तारीखे इस्लाम

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(48वीं किश्त)
खिलाफते बनू उमैया
हजरत अमीर मुआविया रजि.
हजरत अमीर मुआविया रजि. हिजरत से सत्तरह साल पहले पैदा हुए यानि वह हजरत अली रजि. से छैः साल छोटे थे। हजरत मुआविया रजि. की पैदाइश के वक्त इनके वालिद अबूसुफियान की उम्र चालीस से कुछ ज्यादा थी यानि अबूसुफियान हुजूर सल्ल. से दस साल उम्र में बडे थे।
अमीर मुआविया रजि. लडकपन ही से बहुत जहीन और अच्छे इन्तिजाम करने वाले थे। लम्बे कद के, सुर्ख व सफेद, रंग खूबसूरत और रौबदार आदमी थे। हुजूर सल्ल. ने अमीर मुआविया रजि. को देखकर फरमाया कि यह अरब के किसरा (बादशाह) हैं।
आखिरी उम्र में मुआविया रजि. का पेट किसी कदर बढ गया था और मिंबर पर बैठ कर खुत्वा सुनाने की शुरूआत अमीर मुआविया रजि. से हुई।
अमीर मुआविया रजि. खूब पढे-लिखे आदमी थे। फत्हे मक्का दिन अपने आप अबूसुफियान के साथ पच्चीस साल की उम्र में मुसलमां हुए और फिर हजरत मुहम्मद सल्ल. ने कातिबे हह्नय मुकर्रर किया। वह की किताबत के अलावा बाहर से आये हुए वफ्दों की देख भाल औ उनकी मेहमान-नवाजी का काम हजरत मुआविया रजि. ही के सुपुर्द था।
हजरत अबूबक्र रजि. के जमाने में आपने बहुत सी-लडाईयों में शिर्कत की और कामियाबी हासिल की।
हजरत उमर फारूक रजि. ने यजीद बिन अबुसुफियान के इंतिकाल के बाद आपको दमिश्क का गवर्नर मुकर्रर किया।
हजरत उस्मान रजि. के जमाने में आप को शाम (सीरिया)
पूरे इलाके का हाकिम बना दिया गया और हजरत उस्मान ही के दौर में हजरत मुआविया रजि. ने शाम में इस्लामी हुकूमत की जडें काफी मजबूत थीं।
हजरत उस्मान रजि. की शहादत के बाद हजरत अली रजि. स. आपने जो मुकाबला किया, उसका जिक्र पहले आ चुका है। रबीउल अव्वल सन् 41 हि. की आखिरी दहाई में हजरत अमीर मुआविया रजि. और हजरत हसन रजि. में समझौता हुआ और उसके बाद सजरत अमीर मुआविया बा-कायदा तमाम इस्लामी मुल्क के खलीफा करार दिये गये। खलीफा बनने के बाद वह बीस साल और जिन्दा रहे।
खिलाफत के कुछ वाकिए
अमीर मुआविया रजि. ने इस्लामी हुकूमत को मजबूत बनाने के लिए जो सबसे बडा काम किया, वह यह था कि उन्होंने खारजियों के फित्ने की जडें काट दीं। यही खारजी थे, जो पूरे मुल्क में फित्ना फैल रहे थे, साजिशें कर रहे थे, मुसलमानों को आपस में लडा रहे थे, अवा के खून की नदियां बहा रहे थे, इन खारजियों के फित्ने को बुरी तरह कुचल दिया।
कैसरे रूम की ओर से शाम देश की उत्तरी सीमाओं को हमेशा खतरा रहता था, शाम के साहिल पर समुद्री हमलों का भी डर था, मिस्र अफ्रीका पर भी रूमियों की समुद्री चढाइयां होती रहती थीं। हजरत मुआविया रजि. ने अन्दरूनी मस्अलों से निबट कर रूमी खतरों की तरफ अपना पूरा ध्यान लगा दिया, समुद्री फौज तैयार कीं, समुद्री फौज सिपाहियों की तंख्वाहें ज्यादा कीं, लगभग दो हजार जंगी नावें तैयार करायीं। थल सेना (बर्री फौज) को पहले से ज्यादा मजबूत किये मौसम के हिसाब से भी फौजें तैयार कीं। इन्हीं तैयारियों की वजह से कैसर रूम की हिम्मत पर पानी फेर दिया और सन् 43 हि. में संजिस्तान वगैरह जीत लिए गये।
इसी साल बरका और सूडान की ओर इस्लामी फौज आगे बढी और इन इलाकों में इस्लामी हुकुमत का रक्बा बहुत फैल गया।
सन् 48 हि. में हजरत मुआविया रजि. ने कैसर की राजधानी कुस्तुन्तुनिया पर समुद्री हमला करने का इरादा किया। एक बडी फौज तैयार हुई, इस फौज में बडे-बडे सहाबा किराम रजि. भी शरीक हुए सुफियान बिन औफ इस फौज के सरदार बनाये गये। इस फौज में हजरत अमीर मुआविया का बेटा यजीद भी शामिल था। यह फौज अगरचे हमले में कामयाबी नहीं हो सकी, लेकिन इस हमले ने कैसर की रही-सही हिम्मत तोड दी।
हजरत मुआविया रजि. ही के जमाने में सिंध पर हमला किया गया था और सिंध का एक बडा हिस्सा जीत लिया गया था।