभर तरोताजा रखने की ऊर्जा प्रदान करती है। चिकित्सा वैज्ञानिकोंï के अनुसार हँसने से चेहरे की मांसपेशियां का तनाव दूर हो जाता है और त्वचा की कोशिकाओïं को भी एक नई शक्ति मिलती है। साथ ही इस क्रिया से मानसिक तनाव दूर हो जाते हंैï। यही नहीïं, हँँसने से फेफड़ोïं का भी अच्छा-खासा व्यायाम हो जाता है, कारण फेफड़ोïं मेंï अधिक मात्रा मेंï आक्सीजन की आपूर्ति होती है और फेफड़ोंï मेंï स्थित अशुद्ध वायु का स्थान स्वच्छ व ताजी वायु ले लेती है।
क्या है ‘केमिस्ट्रीÓ
हँसने की क्रिया से शरीर मेंï इंडॉर्फिंस नामक हार्मोन प्रवाहित होता है। इस हार्मोन को एक कुदरती दर्द निवारक की संज्ञा दी जा सकती है। हँसने के बाद जो राहत महसूस होती है, उसका कारण यही कुदरती तत्व है। दीर्घ जीवन के रहस्योïं पर शोध करने वाले अनेक विशेषज्ञोïं की राय है कि प्राय: लंबी उम्र जीने वाले लोगोï मेïं सेïंस ऑफ ह्यïूमर ज्यादा होता है वे जीवन के उतार-चढ़ावोïं से परेशान नहीïं होते और हँसते हुए सारे गम बर्दाश्त कर लेते हैïं।
जिंदगी मेंï हर रोज हँसने के तमाम मौके खुद-ब-खुद मौजूद होते रहते हैïं। जब कोई मुद्दा न मिले, तो अपने बारे मेंï कुछ बातोïं को सोचकर भी हँस सकती हैïं। विभिन्न पुस्तकोंï से चुटकुलोïं और हास्यजनक प्रसंगोंï का संग्रह करेंï। इन फुलझडिय़ोïं को समय-समय पर पारिवारिक सदस्योंï मित्रोंï के बीच छोड़ कर खुद हँसेï व दूसरोंï को भी हँसाएं। याद रखेï हँसने का मतलब किसी शख्स की खिल्ली उड़ाना नहींï है। – विवेक शुक्ल